हाईकोर्ट से शिक्षाकर्मियों की याचिका खारिज

बिलासपुर। समान काम, समान वेतन सहित शिक्षा और आदिवासी विकास विभाग के नियमित शिक्षकों के समान भत्तों के लिए लगाई गई याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। शासन ने अपने जवाब में कहा था कि शिक्षाकर्मियों की भर्ती पंचायत शिक्षाकर्मी भर्ती नियम के तहत की गई है, इसमें ऐसा प्रावधान नहीं है।



राजीव जायसवाल सहित अन्य प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर शिक्षाकर्मी के पद पर पदस्थ है। इन्होंने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर मांग की थी कि वे शिक्षा और आदिवासी विकास विभाग में

 कार्य करे नियमित शिक्षकों के समान ही कार्य करते हैं। समानता के अधिकार के तहत उन्हें समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए। इसी तरह उन्हें दोनों विभाग के शिक्षकों की तरह ही अन्य भत्ते भी दिए जाने चाहिए। मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन, पंचायत विभाग सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया था।



शासन ने अपने जवाब में कहा कि शिक्षाकर्मियों की भर्ती पंचायत शिक्षाकर्मी भर्ती नियम 1997 के अंतर्गत की गई है। इसमें उन्हें मिलने वाले वेतन आदि के लिए स्पष्ट नियम बनाए गए हैं। इसमें समान काम, समान वेतन और शिक्षा और आदिवासी विकास विभाग के नियमित शिक्षकों के समान भत्ते देने का प्रावधान नहीं है। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने शासन के जवाब को स्वीकार करते हुए शिक्षाकर्मियों की याचिका खारिज कर दी है। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर शिक्षाकर्मी अनेक बार आंदोलन कर चुके हैं। कुछ दिनों पहले ही लंबी हड़ताल चली थी।

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