शिक्षा विभाग की कोशिश तो तकनीकों के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने की होती है, लेकिन गैर दूरदर्शिता के चलते विभाग की धनराशि भी काफी खर्च होती है। योजना से लाभ मिलना तो दूर साधन कुछ ही दिनों में सफेद हाथी होने में देर नहीं लगती। मौजूदा समय में बायोमैट्रिक मशीन विभाग के लिए कुछ इसी प्रकार सिरदर्द बनी हुई है।
नव वर्ष पर प्रदेश के करीब दो हजार 622 स्कूलों में काम करने देने वाली यह मशीन असल में तो अधिकांश स्कूलों में शुरू हो ही नहीं सकी है तथा जिन चुनिंदा स्कूलों में यह मशीन लगी भी है वहां भी परिणाम विभाग की अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे हैं। यही कारण है कि विभागीय अधिकारियों की योजना की समीक्षा के लिए निदेशालय में भेजे जाने पर विचार किए जाने लगा है। योजना के अंतर्गत यह मशीन जिले के 208 स्कूलों में लगाई जानी थी, लेकिन अभी तक यह 175 स्कूलों में ही लग सकी है।
नव वर्ष पर प्रदेश के करीब दो हजार 622 स्कूलों में काम करने देने वाली यह मशीन असल में तो अधिकांश स्कूलों में शुरू हो ही नहीं सकी है तथा जिन चुनिंदा स्कूलों में यह मशीन लगी भी है वहां भी परिणाम विभाग की अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे हैं। यही कारण है कि विभागीय अधिकारियों की योजना की समीक्षा के लिए निदेशालय में भेजे जाने पर विचार किए जाने लगा है। योजना के अंतर्गत यह मशीन जिले के 208 स्कूलों में लगाई जानी थी, लेकिन अभी तक यह 175 स्कूलों में ही लग सकी है।