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नई दिल्ली।। विदेशी बैकों में जमा सबसे ज्यादा ब्लैक मनी भारतीयों का है। यह खुलासा किया है सीबीआई के डायरेक्टर ने। भारतीयों ने टैक्स चोरी करके तकरीबन 500 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 24.5
लाख करोड़ रुपये) विदेशी बैंकों में जमा कराया है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने यह जानकारी देते हुए कहा कि मॉरिशस, स्विट्जरलैंड , लिक्टेनश्टाइन, ब्रिटिश वर्जिन द्वीपसमूह जैसी जगहों में पहुंचने वाले अवैध धन का सबसे ज्यादा नुकसान भारत को पहुंचा है।
सीबीआई डायरेक्टर एपी सिंह ने भ्रष्टाचार निरोधी और सम्पत्ति वसूली पर पहले इंटरपोल वैश्विक कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में कहा, 'एक अनुमान के मुताबिक भारतीयों का करीब 500 अरब डॉलर अवैध धन ऐसे देशों में जमा है, जो टैक्स चोरों की पनाहगाह के रूप में जाने जाते हैं। स्विस बैंकों में सबसे अधिक धन जमा करने वाले भी भारतीय हैं।'
उन्होंने कहा कि ऐसे अवैध धन के लेन-देन के बारे में सूचना हासिल करने में वक्त लगता है क्योंकि जिन देशों में यह धन जमा है, वहां न्यायिक अनुरोध भेजकर जांचकर्ताओं को परत दर परत खंगालना पड़ता है।
सीबीआई डायरेक्टर ने कहा कि जिन देशों में अवैध धन पहुंचता है, उनमें सूचना देने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी अर्थव्यवस्था किस हद तक गरीब देशों से आने वाले इस अवैध धन पर निर्भर है।
उन्होंने कहा, 'सम्पत्ति वसूली की जांच एक जटिल, समय लेने वाली खर्चीली प्रक्रिया है जिसके लिए दक्षता और राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है। सम्पत्ति वसूली में काफी बाधाएं हैं। यह न केवल एक विशेष कानूनी प्रक्रिया है जो देरी और अनिश्चितता से जुड़ी है बल्कि इसमें भाषा संबंधी बाधाएं हैं और बाकी देशों के साथ काम करते समय विश्वास की कमी भी शामिल है।'
उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय बाजार धन के तेजी से प्रवाह में मदद करते हैं और ऐसे मामलों में धन का पता लगाने में और दिक्कत करते हैं। उन्होंने कहा कि अपराधी अपने लाभ के लिए जांच एजेंसियों के क्षेत्रीय मुद्दों का इस्तेमाल कर अपने अपराधों को कम से कम दो देशों में फैला रहे हैं और तीसरे में निवेश कर रहे हैं।
सीबीआई डायरेक्टर ने कहा, '2जी, कॉमनवेल्थ गेम्स और मधु कोड़ा जैसे जिन कुछ महत्वपूर्ण मामलों की सीबीआई ने हाल में जांच की उनमें हमने पाया कि धन दुबई, सिंगापुर या मॉरिशस गया, जहां से यह स्विट्जरलैंड और टैक्स चोरों की पनाहगाह मान जाने वाले बाकी देशों में पहुंचा।
उन्होंने कहा कि अपराधी कुछ फर्जी कंपनियां खोलते हैं और चंद घंटों में एक के बाद एक कई अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया जाता है क्योंकि बैंकिग लेन-देन में देशों की सीमाएं कोई बाधा नहीं है।
सिंह ने कहा कि विश्व बैंक का अनुमान है कि आपराधिक गतिविधियों और टैक्स चोरी से करीब 1500 अरब डॉलर एक देश से दूसरे देशों में पहुंचता है जिसमें से 40 अरब डॉलर विकासशील देशों में सरकारी कर्मचारियों को दी गयी रिश्वत का भाग है। सिंह ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पांच साल के दौरान इसमें से केवल पांच अरब अमेरिकी डॉलर वापस लाया जा सका है।