आज घोषित होंगे सीडीएलयू से संबद्ध कॉलेजों के परिणाम+++2009 की एएसआई भर्ती में भी धांधली+++हाईकोर्ट ने दिए आदेश, ईओ घर जाए और फैमिली पेंशन लगाए

चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा का परिणाम मंगलवार को घोषित किया जाएगा। इस बार यह परीक्षा परिणाम निर्धारित समय अवधि में घोषित किया जा रहा है जबकि गत वर्ष यह परिणाम काफी देरी से घोषित हुआ था। मंगलवार को तीन बजे वेबसाइट पर रिजल्ट उपलब्ध हो पाएगा। सभी कॉलेजों व संबंधित विभागों को भी मंगलवार को परीक्षा परिणाम भेज दिए जाएंगे। सीडीएलयू के परीक्षा नियंत्रक डॉ. प्रवीण अगमकर ने बताया कि विश्वविद्यालय से संबंधित सभी कॉलेजों के परीक्षा परिणाम मुकम्मल कर लिए गए हैं जिन्हें कल सार्वजनिक कर दिया जाएगा। डिप्टी रजिस्ट्रार एग्जाम आरके मेहता ने बताया कि एलएलबी बीए, बीएएससी नॉन मेडिकल, बीएससी मेडिकल, बीएससी कंप्यूटर साइंस, बी.काम, बीसीए, बीएमसी
की प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा के परिणाम मंगलवार को घोषित हो जाएंगे। एमएससी एफएसटी के तृतीय सेमेस्टर का परिणाम भी इसी के साथ ही घोषित कर दिया जाएगा। आरके मेहता ने बताया कि उक्त विषयों की परीक्षाएं दिसंबर व जनवरी में आयोजित की गई थी।
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2009 की एएसआई भर्ती में भी धांधली

चंडीगढ़. चंडीगढ़ पुलिस में एएसआई की भर्ती में धांधली पीछा नहीं छोड़ रही। 2007 में 20 एएसआई की भर्ती में गड़बड़ी सामने आई थी, जिसका रिकॉर्ड अब सीबीआई के पास है। अब 2009 में एएसआई के 24 पदों पर हुई भर्ती में भी धांधली सामने आई है। इस भर्ती की डीएसपी अनिल जोशी ने जांच की थी। इसकी जांच रिपोर्ट के मुताबिक भर्ती के कई फैक्ट मिसिंग हैं। जोशी ने तीन उम्मीदवारों के सेलेक्शन पर भी अंगुली उठाई है।

रिपोर्ट के मुताबिक सेवा सिंह, राजबीर सिंह और नवीन की भर्ती में धांधली हुई। फिजिकल टेस्ट के दौरान सेवा सिंह की हाई जंप और राजबीर सिंह व नवीन की छाती के नाप की वीडियो रिकॉर्डिग गायब है। वीडियो में तीनों की तस्वीरें नहीं हैं। हालांकि जोशी ने इस मसले की तह तक जाने के लिए रिपोर्ट में आईजी से कहा है कि अगले आदेश जारी किए जाएं।

2007 में चार फेल उम्मीदवार किए थे पास

वर्ष 2007 में 20 एएसआई की भर्ती का रिकॉर्ड सीबीआई के पास है। इस भर्ती में फिजिकल टेस्ट के दौरान 4 फेल उम्मीदवारों को पास कर दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई इस केस में सिफारिश करने जा रही है कि चंडीगढ़ पुलिस खुद अपने स्तर पर कार्रवाई करे। दूसरी तरफ पुलिस विभाग ने सीबीआई को रिमाइंडर भेजा है कि सीबीआई इस भर्ती पर जल्द फैसला ले, ताकि पुलिस विभाग फैसला कर सके कि भर्ती रद्द होनी है या एएसआई भर्ती होने हैं। मसला कोर्ट में भी विचाराधीन है।

तीन बार भर्ती, जॉइनिंग किसी की नहीं

चंडीगढ़ पुलिस में 2007, 2009 और 2011 में तीन बार 20 से 24 एएसआई पदों पर भर्ती हुई है। आज तक तीनों भर्तियों में पास होने के बावजूद किसी को भी जॉइनिंग का मौका नहीं मिला है। सभी वेटिंग लिस्ट में हैं। 2007 में एएसआई भर्ती के फिजिकल टेस्ट में धांधली सामने आई थी। इससे पहले एएसआई की लिखित परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। जिस कारण इसका रिजल्ट रोक लिया गया।

2009 में एएसआई भर्ती हुई, तो वर्ष 2007 वाले कोर्ट चले गए और 2009 की भर्ती में किसी को जॉइन नहीं कराया गया। पिछले साल 2011 में जब फिर भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई तो इसमें 2007 में फिजिकल टेस्ट पास करने वाले उम्मीदवारों को शामिल किया गया। लेकिन इसमें भी किसी को जॉइन नहीं कराया गया।


घुम्मन की स्पेशल कमेटी भी नहीं दे सकी फैसला

दरअसल वर्ष 2007 में हुई एएसआई भर्ती में धांधली सामने आने पर एसपी ऑपरेशन आरएस घुम्मन की अगुआई में नवंबर 2011 में स्पेशल कमेटी बनाई गई। इसमें एसपी आईआरबी गुरशरणदीप सिंह ग्रेवाल और डीएसपी प्रेमलाल चौहान को शामिल किया गया। यह कमेटी भी आज तक अपना फैसला नहीं सुना सकी, जिसका खमियाजा उन उम्मीदवारों को उठाना पड़ रहा है जो सेलेक्ट हो चुके हंै, लेकिन उन्हें जॉइन नहीं कराया जा रहा है। प्रेमलाल चौहान इस बीच रिटायर भी हो चुके हैं। सूत्रों की मानें तो कमेटी सीबीआई एक्शन के इंतजार में है।

मैं अफसरों को अपनी रिपोर्ट भेज चुका हूं। रिपोर्ट पर फैसला अफसरों को लेना है। रिपोर्ट में क्या कुछ है, यह मैं नहीं बता सकता।

-अनिल जोशी, डीएसपी सीआईडी

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हाईकोर्ट ने दिए आदेश, ईओ घर जाए और फैमिली पेंशन लगाए

चंडीगढ़. पंजाब सरकार के स्थानीय निकाय विभाग द्वारा एक मामले में विधवा को पेंशन जारी न करना हाईकोर्ट को नागवार गुजरा। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अनूठा फैसला सुनाते हुए गुरदासपुर की धारीवाल म्युनिसिपल काउंसिल (एमसी) के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (ईओ) को महिला के घर जाकर पेंशन संबंधी दस्तावेज पूरे करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ईओ तीन दिन में यह कार्रवाई पूरी करे और इसके बाद स्थानीय निकाय विभाग के उप निदेशक के पास खुद पेंशन दस्तावेज लेकर जाए। आगे एक सप्ताह में बाकी औपचारिकताएं पूरी की जाएं।

इसके बाद 31 मार्च से पहले प्रभावित परिवार के फैमिली पेंशन के दावे को स्वीकार किया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि निर्धारित समय में कार्रवाई नहीं की गई तो एक अप्रैल से ईओ और उप निदेशक समेत मामले से जुड़े सभी अधिकारी 5000 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से महिला को खर्च अदा करेंगे। अकांउटेंट, सुरपरिंटेंडेंट, ईओ, डिप्टी डायरेक्टर आदि से यह पैसा वसूला जाएगा।


आधिकारिक लापरवाही

धारीवाल निवासी मेवल की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया कि उसके पति स्वीपर के पद पर तैनात थे। 11 जनवरी 2008 को उनकी मौत हो गई। इसके बाद मेवल की तरफ से पेंशन व अन्य लाभ जारी किए जाने की मांग की गई। कहा गया कि वह अनपढ़ महिला है और परिवार के गुजर बसर के लिए पेंशन लाभ जारी किए जाएं। लाभ जारी न करने पर मेवल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

अदालत ने दो मार्च 2009 को एमसी के ईओ को याची की रिप्रेजेंटेंशन पर फैसला करने का निर्देश दिया। 25 मई 2009 को याची के दावे को खारिज कर दिया गया। फैसले के खिलाफ फिर हाईकोर्ट में दस्तक दी गई। अदालत ने दो फरवरी 2011 को याचिका स्वीकार कर पेंशन लाभ जारी करने के निर्देश दिए। बावजूद इसके पेंशन लाभ जारी न करने पर अदालत में अवमानना की याचिका दायर की गई जिस पर अदालत ने इसे आधिकारिक स्तर पर लापरवाही बताया।

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