महारैली में पात्र अध्यापकों की हुंकार
रोहतक, जागरण संवाद केंद्र : अतिथि हटाओ, पात्र अध्यापक लगाओ महारैली में प्रदेशभर के हजारों पात्र अध्यापकों ने स्थायी भर्ती की मांग को लेकर हुंकार भरी। पात्र अध्यापकों ने रैली के बाद शहर से जुलूस निकालकर लघु सचिवालय में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। रविवार को रोहतक के सेक्टर छह में पात्र अध्यापक संघ के बैनर तले हजारों पात्र अध्यापक इकट्ठा हुए। महारैली में संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने कहा कि सरकार नियमित भर्ती करने में आनाकानी कर रही है। कोर्ट के सख्तआदेश के बाद भी सरकार ने नियमित भर्ती के लिए विज्ञापन जारी नहीं किया है। वहीं, सरकार जुलाई में एक अन्य पात्रता परीक्षा लेने में तत्परता दिखा रही है। ऐसे में पहले से लाखों की संख्या में पात्रता परीक्षा पास युवाओं के सामने रोजगार के लाले पड़ते दिखाई दे रहे हैं। सरकार जब तक नियमित भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं करती तब तक पात्र अध्यापक रोहतक में क्रमिक अनशन जारी रखेंगे। संघ की ओर से प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने एलान किया कि नियमित भर्ती तक पात्र अध्यापक मुफ्त पढ़ाने की तैयारी कर चुके हैं। इसके लिए पिछले दिनों शिक्षा विभाग को शपथपत्र भी गया है। रैली में संघ की महिला विंग की प्रदेशाध्यक्ष अर्चना सुहासिनी ने कहा कि सरकार एडिड स्कूलों के स्टाफ को टेकओवर कर पिछले दरवाजे से नियमित अध्यापकों के स्वीकृत पदों को भर रही है।
संजय योगी, हिसार वर्तमान शिक्षा पद्धति विद्यार्थियों के लिए बोझ बनती जा रही है। इंजीनियर बनने की चाह रखने वाले 88 प्रतिशत विद्यार्थी स्ट्रेस का शिकार हैं। यह खुलासा गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ बिहेवियर रिसर्च एंड इंट्रावेंशन डिपार्टमेंट ऑफ अप्लाइड साइक्लोजी द्वारा कराए गए सर्वे में हुआ है। विभाग ने यह सर्वे शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य तथा वहां मिल रही मेंटल हेल्थ सुविधाओं को जानने के लिए कराया। सर्वे के तहत प्रदेश के 16 जिलों के 16 शिक्षण संस्थानों का सर्वे किया गया है। इनमें दो सरकारी व 14 निजी शिक्षण संस्थान हैं। इन संस्थानों के 32 सौ विद्यार्थियों से सर्वे के तहत बातचीत की गई हैं, जिनमें से 12 सौ छात्राएं हैं। सर्वे के तहत 88 प्रतिशत विद्यार्थियों ने बताया कि वह स्ट्रेस का शिकार हैं। यानि शिक्षा को बोझ मान रहे हैं। इसके अलावा इंटरनेट पर कई प्रकार की सूचना होने से निर्णय लेने की अक्षमता भी बढ़ी है। 55 प्रतिशत विद्यार्थी मानते हैं वह जल्दी से किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाते। यहीं नहीं इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों में तनाव की स्थिति लगातार बढ़ रही है। ऐसे विद्यार्थियों की संख्या 51 फीसद है, जो अपने आप को तनावग्रस्त महसूस कर रहे हैं।
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