चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश में निजी बस संचालकों को भी रोडवेज की बसों की तरह पात्र व्यक्तियों को मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान करनी होगी। प्रदेश सरकार ने नई परिवहन नीति में ऐसी व्यवस्था की है। इसके तहत निजी बस संचालकों को विद्यार्थियों, रियायती अथवा मुफ्त पास धारकों को हरियाणा राज्य परिवहन की बसों की भांति सुविधाओं का लाभ प्रदान करना होगा। प्रदेश में परिवहन सेवाओं की मांग व आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करने के लिए राज्य सरकार ने नई परिवहन नीति अधिसूचित की है। अभी तक इस नीति का क्रियान्वयन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में लंबित याचिका के कारण नहीं हो पाया है। कानूनी स्थिति की स्पष्टता अथवा हाई कोर्ट के आदेश प्राप्त होने के बाद इस नीति को लागू करने का दावा किया जा रहा है। राज्य परिवहन विभाग के बेड़े में पिछले साल तक 3485 बसें शामिल हैं। 2005 में इन बसों की संख्या 3294 थी। अब वर्ष 2012-13 के बजट में राज्य सरकार ने इन बसों की संख्या बढ़ाने का फैसला लिया है। साथ ही नई परिवहन नीति के अंतर्गत 965 मार्गो पर 2694 परमिट निजी संचालकों को दिए जाएंगे। चिह्नित मार्ग गांव, जिला और उपमंडल मुख्यालय को जोड़ने के लिए यह परमिट दिए जाने हैं। पूर्व वित्त मंत्री प्रो. संपत सिंह ने विधानसभा में राज्य की नई परिवहन नीति के बारे में जानकारी मांगी थी। जवाब में राज्य सरकार ने ब्योरा प्रदान किया है। इसके तहत पूरी बाडी की बस के लिए परमिट फीस 10 हजार रुपये और मिनी बस के लिए 5 हजार रुपये देनी होगी। परमिट धारक को पूरी बाडी की बस के लिए यात्री कर 25 हजार रुपये और मिनी बस के लिए 12,500 रुपये प्रतिमाह की दर से चुकाना होगा। मोटर वाहन कर 550 रुपये प्रति सीट प्रति वर्ष निर्धारित किया गया है। नई परिवहन नीति के मुताबिक वर्ष 1993 तथा 2001 की स्वीकृत स्कीमों के वर्तमान परमिट धारकों को नए आवेदकों पर परमिट आवंटन में स्कीम में दिए गए विवरण के अनुसार वरीयता दी जाएगी
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