चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दिए जाने वाले दोपहर के भोजन (मिड-डे मील) में चावल की मात्रा बढ़ा दी गई है और गेहूं की मात्रा कम कर दी गई है। नई व्यवस्था के मुताबिक स्कूलों में बच्चों को भोजन से पहले हाथ धोने के लिए साबुन उपलब्ध कराया जाएगा। जिन स्कूलों में खाना पकाने के बर्तन पुराने हो चुके हैं, उन्हें बदला जाएगा। प्रदेश सरकार की वार्षिक मिड-डे मील योजना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए मंगलवार को नई दिल्ली में हुई परियोजना स्वीकृति बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया। केंद्र सरकार के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अंशु वैश की अध्यक्षता में हुई बैठक में शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन ने राज्य की उपलब्धियों की जानकारी दी। प्रदेश में मिड-डे मील योजना के प्रभावी क्रियान्वयन का दावा करते हुए केंद्र सरकार ने हरियाणा की सराहना की है। बैठक में राज्य की वार्षिक मिड-डे मील योजना को अंतरिम रूप से स्वीकृति दी गई। परियोजना स्वीकृति बोर्ड ने राज्य द्वारा प्रेषित प्रस्ताव को स्वीकार कर वित्त वर्ष 2012-13 के लिए 269.07 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट अनुमोदित किया गया। वित्तायुक्त सुरीना राजन ने बैठक में बताया कि हरियाणा ने योजना के तहत 98 प्रतिशत बच्चों को लाभान्वित करने और प्रत्येक विद्यार्थी को थाली एवं चम्मच उपलब्ध कराने के साथ भोजन पकाने के लिए बर्तन उपलब्ध कराए हैं। यह अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय है। वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान प्रदेश में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ रहे 21,53,512 विद्यार्थियों को इस योजना के तहत लाभान्वित किया जाएगा। स्कूलों को अभी तक मिड-डे मील के लिए जहां 60 प्रतिशत चावल और 40 प्रतिशत गेहूं मिल रहा था। अब उनकी मांग पर इस अनुपात को 70 प्रतिशत चावल और 30 प्रतिशत गेहूं कर दिया गया है। इससे चावल अधिक हो गया है और गेहूं कम।
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