शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के तहत स्कूलों को 25 फीसद सीट आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए आरक्षित रखनी होगी। आशंका जताई जा रही है कि इन बच्चों की शिक्षा पर पड़ने वाला बोझ निजी स्कूल अन्य छात्रों पर डाल देंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इन आशंकाओं को रविवार को खारिज कर दिया।
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हर लड़की को स्कूल-कॉलेज पहुंचाने का लक्ष्य
प्रदेश में हर लड़की स्कूल और कॉलेज पहुंचे, अब यह सरकार सुनिश्चित करेगी। इस राह की सबसे बड़ी बाधा परिवहन सेवा को लेकर राज्य सरकार दोहरे विकल्प पर विचार कर रही है। औपचारिक-प्रस्ताव भी तैयार है। जल्दी ही ठोस निर्णय ले लिया जाएगा। कक्षा छह से बारहवीं तक की छात्राओं को जहां साइकिल दी जाएगी वहीं
उच्च संस्थानों के लिए बस या ऑटो का विकल्प तलाशा जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश में लिंगानुपात ही नहीं, लड़कियों की शिक्षा दर भी चिंताजनक है। काफी लड़कियों की शिक्षा पांचवीं कक्षा के बाद छुड़वा दी जाती है तो कई की 8वीं के बाद। कॉलेज तक तो बहुत ही थोड़ी लड़कियां पहुंच पाती हैं। इसका एक बड़ा कारण लड़कियों के लिए घर से स्कूल या कॉलेज के बीच समुचित परिवहन सेवा नहीं होना है। ऐसे में राज्य सरकार ने लड़कियों को शिक्षित करने के लिए उक्त समस्या को समूल नष्ट करने का निर्णय लिया है। जागरण से बातचीत में राज्य की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने रविवार को अपने झज्जर निवास पर बताया कि छठी से 12वीं कक्षा तक की सभी छात्राओं को सरकार की ओर से साइकिल देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। फिलहाल इस बाबत अनुमानित खर्च का एस्टीमेट लगाया जा रहा है। दूसरी तरफ उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए सरकार बस या ऑटो के विकल्प पर विचार कर रही है। मालूम हो कि पूर्व में भी स्कूली छात्राओं को साइकिल दी जाती थी किन्तु सिर्फ छठी कक्षा में। बाद में यह योजना भी बंद हो गई थी। उन्होंने बताया कि स्कूली बच्चों में कंप्यूटर एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के 2662 स्कूलों में नए कंप्यूटर भेजे जा चुके हैं। साथ ही कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया आरंभ की जा चुकी है। आइटीआइ में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को दाखिले के समय ही टूल किट प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।www.teacherharyana.blogspot.in
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हर लड़की को स्कूल-कॉलेज पहुंचाने का लक्ष्य
प्रदेश में हर लड़की स्कूल और कॉलेज पहुंचे, अब यह सरकार सुनिश्चित करेगी। इस राह की सबसे बड़ी बाधा परिवहन सेवा को लेकर राज्य सरकार दोहरे विकल्प पर विचार कर रही है। औपचारिक-प्रस्ताव भी तैयार है। जल्दी ही ठोस निर्णय ले लिया जाएगा। कक्षा छह से बारहवीं तक की छात्राओं को जहां साइकिल दी जाएगी वहीं
उच्च संस्थानों के लिए बस या ऑटो का विकल्प तलाशा जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश में लिंगानुपात ही नहीं, लड़कियों की शिक्षा दर भी चिंताजनक है। काफी लड़कियों की शिक्षा पांचवीं कक्षा के बाद छुड़वा दी जाती है तो कई की 8वीं के बाद। कॉलेज तक तो बहुत ही थोड़ी लड़कियां पहुंच पाती हैं। इसका एक बड़ा कारण लड़कियों के लिए घर से स्कूल या कॉलेज के बीच समुचित परिवहन सेवा नहीं होना है। ऐसे में राज्य सरकार ने लड़कियों को शिक्षित करने के लिए उक्त समस्या को समूल नष्ट करने का निर्णय लिया है। जागरण से बातचीत में राज्य की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने रविवार को अपने झज्जर निवास पर बताया कि छठी से 12वीं कक्षा तक की सभी छात्राओं को सरकार की ओर से साइकिल देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। फिलहाल इस बाबत अनुमानित खर्च का एस्टीमेट लगाया जा रहा है। दूसरी तरफ उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए सरकार बस या ऑटो के विकल्प पर विचार कर रही है। मालूम हो कि पूर्व में भी स्कूली छात्राओं को साइकिल दी जाती थी किन्तु सिर्फ छठी कक्षा में। बाद में यह योजना भी बंद हो गई थी। उन्होंने बताया कि स्कूली बच्चों में कंप्यूटर एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के 2662 स्कूलों में नए कंप्यूटर भेजे जा चुके हैं। साथ ही कंप्यूटर शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया आरंभ की जा चुकी है। आइटीआइ में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को दाखिले के समय ही टूल किट प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।www.teacherharyana.blogspot.in
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