अब पेन ड्राइव कम करेगी बस्तों के बोझ को!+++टीचर की जिद ने बदल दी कमलदीप की जिंदगी

हिसार. भिवानी. केंद्रीय विद्यालय संगठन ने बेहतर शिक्षा के लिए नई योजना बनाई है। ई-सीटीएलटी नाम की इस योजना में केंद्रीय विद्यालयों में बच्चों को आधुनिक जमाने की शिक्षा की जाएगी। इसमें अध्यापक कंप्यूटर पर पेन ड्राइव लगाकर बच्चों को पढ़ाएंगे। बच्चे भी अपने पेन ड्राइव में रोज का पाठ घर ले जा सकेंगे।

स्कूल के बच्चों में कंप्यूटर ज्ञान भी बढ़ेगा 

इस तकनीक से बच्चों के कंधों पर किताबों का बोझ कम होगा वहीं इस माध्यम से बच्चे कंप्यूटर से भी ज्यादा जुड़ेंगे। घर पर पेन ड्राइव में पाठ होने से तैयारी भी कर सकेंगे। पिछले साल ही केवीएस के सभी स्कूलों में यह योजना शुरू किए जाने की प्लानिंग थी। नॉर्थ ईस्ट राज्यों के 68 स्कूलों में ही यह शुरू हो सकी थी। नए सत्र से देश के सभी केंद्रीय स्कूलों में इस सिस्टम से पढ़ाई कराई जाएगी।

पेन ड्राइव में पूरा सिलेबस

ई-सीटी एलटी एक लर्निग सॉफ्टवेयर है। इसकी सहायता से केवीएस की सभी कक्षाओं के सभी विषयों के टॉपिक्स को डिजिटलाइज कर दिया गया है। इसकी एक मास्टर कॉपी सभी केवीएस सेंटर को भेजी जाएगी। इसके तहत क्लास में प्रोजेक्टर के माध्यम से किसी भी विषय की पढ़ाई बेहतर तरीके से कराई जा सकेगी।

पढ़ाई को रोचक बनाने के उद्देश्य से इसमें थ्रीडी तकनीक का प्रयोग भी किया गया है। साथ ही प्रश्नों के उत्तर को समझाने के लिए उदाहरण का भी प्रयोग किया गया है। ताकि कठिन से कठिन टॉपिक भी स्टूडेंट्स को आसानी से समझाया जा सके। केंद्रीय विद्यालय संगठन को इस पद्धति से यह फायदा होगा कि देशभर के स्कूल अपनी गतिविधि, पाठयक्रम डिस्कस कर सकेंगे।
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\
करनाल . तीन बरस पहले ट्रेन की चपेट में आने से मासूम दोनों हाथ गंवा बैठा। कई माह कोमा में रहने के बाद जो जिंदगी नसीब हुई, वह बस चल फिरने लायक थी। पापा ने सोचा स्कूल में पढ़ेगा तो क्या बस बोलने लगे, इसी तमन्ना के साथ स्कूल छोड़ दिया। टीचर ने जिद कर मासूम की जिंदगी बदल दी। 
 

अथक मेहनत का नतीजा यह निकला कि अब वही मासूम दूसरी कक्षा में पढ़ता है, अंग्रेजी व हिंदी तो
फर्राटे के साथ लिखना व पढ़ना, साथ में कंप्यूटर पर शानदार पेंटिंग भी बना देता है। यही नहीं खुद जूतों के जेस बांधता है और खुद ही टाई लगाता है। अपने सहपाठियों को भी वह नसीहत देना नहीं भूलता कि मेहनत करो, फल जरूर मिलेगा। बस उसकी तमन्ना यही है कि वह या तो इंजीनियर बने या फिर पेंटर बने। 

हम बात कर रहे हैं करनाल के गांव साबली में रहने वाले सात वर्षीय कमलदीप पुत्र सुरेश कुमार की।तीन साल पहले मां की गोद से गिरकर वह ट्रेन की पटरी पर जा पड़ा और ट्रेन की चपेट में आने से उसके दोनों हाथ नहीं रहे। 



किसी तरह भगवान ने जिंदगी तो बख्श दी, लेकिन जिंदगी बोझ न बने, पापा ने कई स्कूलों में उसका दाखिला कराना चाहा, किसी ने हां नहीं की। आखिरकार महाराणा प्रताप स्कूल साबली में उसे पढ़ने की इजाजत मिल गई। स्कूल डायरेक्टर एवं प्रिंसीपल पवन राणा ने न केवल उसे इजाजत दी, बल्कि निशुल्क पढ़ाने का निर्णय लिया। 


स्कूल टीचर आशा भूटानी ने जिद की कि वह बच्चे को न केवल पढ़ना, बल्कि लिखना भी सिखाएंगी। अथक मेहनत एवं हौसला देते हुए टीचर ने उसे अंग्रेजी व हिंदी में दक्ष बना दिया। चंद दिनों बाद वह कंप्यूटर पर बैठने लगा और माउस भी मानो कमलदीप का गुलाम हो गया। क्या शानदार पेंटिंग और कंप्यूटर की नॉलेज उसे हुई, इससे स्कूल के बच्चे उसे ही लिटिल मास्टर कहने लगे हैं। 

पांव की अंगुलियां गिनकर सीखा मैथ 


हादसे में उसके हाथों की दो अंगुली व एक अंगूठा बच गए थे, लेकिन यह डेड हैं। काम नहीं कर रहे हैं। किसी तरह वह कलम एवं पैंसिल पकड़ लेता है और फिर होम वर्क हो या फिर कंप्यूटर चलाता है। कमलदीप अपने पांव की अंगुलियों को गिनकर मैथ के सम हल करता है। वह यही कहता है कि भगवान ने जो किया सो किया, अब वह अपनी मेहनत के बल पर जिंदगी संवारेगा। वह अपनी टीचर को कभी भूला नहीं पाएगा।

No comments:

Post a Comment

thanks for your valuable comment

See Also

Education News Haryana topic wise detail.