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चंडीगढ़, जागरण संवाददाता : आíथक पिछड़े वर्ग की परिभाषा क्या है, प्रदेश सरकार को अभी तक इसे तय करने में नाकाम रही है। बुधवार को मामले की सुनवाई के कोर्ट के सवाल पर सरकार कोई जवाब नहीं दे पाई। जिस पर कोर्ट ने सरकार को इस बाबत राज्य के किसी भी विभाग या केंद्र सरकार द्वारा जारी परिभाषा के आधार पर आíथक पिछड़े वर्ग की परिभाषा तय करने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। मामले में याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि प्रदेश में आरटीई के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 25 प्रतिशत बच्चों में केवल बीपीएल कार्ड होल्डर को ही निजी स्कूलों में दाखिला दिया जा रहा है जबकि बीपीएल व आर्थिक रूप से कमजोर दोनों अलग-अलग श्रेणी है। कोर्ट ने जब इस विषय पर जब सरकार के वकील से स्पष्टीकरण मांगा था तो वो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। जिस पर कोर्ट ने सरकार से आर्थिक रूप से कमजोर की पूरी परिभाषा तय करने को कहा है। सरकार ने कोर्ट में बताया कि शिक्षा निदेशालय ने सभी स्कूलों को निर्देश दिए हुए है कि अगर हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट के तहत प्रवेश देने में किसी स्कूल ने नियम को तोड़ा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने यह जानकारी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दी। याचिका में मान्यता प्राप्त स्कूलों में हरियाणा स्कूल एजुकेशन एक्ट के तहत आíथक पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए जो 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई उनके बारे में पूछा गया है।
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