उच्च शिक्षा के ऋण पर सब्सिडी की योजना+++शिक्षा मंत्री की अपील बेअसर निदेशक का पुतला फूंका

 केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए दिए जाने वाले ऋण पर सब्सिडी प्रदान करने की योजना है। यह सब्सिडी 12वीं कक्षा के बाद तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने वाले उन विद्यार्थियों को दी जाएगी, जिनके अभिभावकों की वार्षिक आय साढे़ चार लाख रुपये से अधिक नहीं है। ऋण पर सब्सिडी केवल उन्हीं विद्यार्थियों को दी जाएगी, जो केंद्र तथा राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करेंगे। ऋण की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये निर्धारित की गई है। ऐसे ऋणों की वापसी कोर्स पूरा होने के एक वर्ष उपरांत अथवा नौकरी मिलने के छह महीने बाद, जो भी पहले हो, उसके आधार पर करनी होगी। इस अवधि के बाद ऋण की अदायगी न करने वाले विद्यार्थियों से शिक्षा ऋण योजना के अनुसार ब्याज की वसूली की जाएगी। इस योजना का लाभ केवल उन्हीं विद्यार्थियों को दिया जाएगा जिनकी पारिवारिक आय साढे़ चार लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आर्थिक आधार पर आय प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकारी को नियुक्त करें। बैंक इसे राज्य सरकार द्वारा गठित जिला स्तरीय सलाहकार समिति की अधिसूचना के अनुसार लागू करेंगे। योजना के अंतर्गत ब्याज सब्सिडी का लाभ केवल एक ही बार उठाया जा सकता है। यह लाभ किसी अंडर ग्रेजुएट डिग्री कोर्स अथवा पोस्ट ग्रेजुएट/डिप्लोमा कोर्स के लिए उठाया जा सकेगा। ब्याज सब्सिडी का लाभ पूरे कोर्स के लिए दिया जाएगा। बीच में शिक्षा अधूरी छोड़ने वाले विद्यार्थियों को लाभ नहीं मिलेगा। अनुशासन व शैक्षणिक कारणों से संस्थान से निष्कासित होने वाले विद्यार्थियों को भी इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। यदि स्वास्थ्य कारणों से कोई विद्यार्थी शिक्षा बीच में छोड़ता है तो उचित प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर उसे ब्याज सब्सिडी का लाभ मिल सकता है। योजना का लाभ प्रत्येक वर्ष एक अप्रैल से दिया जाता है। इस योजना के लिए केनरा बैंक को नोडल बैंक बनाया गया है, उसी के माध्यम से ही ऋण सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
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 नए सेवा नियमों में चार वर्ष के अनुभव वाले शिक्षकों को पात्रता परीक्षा से छूट देने संबंधी निर्णय के विरुद्ध पात्र अध्यापकों का आमरण अनशन शनिवार को 5वें दिन में प्रवेश कर गया। गिरते स्वास्थ्य के मद्देनजर शिक्षामंत्री ने अनशन समाप्त करने की अपील की, लेकिन पात्र अध्यापकों ने कहा कि वे न्याय मिलने तक अपना अनशन जारी रखेंगे। पात्र अध्यापकों ने शनिवार को वाहनों के शीशे साफ कर अपनी गांधी गिरी जारी रखी। सोशल साइट फेसबुक पर भी पात्र अध्यापकों को समर्थन मिल रहा है। आमरण अनशन के पांचवें दिन पंचकूला प्रशासन ने पात्र अध्यापकों के गिरते स्वास्थ्य की जांच की तथा उनसे अस्पताल में भर्ती होने की अपील की। पिछले पांच दिन से मात्र पानी पर निर्भर पात्र अध्यापकों के डाक्टरी मुआयने के बाद महिला विंग अध्यक्ष अर्चना सुहासिनी, अशोक शास्त्री व नानकचंद का ब्लड प्रेशर 70-100 पाया गया, वहीं पीलिया के लक्षण भी पाए गए। प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा, प्रेम अहलावत आदि अन्य अनशनकारियों का ब्लड प्रेशर भी कम पाया गया। पात्र अध्यापक शनिवार को उस वक्त तैश में आ गए, जब निदेशक ने पात्र अध्यापकों की मांग व आमरण अनशन से अनभिज्ञता जाहिर की। निदेशक के जवाब से बिफरे पात्र अध्यापकों ने उनका पुतला फूंक कर विरोध जताया। पात्र अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा ने कहा कि निदेशक का पात्र अध्यापकों की मांग व आमरण अनशन से अनभिज्ञता जताना साबित करता है कि शिक्षा निदेशालय में किस तरह के संवेदनहीन अधिकारी शिक्षा विभाग चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस अधिकारी को उसके कार्यालय के बाहर हो रही गतिविधियों का ही पता न हो, वो भला प्रदेश में क्या शिक्षा का उद्धार करेगा।

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