हरियाणा सिविल सर्विसेज के प्रश्नपत्र केवल अंग्रेजी में देने के खिलाफ याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार और हरियाणा पब्लिक सर्विस कमिशन को नोटिस जारी 9 जुलाई को जवाब मांगा है। सोनीपत के फूल कुमार की याचिका में कहा गया है कि हरियाणा का गठन ही ¨हदी भाषाई प्रदेश के आधार पर किया गया था व जहां ¨हदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है। राज्य के अधिकतर ग्रैजुएट ¨हदी माध्यम से अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं। उस राज्य की प्रशासनिक सेवाएं हरियाणा सिविल सíवसेज (एचसीएस) की दोनों प्रारंभिक एवं मेन परीक्षा में आने वाला प्रश्नपत्र केवल अंग्रेजी भाषा
में दिया जाता है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि एचसीएस परीक्षाओं के दोनों प्रश्नपत्रों में अंग्रेजी के साथ-साथ ¨हदी भाषा में भी प्रश्न पूछे जाने चाहिए। याचिका में बताया गया है कि 1 नवंबर 1966 को पंजाब के ¨हदी भाषाई क्षेत्र को हरियाणा राज्य का दर्जा दिया गया था। सरदार हुकम ¨सह पाíलयामेंटरी कमेटी एवं शाह कमीशन ने हरियाणा राज्य की सीमाओं को ¨हदी भाषा बोलने वालों के आधार पर तय किया था। वर्ष 1969 ¨हदी को हरियाणा की राजभाषा एवं आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया था। बावजूद इसके 13 मार्च 2008 को सरकार द्वारा हयिाणा सिविल सíवसेज (एग्जीक्यूटिव ब्रांच) रूल्स 2008 की नोटिफिकेशन जारी कर दी गई जिसमें यह तय कर दिया गया कि एचसीएस की प्रारंभिक एवं मेन परीक्षा का प्रश्नपत्र केवल अंग्रेजी भाषा में सेट किया जाएगा। याचिकाकत्र्ता ने बताया कि उसकी ही तरह राज्य के अधिकतर ग्रेजुएट ¨हदी माध्यम से पढे़ हैं और जो छात्र पिछले 15-16 वर्षो से ¨हदी भाषा में पढ़ा हो उसके लिए अंग्रेजी भाषा में पूछे गए प्रश्नों एवं उनकी टर्मनोलॉजी से वाकिफ नहीं होते। ऐसे में विषय के बारे में पूरी जानकारी होने के बावजूद वह प्रश्नों के उत्तर देने में उन्हें कठिनाई आती है। उत्तराखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश के स्टाफ सलेक्शन कमीशन एवं यहां तक की यूनियन पब्लिक सíवस कमीशन परीक्षाओं के प्रश्नपत्र अंग्रेजी के साथ-साथ ¨हदी में भी दिए जाते हैं। इससे दोनों माध्यम में पढ़ने वाले छात्रों को बराबर का अवसर मिल जाता है। हरियाणा सरकार द्वारा एचसीएस परीक्षाओं में केवल अंग्रेजी में प्रश्न पूछे जाने से न केवल भाषा के आधार पर छात्रों से भेदभाव किया जा रहा है, बल्कि यह संविधान की धारा-14, 16 एवं 351 को उल्लंघन है।
में दिया जाता है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि एचसीएस परीक्षाओं के दोनों प्रश्नपत्रों में अंग्रेजी के साथ-साथ ¨हदी भाषा में भी प्रश्न पूछे जाने चाहिए। याचिका में बताया गया है कि 1 नवंबर 1966 को पंजाब के ¨हदी भाषाई क्षेत्र को हरियाणा राज्य का दर्जा दिया गया था। सरदार हुकम ¨सह पाíलयामेंटरी कमेटी एवं शाह कमीशन ने हरियाणा राज्य की सीमाओं को ¨हदी भाषा बोलने वालों के आधार पर तय किया था। वर्ष 1969 ¨हदी को हरियाणा की राजभाषा एवं आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया था। बावजूद इसके 13 मार्च 2008 को सरकार द्वारा हयिाणा सिविल सíवसेज (एग्जीक्यूटिव ब्रांच) रूल्स 2008 की नोटिफिकेशन जारी कर दी गई जिसमें यह तय कर दिया गया कि एचसीएस की प्रारंभिक एवं मेन परीक्षा का प्रश्नपत्र केवल अंग्रेजी भाषा में सेट किया जाएगा। याचिकाकत्र्ता ने बताया कि उसकी ही तरह राज्य के अधिकतर ग्रेजुएट ¨हदी माध्यम से पढे़ हैं और जो छात्र पिछले 15-16 वर्षो से ¨हदी भाषा में पढ़ा हो उसके लिए अंग्रेजी भाषा में पूछे गए प्रश्नों एवं उनकी टर्मनोलॉजी से वाकिफ नहीं होते। ऐसे में विषय के बारे में पूरी जानकारी होने के बावजूद वह प्रश्नों के उत्तर देने में उन्हें कठिनाई आती है। उत्तराखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश के स्टाफ सलेक्शन कमीशन एवं यहां तक की यूनियन पब्लिक सíवस कमीशन परीक्षाओं के प्रश्नपत्र अंग्रेजी के साथ-साथ ¨हदी में भी दिए जाते हैं। इससे दोनों माध्यम में पढ़ने वाले छात्रों को बराबर का अवसर मिल जाता है। हरियाणा सरकार द्वारा एचसीएस परीक्षाओं में केवल अंग्रेजी में प्रश्न पूछे जाने से न केवल भाषा के आधार पर छात्रों से भेदभाव किया जा रहा है, बल्कि यह संविधान की धारा-14, 16 एवं 351 को उल्लंघन है।
No comments:
Post a Comment
thanks for your valuable comment