हजारों लोगों को नौकरी देने वाले हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन व सदस्यों की स्वयं की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। बृहस्पतिवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये नियुक्तियां राजनीतिक कारणों से हुई हैं, योग्यता व नियमों के तहत नहीं। हिसार निवासी विकेंद्र मलिक ने अपने वकील हरिओम अत्री के माध्यम से दायर याचिका में इन नियुक्तियों की अधिसूचना रद करने की मांग की गई है। याचिका में बताया गया है कि याची ने राज्य सरकार से सूचना के अधिकार के तहत एसएससी के चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति व प्रकिया की पूरी जानकारी मांगी थी। राज्य सरकार ने केवल शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल, मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी व सरकार की एलआर का एक कॉलेजियम बनाया, जिसने 20 अक्टूबर को एक बैठक कर विजय कुमार को एचएसएससी के चेयरमैन पद पर नियुक्ति की सिफारिश
कर दी। इसमें आधार दिया गया कि वह 2005 से एचएसएससी के सदस्य हैं और अच्छा काम कर रहे हैं। साथ ही जानकारी मिली कि इसी कॉलेजियम ने विनय शर्मा, अशोक कुमार जैन और राम शरण भोला के नाम की 24 अक्टूबर 2011 को एक बैठक कर सिफारिश कर दी व सरकार ने उनकी नियुक्ति कर दी। इसके लिए सरकार ने किसी से भी आवेदन नही मांगा। याचिका में कहा गया है कि नियुक्ति प्रक्रिया में हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ के दिशा निर्देश का कहीं पालन नहीं किया गया है।
कर दी। इसमें आधार दिया गया कि वह 2005 से एचएसएससी के सदस्य हैं और अच्छा काम कर रहे हैं। साथ ही जानकारी मिली कि इसी कॉलेजियम ने विनय शर्मा, अशोक कुमार जैन और राम शरण भोला के नाम की 24 अक्टूबर 2011 को एक बैठक कर सिफारिश कर दी व सरकार ने उनकी नियुक्ति कर दी। इसके लिए सरकार ने किसी से भी आवेदन नही मांगा। याचिका में कहा गया है कि नियुक्ति प्रक्रिया में हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ के दिशा निर्देश का कहीं पालन नहीं किया गया है।
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