इसे प्रदेश का दुर्भाग्य कहें या शिक्षा विभाग की लापरवाही लेकिन देश-विदेश में खासी प्रशंसा बटोरने वाली भट्ठा स्कूल योजना ने दम तोड़ दिया। इसके साथ ही पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की इन स्कूलों को देखने एवं इनमें पढ़ने वाले बच्चों से रूबरू होने की इच्छा भी मन में ही रह गई। गौरतलब है कि प्रदेशभर में सर्वाधिक भट्ठे (लगभग 653) झज्जर में ही हैं पर इनमें काम करने वाले मजदूरों के बच्चे शिक्षा से वंचित ही रह जाते थे। इसीलिए वर्ष 2006-07 में झज्जर के तत्कालीन अतिरिक्त उपायुक्त (वर्तमान में उपायुक्त) अजित बालाजी जोशी की पहल पर भट्ठा स्कूल शुरू किए गए। इन स्कूलों को इस हद तक सराहना मिली कि बाद में प्रदेश ही नहीं, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की संस्तुति पर पूरे देश में भट्ठा स्कूल शुरू कर दिए गए। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी इनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। 1 दिसंबर 2011 को उन्होंने उपायुक्त जोशी को दिल्ली आवास पर बुलाया और इन्हें देखने के लिए झज्जर आने की इच्छा जाहिर की। लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि इस साल मानसून
आरंभ होने को है ये स्कूल अब तक अस्तित्व में नहीं आए। डॉ. कलाम के यहां से बाद में भी उपायुक्त कार्यालय में दो बार फोन आ चुका है। सर्वशिक्षा अभियान के विशेष परियोजना निदेशक पंकज यादव का कहना है कि भट्ठा स्कूल योजना बंद कर दी गई है। कई तरह के घपलों का आरोप लगने के बाद केंद्र सरकार ने इनके लिए फंड देने से ही मना कर दिया है। भट्ठा स्कूलों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए उन्हें सर्वशिक्षा अभियान के तहत समीपवर्ती स्कूल ले जाया जाएगा। दूसरी तरफ उपायुक्त अजित जोशी कहते हैं कि आरटीई के तहत भट्ठा स्कूलों को बंद करने की बात कहीं नहीं की गई है। क्योंकि भट्ठों के बच्चों को सामान्य स्कूलों में शिक्षा दिलाना संभव ही नहीं है। वैसे भी यदि इस योजना में खामी होती तो यूनेस्को से प्रशंसा नहीं मिलती। अगले सत्र से इन्हें कुछेक बदलावों के साथ नए नाम सपोर्टिव क्लासेस से आरंभ कराया जाएगा। राज्य की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल का कहना है कि कहीं कुछ कम्युनिकेशन गैप है। एनजीओ के बारे में भी विवाद चल रहा है। इन बच्चों के लिए परिवहन सुविधा देना विचाराधीन है। सारी फाइलें देखकर ही कुछ कह पाऊंगी।
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प्रदेश के स्कूलों में पिछले सत्र से दो माह के लिए लागू की गई वर्क एजुकेशन भी शिक्षा विभाग के लिए जी का जंजाल बन सकती है। दो माह के लिए रखे गए वर्क एजुकेशन टीचर बाकायदा एकजुट होने लगे हैं। उन्हें एकजुट करने का काम सर्वकर्मचारी संघ हरियाणा ने किया है। वर्क एजुकेशन टीचर यूनियन का बाकायदा गठन करने के साथ ही प्रदेशभर में संघर्ष करने की रणनीति भी तैयार कर ली गई है।
आरंभ होने को है ये स्कूल अब तक अस्तित्व में नहीं आए। डॉ. कलाम के यहां से बाद में भी उपायुक्त कार्यालय में दो बार फोन आ चुका है। सर्वशिक्षा अभियान के विशेष परियोजना निदेशक पंकज यादव का कहना है कि भट्ठा स्कूल योजना बंद कर दी गई है। कई तरह के घपलों का आरोप लगने के बाद केंद्र सरकार ने इनके लिए फंड देने से ही मना कर दिया है। भट्ठा स्कूलों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए उन्हें सर्वशिक्षा अभियान के तहत समीपवर्ती स्कूल ले जाया जाएगा। दूसरी तरफ उपायुक्त अजित जोशी कहते हैं कि आरटीई के तहत भट्ठा स्कूलों को बंद करने की बात कहीं नहीं की गई है। क्योंकि भट्ठों के बच्चों को सामान्य स्कूलों में शिक्षा दिलाना संभव ही नहीं है। वैसे भी यदि इस योजना में खामी होती तो यूनेस्को से प्रशंसा नहीं मिलती। अगले सत्र से इन्हें कुछेक बदलावों के साथ नए नाम सपोर्टिव क्लासेस से आरंभ कराया जाएगा। राज्य की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल का कहना है कि कहीं कुछ कम्युनिकेशन गैप है। एनजीओ के बारे में भी विवाद चल रहा है। इन बच्चों के लिए परिवहन सुविधा देना विचाराधीन है। सारी फाइलें देखकर ही कुछ कह पाऊंगी।
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प्रदेश के स्कूलों में पिछले सत्र से दो माह के लिए लागू की गई वर्क एजुकेशन भी शिक्षा विभाग के लिए जी का जंजाल बन सकती है। दो माह के लिए रखे गए वर्क एजुकेशन टीचर बाकायदा एकजुट होने लगे हैं। उन्हें एकजुट करने का काम सर्वकर्मचारी संघ हरियाणा ने किया है। वर्क एजुकेशन टीचर यूनियन का बाकायदा गठन करने के साथ ही प्रदेशभर में संघर्ष करने की रणनीति भी तैयार कर ली गई है।
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