नेट के भंवर में फंसे नेट के छात्र

व्याख्याता बनने का सपना पूरा करने के लिए विजय पिछले एक वर्ष से दिन-रात किए हुए था जब इस बार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) के लिए आवेदन मांगे तो उसने बडे़ ही उत्साह के साथ फार्म खरीदा और ऑनलाइन भरने के लिए साइबर कैफे पर पहुंचा। परंतु उसके दिल पर तब तुषारापात हुआ जब उसे पता चला कि पांच दिनों से आयोग का सर्वर ठप है। यह कहानी सिर्फ विजय की नहीं बल्कि भिवानी सहित अनेक शहरों के हजारों छात्रों की है जो पांच दिनों से सुबह होते ही इंटरनेट पर यूजीसी की लेक्चररशिप का फार्म ऑनलाइन भरने के लिए बैठते हैं परंतु साइट खुल नहीं पा रही है। इंटरनेट (अंतरजाल) के खराब होने के कारण नेट के फार्म भरने वाले स्वयं को भंवर में फंसते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि यूजीसी ने साइट ओपन नहीं होने की बाबत पिछले दिनों ऑनलाइन फार्म जमा कराने की अवधि दो दिन बढ़ाकर 2 मई कर दी थी। फार्म न भरे जाने की परेशानी तो है साथ ही आर्थिक नुकसान होने का डर है। फार्म के साथ सामान्य छात्रों की पांच सौ रुपये फीस भी आयोग के खाते में जमा हुई है। अनुमान के अनुसार यदि प्रदेश भर से एक हजार सामान्य वर्ग के छात्रों ने पांच सौ रुपये के हिसाब से फीस भरी हो तो आयोग के लिए के पास पांच लाख जमा हुए हैं। अब यदि आयोग आवेदन तिथि बढ़ा भी दें और साइट न खुली तो हजारों छात्रों को चपत लग जाएगी। नंबर खराब है दोबारा कोशिश कीजिए : जब आधिकारिक बातचीत के लिए
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की साइट पर दिए फोन नंबर 011-23239627 पर संपर्क किया गया तो वहां से फोन खराब होने की सूचना मिली।http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=8&edition=2012-05-02&pageno=3#id=111739433571098176_8_2012-05-02

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