तेजी से बने नए नियमों में तीन मुख्य बातें पुराने नियमों से अलग थीं। पहली- चयनित टीचरों को रेगुलर नियुक्ति के बजाय कांट्रैक्ट पर रखा जाएगा। एक-एक साल के कांट्रेक्ट पर पांच साल के बाद संतोषजनक सर्विस के आधार पर टीचरों को नियमित किया जाना था। कांट्रेक्ट के दौरान आधा वेतन, छुट्टियां समाप्त, प्रतिपूर्ति आदि भी कम थे। दूसरी- टीचर भरती के लिए टीचर एलिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास की अनिवार्यता समाप्त कर चार साल का टीचिंग अनुभव जरूरी बनाया गया। तीसरी- कांट्रेक्ट की शर्तों में
12 सप्ताह से अधिक समय की गर्भवती महिला को प्रसूति के बाद ही ज्वाइन करवाना।
नए नियमों पर जब मंत्रियों के हस्ताक्षर करवा लिए गए, तब स्कूल शिक्षा विभाग ने टीईटी टेस्ट से छूट देने के मामले की फाइल फिर से मंत्रिमंडल सचिव (मुख्य सचिव) के पास भेजी, क्योंकि केंद्र सरकार ने आरटीई के तहत टीचर नियुक्ति के लिए टेस्ट पास होना जरूरी कर दिया है। मुख्य सचिव ने यह फाइल मुख्यमंत्री के पास न भेजते हुए शिक्षा विभाग को लौटा दी और 11 अप्रैल को नए नियम अधिसूचित कर दिए गए।
अमर उजाला में जब नए नियमों के बारे में खबरें प्रकाशित हुई तो टीचर संघों ने नियमों का विरोध शुरू कर दिया। आखिर 12 दिन बाद सरकार ने रूल्स में संशोधन का फैसला कर नियमों को पलट दिया। अब सिर्फ टीईटी टेस्ट पास से छूट की शर्त बरकरार है, हालांकि इस बारे में भी प्रदेश के सवा लाख टेस्ट पास बेरोजगारों ने भी |धमकी दे रखी है कि नियम नहीं बदले जाने पर 6 मई को रोहतक में सामूहिक आत्मदाह किया जाएगा।
•सर्कुलेशन से मंत्रियों के कराए थे हस्ताक्षर
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