तेजी से बने नए नियमों में तीन मुख्य बातें पुराने नियमों से अलग थीं। पहली- चयनित टीचरों को रेगुलर नियुक्ति के बजाय कांट्रैक्ट पर रखा जाएगा। एक-एक साल के कांट्रेक्ट पर पांच साल के बाद संतोषजनक सर्विस के आधार पर टीचरों को नियमित किया जाना था। कांट्रेक्ट के दौरान आधा वेतन, छुट्टियां समाप्त, प्रतिपूर्ति आदि भी कम थे। दूसरी- टीचर भरती के लिए टीचर एलिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास की अनिवार्यता समाप्त कर चार साल का टीचिंग अनुभव जरूरी बनाया गया। तीसरी- कांट्रेक्ट की शर्तों में
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हड़बड़ाहट में बना दिए थे टीचर सर्विस रूल्स! कर्मचारी संघों के विरोध पर वापस लिए नए नियम
तेजी से बने नए नियमों में तीन मुख्य बातें पुराने नियमों से अलग थीं। पहली- चयनित टीचरों को रेगुलर नियुक्ति के बजाय कांट्रैक्ट पर रखा जाएगा। एक-एक साल के कांट्रेक्ट पर पांच साल के बाद संतोषजनक सर्विस के आधार पर टीचरों को नियमित किया जाना था। कांट्रेक्ट के दौरान आधा वेतन, छुट्टियां समाप्त, प्रतिपूर्ति आदि भी कम थे। दूसरी- टीचर भरती के लिए टीचर एलिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) पास की अनिवार्यता समाप्त कर चार साल का टीचिंग अनुभव जरूरी बनाया गया। तीसरी- कांट्रेक्ट की शर्तों में
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