हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड सेमेस्टर सिस्टम को लेकर बैकफुट पर आ गया है। इसी के तहत दसवीं व बारहवीं कक्षा की प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा स्कूल स्तर पर करवाने की तैयारी शुरू हो गई है। इस निर्णय से जहां लाखों परीक्षार्थियोंको परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने की दौड़ धूप से छुटकारा मिलेगा, वहीं बोर्ड प्रशासन को दूसरी परीक्षाओं के लिए डेढ़ माह तक का समय बच जाएगा। प्रशासनिक शाखा के सूत्रों के अनुसार इस संबंध में बोर्ड की सभी शाखाओं के सचिवों की 28 अप्रैल को बोर्ड मुख्यालय पर बैठक बुलाई की गई थी। बैठक में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा स्कूल स्तर पर करवाने के मुद्दे पर विचार किया गया। पृष्ठांकन क्रमांक 3455, प्रशासन शाखा दिनांक 3 मई के अनुसार बैठक में सभी अधिकारियों का विचार था कि पिछले वर्षो में बोर्ड द्वारा दोनों सेमेस्टर की परीक्षा का संचालन करना कारगर सिद्ध नहीं हो रहा है। इन परीक्षाओं के अतिरिक्त भी बोर्ड को डीएड व एचटेट, आरोही स्कूलों के छात्रों की परीक्षा का संचालन करना पड़ता है। इन परीक्षाओं की तिथियां बोर्ड परीक्षाओं से अलग होने के कारण व रोजगार से जुड़ी होने के कारण परीक्षा परिणामों की गुणवता पर ध्यान दिया जाना अपेक्षित है। अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा स्कूल स्तर पर संचालित की जाए व प्रश्न बैंक बोर्ड द्वारा स्कूलों में भेजा जाए। इसके बाद स्कूल प्रत्येक छात्र की परफोरमेंस रिपोर्ट बोर्ड कार्यालय को भेजेंगे और दूसरे सेमेस्टर में एक निर्धारित फार्मूले के आधार पर छात्रों को वेटेज देते हुए परीक्षा परिणाम तैयार किया जाए। बैठक में बताया गया कि इस तरह का प्रस्ताव पहले ही शैक्षिक पक्ष में विचाराधीन है। शैक्षिक शाखा के निदेशक इस संबंध में एक सप्ताह में रिपोर्ट देंगे। पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने उच्च कक्षाओं में सबसे पहले सेमेस्टर सिस्टम लागू किया था। लेकिन अब डीयू ने भी इससे अलग वार्षिक परीक्षा प्रणाली लागू कर दी है। सेमेस्टर सिस्टम से बच्चों की 40 दिन की पढ़ाई बाधित होती है। साल के 365 दिन में से मात्र 150 दिन पढ़ाई हो पाती है। क्योंकि छुट्टियों में आधा साल तो वैसे ही बीत जाता है। ऐसे में पढ़ाई कब होगी।
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