हरियाणा सरकार के कानून ही सरकार के गले की फांस बनते जा रहे हैं। यहां का शिक्षा विभाग तो अब प्रयोगशाला बनकर रह गया है। विभाग पहले कानून बनाता है और फिर विरोध होने पर बदलता है। हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमावली से हजारों स्कूल संचालक और हरियाणा टीचर्स सर्विस रूल्स से सवा लाख स्टेट पास बेरोजगार भड़के हुए हैं। हजारों स्कूल संचालक हरियाणा सरकार का कानून न मानते हुए सरेआम सरकार को ठेंगा दिखा रहे हैं।
कानून- स्कूल शिक्षा नियमावली में वर्ष 2007 प्रावधान बनाया गया कि धारा 134ए के तहत गरीब बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूल 25 फीसदी दाखिला देंगे।
हश्र- एक भी प्राइवेट स्कूल ने दाखिला नहीं दिया। हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई और हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया, लेकिन स्कूलों ने इनकार कर दिया। सरकार कुछ नहीं कर पाई।
कानून- हरियाणा में आरटीई लागू होने से स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी प्राइवेट स्कूलों से जानकारी आनलाइन फार्म पर देने को कहा।
हश्र- सात महीने बीत गए लेकिन जानकारी नहीं दी गई। उलटा, 19 मई को प्राइवेट स्कूल संचालक अंबाला में रैली आयोजित कर आंदोलन की घोषणा करेंगे।
कानून- 11 अप्रैल को अधिसूचित किए गए टीचर सर्विस रूल्स में रेगुलर की बजाय कांट्रैक्ट पर पांच साल तक टीचरों को रखने, 12 सप्ताह की गर्भवती महिला को नियुक्ति न देने और प्रमोशन के लिए स्टेट पास होना जरूरी किया गया।
हश्र- टीचर यूनियनों ने आंदोलन छेड़ा तो सरकार ने तीनों शर्र्तें वापस लेने का फैसला कर लिया। उन उम्मीदवारों को टीचर के योग्य बना दिया जो स्टेट पास नहीं हैं, लेकिन चार साल का टीचिंग अनुभव है। इससे सवा लाख स्टेट पास आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
हरियाणा में शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता, महिला एवं बाल विकास, एससी-बीसी वेलफेयर, आईटीआई, पुरातत्व एवं अभिलेखागार विभागों की एक ही मंत्री गीता भुक्कल हैं। पंजाब में शिक्षा विभाग के अलग मंत्री सिकंदर सिंह मलूका, पुरातत्व और अभिलेखागार के मंत्री सरवण सिंह फिल्लौर, एससी-बीसी वेलफेयर के मंत्री गुलजार सिंह राणिके, सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास विभाग के मंत्री मदनमोहन मित्तल और आईटीआई के अनिल जोशी हैं।
•पहले नियम बनते हैं, विरोध पर हो जाता है बदलाव
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