प्रदेश के 36 आरोही स्कूलों को हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड 1.25 करोड़ रुपये मूल्य की निजी प्रकाशकों की किताबें गिफ्ट करेगा। यह निर्णय शिक्षा बोर्ड प्रशासन के गले की फांस बन सकता है। सवाल यह है कि खुद के नियमों को ठेंगा दिखाने की प्रशासन की मजबूरी क्या है, जबकि अधिकारी खुद भी मानते हैं कि यह ठीक नहीं है। न तो बोर्ड के पास शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए इतना बजट है और न ही कोई ऐसा नियम। इसके बावजूद यह तय है कि आरोही स्कूलों को निजी प्रकाशकों की पाठ्यपुस्तकें उपहार करने की तैयारी पूरी है। यहां बता दें कि सरकारी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकों पर पूरी तरह से पाबंदी है। निजी स्कू
लों को संबद्धता देते समय 11 शर्ते निर्धारित की हुई हैं और उन शर्तो में पहली शर्त निजी प्रकाशकों की पुस्तकें न प्रयोग करने की ही है। इस शर्त में साफ लिखा है कि संबंधित संस्था द्वारा हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड व शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित, मुद्रित और निर्धारित पाठ्य पुस्तकें ही प्रयुक्त की जाएंगी। शर्तो की अवहेलना करने पर संबंधित स्कूल की संबद्धता रद करने का अधिकार बोर्ड को है। सूत्र बताते हैं कि सोमवार को बोर्ड के अधिकारियों की एक बैठक में निजी प्रकाशकों से 1.25 करोड़ रुपये की पाठ्य पुस्तकें खरीदने से संबंधित फाइल को हस्ताक्षर कर चेयरपर्सन के पास भेजा गया। शिक्षा बोर्ड के पास शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए लगभग 15 लाख रुपये तक ही खर्च करने की व्यवस्था है। ऐसे में शिक्षा बोर्ड प्रशासन शेष 1 करोड़ 10 लाख रुपये की व्यवस्था कैसे और कहां से करेगा, इस यक्ष प्रश्न का जवाब भी तलाशना है। बोर्ड सचिव बोले, दी जा रही पुस्तकें : शिक्षा बोर्ड के सचिव डी के बेहरा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उक्त पाठ्य पुस्तकें आरोही स्कूलों के पुस्तकालयों के लिए गिफ्ट की जा रही हैं। छात्रों की मर्जी है कि वह उन्हें पढ़ें या न पढ़ें। उन्होंने माना कि वह किताबें खरीदने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन इस संबंध में फैसला चेयरपर्सन को करना है। उन्होंने यह भी माना कि बोर्ड के नियमानुसार निजी प्रकाशकों की पुस्तकें नहीं पढ़ाई जा सकती हैं, लेकिन नियम बदले जा सकते हैं।
लों को संबद्धता देते समय 11 शर्ते निर्धारित की हुई हैं और उन शर्तो में पहली शर्त निजी प्रकाशकों की पुस्तकें न प्रयोग करने की ही है। इस शर्त में साफ लिखा है कि संबंधित संस्था द्वारा हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड व शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित, मुद्रित और निर्धारित पाठ्य पुस्तकें ही प्रयुक्त की जाएंगी। शर्तो की अवहेलना करने पर संबंधित स्कूल की संबद्धता रद करने का अधिकार बोर्ड को है। सूत्र बताते हैं कि सोमवार को बोर्ड के अधिकारियों की एक बैठक में निजी प्रकाशकों से 1.25 करोड़ रुपये की पाठ्य पुस्तकें खरीदने से संबंधित फाइल को हस्ताक्षर कर चेयरपर्सन के पास भेजा गया। शिक्षा बोर्ड के पास शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए लगभग 15 लाख रुपये तक ही खर्च करने की व्यवस्था है। ऐसे में शिक्षा बोर्ड प्रशासन शेष 1 करोड़ 10 लाख रुपये की व्यवस्था कैसे और कहां से करेगा, इस यक्ष प्रश्न का जवाब भी तलाशना है। बोर्ड सचिव बोले, दी जा रही पुस्तकें : शिक्षा बोर्ड के सचिव डी के बेहरा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उक्त पाठ्य पुस्तकें आरोही स्कूलों के पुस्तकालयों के लिए गिफ्ट की जा रही हैं। छात्रों की मर्जी है कि वह उन्हें पढ़ें या न पढ़ें। उन्होंने माना कि वह किताबें खरीदने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन इस संबंध में फैसला चेयरपर्सन को करना है। उन्होंने यह भी माना कि बोर्ड के नियमानुसार निजी प्रकाशकों की पुस्तकें नहीं पढ़ाई जा सकती हैं, लेकिन नियम बदले जा सकते हैं।
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