हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पीजीटी पदों के लिए चार वर्ष के शिक्षक अनुभव के आधार पर आवेदन मांगे जाने के बाद नौकरी पाने के लिए शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए मारामारी देखने को मिल रही है। सुनने में आया है कि इच्छुक अभ्यर्थी शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र के लिए एक लाख रुपए तक की पेशकश कर चुके हैं।
इतना ही नहीं शिक्षक अनुभव के आधार पर पीजीटी के आवेदन मांगे जाने के बाद टीजीटी व पीआरटी के पदों पर नौकरी पाने के इच्छुक अभ्यर्थी भी शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने भी दांए-बाएं से अपनी गोटियां फिट करनी शुरू कर दी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि उक्त शिक्षक भर्ती में अनुभव के मामले में शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पारदर्शिता लाने के लिए क्या मापदंड अपनाए जाएंगे या फिर वास्तव में शिक्षक अनुभव का प्रमाण-पत्र प्राप्त कर चुके भावी शिक्षकों के अधिकारियों का हनन होगा। यह तो भविष्य ही बताएगा। गौरतलब होगा कि हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पीजीटी के लगभग 14216 पदों के लिए विभिन्न विषयों के अभ्यर्थियों के आवेदन मांगे हैं। बोर्ड द्वारा उक्त विषयों के पदों को भरने के लिए एचटेट व बीएड के साथ-साथ चार वर्ष का शिक्षक अनुभव रखने वाले अभ्यर्थियों से भी आवेदन बोर्ड द्वारा मांगे गए हैं। ऐसे में कुछेक अभ्यर्थी तो वास्तव में ही अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद से निजी विद्यालय में नौकरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं और बोर्ड द्वारा जारी किए गए चार वर्ष के शिक्षक अनुभव के आधार पर पीजीटी पदों के आवेदन मांगने से आस बंधी है। किंतु बोर्ड द्वारा जारी किए गए चार वर्ष के शिक्षक अनुभव का फायदा उठाने के लिए उन अभ्यर्थियों ने भी कमर कस ली है, जिनके पास वास्तव में शिक्षक अनुभव का प्रमाण-पत्र तो नहीं है, लेकिन फिर भी उसे पाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। बताया गया है कि ऐसे अभ्यर्थियों के तो रिश्तेदार और मित्र भी एक-दूसरे से और निजी विद्यालयों के मुखियाओं से संपर्क बनाए हुए हैं।
इतना ही नहीं प्रदेश में शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर पीटीजी पदों के लिए आवेदन मांगे जाने के बाद टीजीटी पदों के उम्मीदवार और पीआरटी पदों के उम्मीदवार भी सक्रिय दिखाई दिए हैं, क्योंकि उक्त दोनों श्रेणियों के अभ्यर्थियों ने भी अनुमान लगा लिया है कि देर सवेर उक्त पदों के लिए भी हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा अनुभव के आधार पर आवेदन मांगे जा सकते हैं।
लोगों में चर्चा बनी हुई है कि चार वर्ष का शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र पाने के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों ने एक लाख रुपए तक की पेशकश कर डाली है और पीजीटी, टीजीटी व पीआरटी पदों पर नौकरी पाने के लिए शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए मारामारी देखने को मिल रही है। अब देखना यह होगा कि हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड इस प्रकार के कथित फर्जी या जाली शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्रों में पारदर्शिता लाने और उनसे निपटने के लिए शिक्षक भर्ती बोर्ड कहां तक कारगर कदम उठा पाता है।
इतना ही नहीं शिक्षक अनुभव के आधार पर पीजीटी के आवेदन मांगे जाने के बाद टीजीटी व पीआरटी के पदों पर नौकरी पाने के इच्छुक अभ्यर्थी भी शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने भी दांए-बाएं से अपनी गोटियां फिट करनी शुरू कर दी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि उक्त शिक्षक भर्ती में अनुभव के मामले में शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पारदर्शिता लाने के लिए क्या मापदंड अपनाए जाएंगे या फिर वास्तव में शिक्षक अनुभव का प्रमाण-पत्र प्राप्त कर चुके भावी शिक्षकों के अधिकारियों का हनन होगा। यह तो भविष्य ही बताएगा। गौरतलब होगा कि हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पीजीटी के लगभग 14216 पदों के लिए विभिन्न विषयों के अभ्यर्थियों के आवेदन मांगे हैं। बोर्ड द्वारा उक्त विषयों के पदों को भरने के लिए एचटेट व बीएड के साथ-साथ चार वर्ष का शिक्षक अनुभव रखने वाले अभ्यर्थियों से भी आवेदन बोर्ड द्वारा मांगे गए हैं। ऐसे में कुछेक अभ्यर्थी तो वास्तव में ही अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद से निजी विद्यालय में नौकरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं और बोर्ड द्वारा जारी किए गए चार वर्ष के शिक्षक अनुभव के आधार पर पीजीटी पदों के आवेदन मांगने से आस बंधी है। किंतु बोर्ड द्वारा जारी किए गए चार वर्ष के शिक्षक अनुभव का फायदा उठाने के लिए उन अभ्यर्थियों ने भी कमर कस ली है, जिनके पास वास्तव में शिक्षक अनुभव का प्रमाण-पत्र तो नहीं है, लेकिन फिर भी उसे पाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। बताया गया है कि ऐसे अभ्यर्थियों के तो रिश्तेदार और मित्र भी एक-दूसरे से और निजी विद्यालयों के मुखियाओं से संपर्क बनाए हुए हैं।
इतना ही नहीं प्रदेश में शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर पीटीजी पदों के लिए आवेदन मांगे जाने के बाद टीजीटी पदों के उम्मीदवार और पीआरटी पदों के उम्मीदवार भी सक्रिय दिखाई दिए हैं, क्योंकि उक्त दोनों श्रेणियों के अभ्यर्थियों ने भी अनुमान लगा लिया है कि देर सवेर उक्त पदों के लिए भी हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा अनुभव के आधार पर आवेदन मांगे जा सकते हैं।
लोगों में चर्चा बनी हुई है कि चार वर्ष का शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र पाने के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों ने एक लाख रुपए तक की पेशकश कर डाली है और पीजीटी, टीजीटी व पीआरटी पदों पर नौकरी पाने के लिए शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए मारामारी देखने को मिल रही है। अब देखना यह होगा कि हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड इस प्रकार के कथित फर्जी या जाली शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्रों में पारदर्शिता लाने और उनसे निपटने के लिए शिक्षक भर्ती बोर्ड कहां तक कारगर कदम उठा पाता है।
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शिक्षक भर्ती बोर्ड के नियम बने आवेदकों के लिए सिरदर्द
लंबे अरसे के बाद पीजीटी के विभिन्न विषयों के लिए 15 हजार शिक्षकों की भर्ती के नियम आवेदकों के गले नहंी उतर रहे। नए नियम बनाते हुए न तो पुराने शिक्षित आवेदकों का ध्यान रखा गया और न ही नयों के लिए एक जैसे नियम हैं। बीएड की अनिवार्यता को लेकर दोहरा मानदंड है तो बीए तक दो कक्षाओं के लिए अच्छा अकादमिक रिर्काड कालेज स्तर से स्कूल स्तर पर लाया गया है। जिससे पुराने शिक्षित लोग आवेदन ही नहीं कर पाएंगे। अनुभव का प्रमाण पत्र बनवाना भी जटिल किया गया है।
दो दिन पूर्व विभिन्न समााचार पत्रों में पीजीटी के 15 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए हरियाणा शिक्षक भर्ती बोर्ड ने रिक्तियां घोषित की हैं। इनके घोषित होने के साथ ही नियमों की चर्चा तेज हो गई है। बोर्ड द्वारा बनाए गए नए नियम आवेदकों के गले नहीं उतर रहे। खास बात यह है कि आवेदकों को फार्म भी ऑन लाइन भरना है और किसी भी योग्यता को यदि आवेदक पूरा नहीं करता तो उसका फार्म सॉफ्टवेयर स्वीकार नहीं करेगा, ऐसे में अनेक आवेदक आवेदन कर ही नहीं पाएंगे। अमर सिंह, राकेश कुमार, प्रदीप, अशोक सहित अनेक आवेदकों का कहना है कि बोर्ड ने बीएड की अनिवार्यता में दोहरा मानदंड अपनाया है। यदि आवेदक एचटेट पास है तो उसे बीएड की छूट है और यदि वह चार वर्ष के अनुभव के आधार पर आवेदन कर रहा है तो उसे बीएड की छूट नहीं है। ऐसे में दोहरा मानदंड गले नहीं उतरता। इनका कहना है कि हरियाणा में अब से पहले प्राध्यापक के लिए बीएड अनिवार्य नहीं थी, इसलिए ज्यादातर लोग सीधे स्नातकोत्तर में प्रवेश लेते थे। यदि बीएड लागू की जानी है तो उसके लिए बोर्ड को बाकायदा भविष्य के लिए डेट घोषित करके ही लागू किया जाना चाहिए। इस नई नीति से अनेक पात्रता पास अभ्यर्थी भी अयोग्य हो जाएंगे, चूंकि बोर्ड ने अच्छे अकादमिक रिर्काड के तहत स्नातक तक दो कक्षाओं में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य किए हैं, जबकि एचटेट लेते समय इस तरह की कोई शर्त नहीं रखी गई थी। ऐसे में उनकी पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होने के बावजूद वे दो कक्षाओं में कम नंबर होने पर आवेदन नहीं कर पाएंगे। अमर सिंह का कहना है कि 90 के दशक तक तो बोर्ड की परीक्षाओं में 40 से 50 प्रतिशत नंबर महत्वपूर्ण होते थे। ऐसे में वे लोग वंचित रह जाएंगे जो 40 वर्ष के करीब के हैं और उनके नंबर कम हैं। अमर सिंह का यह भी कहना है कि नंबरों में एससी वर्ग के लिए पांच प्रतिशत की छूट का प्रावधान भी नहीं किया गया है। इसलिए इन वर्गों के लोग भी इसका लाभ उठा नहीं पाएंगे।
आरक्षण की नीति को लेकर भी आवेदक सवाल उठा रहे हैं। अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से मांग की हैै कि बोर्ड के नियमों को दोबारा से इस तरीके से बनाया जाए जिससे अधिक से अधिक लोग आवेदन कर सकें वरना ज्यादातर लोग तो फार्म भरे बिना ही प्रतियोगिता से बाहर हो जाएंगे।
दो दिन पूर्व विभिन्न समााचार पत्रों में पीजीटी के 15 हजार शिक्षकों की भर्ती के लिए हरियाणा शिक्षक भर्ती बोर्ड ने रिक्तियां घोषित की हैं। इनके घोषित होने के साथ ही नियमों की चर्चा तेज हो गई है। बोर्ड द्वारा बनाए गए नए नियम आवेदकों के गले नहीं उतर रहे। खास बात यह है कि आवेदकों को फार्म भी ऑन लाइन भरना है और किसी भी योग्यता को यदि आवेदक पूरा नहीं करता तो उसका फार्म सॉफ्टवेयर स्वीकार नहीं करेगा, ऐसे में अनेक आवेदक आवेदन कर ही नहीं पाएंगे। अमर सिंह, राकेश कुमार, प्रदीप, अशोक सहित अनेक आवेदकों का कहना है कि बोर्ड ने बीएड की अनिवार्यता में दोहरा मानदंड अपनाया है। यदि आवेदक एचटेट पास है तो उसे बीएड की छूट है और यदि वह चार वर्ष के अनुभव के आधार पर आवेदन कर रहा है तो उसे बीएड की छूट नहीं है। ऐसे में दोहरा मानदंड गले नहीं उतरता। इनका कहना है कि हरियाणा में अब से पहले प्राध्यापक के लिए बीएड अनिवार्य नहीं थी, इसलिए ज्यादातर लोग सीधे स्नातकोत्तर में प्रवेश लेते थे। यदि बीएड लागू की जानी है तो उसके लिए बोर्ड को बाकायदा भविष्य के लिए डेट घोषित करके ही लागू किया जाना चाहिए। इस नई नीति से अनेक पात्रता पास अभ्यर्थी भी अयोग्य हो जाएंगे, चूंकि बोर्ड ने अच्छे अकादमिक रिर्काड के तहत स्नातक तक दो कक्षाओं में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य किए हैं, जबकि एचटेट लेते समय इस तरह की कोई शर्त नहीं रखी गई थी। ऐसे में उनकी पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होने के बावजूद वे दो कक्षाओं में कम नंबर होने पर आवेदन नहीं कर पाएंगे। अमर सिंह का कहना है कि 90 के दशक तक तो बोर्ड की परीक्षाओं में 40 से 50 प्रतिशत नंबर महत्वपूर्ण होते थे। ऐसे में वे लोग वंचित रह जाएंगे जो 40 वर्ष के करीब के हैं और उनके नंबर कम हैं। अमर सिंह का यह भी कहना है कि नंबरों में एससी वर्ग के लिए पांच प्रतिशत की छूट का प्रावधान भी नहीं किया गया है। इसलिए इन वर्गों के लोग भी इसका लाभ उठा नहीं पाएंगे।
आरक्षण की नीति को लेकर भी आवेदक सवाल उठा रहे हैं। अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से मांग की हैै कि बोर्ड के नियमों को दोबारा से इस तरीके से बनाया जाए जिससे अधिक से अधिक लोग आवेदन कर सकें वरना ज्यादातर लोग तो फार्म भरे बिना ही प्रतियोगिता से बाहर हो जाएंगे।
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बेरोजगार अध्यापकों की एक बैठक
। पिछड़े वर्ग के बेरोजगार अध्यापकों की एक अहम बैठक चीका स्थित देवी लाल पार्क में हुई, जिसमें हरियाणा सरकार द्वारा 7 जून 2012 को पीजीटी अध्यापकों की अधिसूचना में पिछड़े वर्ग के साथ किए गए भेदभाव का डटकर विरोध किया गया।
बेरोजगार अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए विनोद कुमार ने कहा कि किसी भी नई भर्ती में कानून पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। जबकि इस विज्ञप्ति में उन्हे महज 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है जोकि न्याय संगत नहीं है। उन्होंने कहा कि जरनल वर्ग के लिए 62 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं जबकि यह आंकड़ा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही बीसीए तथा बीसीबी के लिए अलग-अलग से सीटों का आंबटन भी नहीं किया गया है।
बेरोजगार अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए विनोद कुमार ने कहा कि किसी भी नई भर्ती में कानून पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। जबकि इस विज्ञप्ति में उन्हे महज 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है जोकि न्याय संगत नहीं है। उन्होंने कहा कि जरनल वर्ग के लिए 62 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं जबकि यह आंकड़ा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही बीसीए तथा बीसीबी के लिए अलग-अलग से सीटों का आंबटन भी नहीं किया गया है।
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पीजीटी के लिये गुड एकेडमिक रिकार्ड की शर्त वापस लेने की मांग
भारतीय दलित साहित्य अकादमी के प्रदेश सचिव सुरेंद्र सेलवाल ने हरियाणा विद्यालय शिक्षक चयन बोर्ड द्वारा पीजीटी के लिये विज्ञापित 14216 पदों पर भर्ती प्रक्रिया को कड़ा एतराज जताया है और इसमें लगायी गयी गुड एकेडमिक रिकार्ड की शर्त को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि अनुसूचित जाति के पदों को सुनियोजित ढंग से रिक्त रखे जाने के लिये ही बोर्ड ने यह अड़ंगा लगाया है। सुरेंद्र सेलवाल ने कहा कि विज्ञापन मेें जारी हिदायतों में गुड एकेडमिक रिकार्ड को योग्यता में शमिल किया है जिसके तहत उम्मीदवार को दसवीं व बारहवीं ,स्नातक में से किन्ही दो में से पचास प्रतिशत अंक तथा में एक पैंतालीस प्रतिशत अंक हासिल हो की शर्ता रखी गई है जबकि पात्रता परीक्षा के लिए इस प्रकार की कोई शर्त नहीं थी। इस प्रकार अनेको उम्मीदवार जो उपरोक्त शर्तों क ो पूरा नहीं करते और पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण हो चुके है , अयोग्य ठहराकर उनको नियुक्तियों से दूर रखने की योजना है। सेलवाल ने कहा कि अनुसूचित जाति के बच्चों को इससे बड़ा नुकसान होगा ,इस वर्ग का असली आरक्षण का हकदार वर्ग निर्धारित शर्तों के कारण स्वत: ही अयोग्य ठहरा दिया जाएगा और योग्य उम्मीदवार न मिलने का नोटिस जारी कर इस वर्ग के पदों को संवैधानिक हकों से वङ्क्षचत कह दिया जाएगा। सेलवाल ने इन गुड एकेडमिक रिकार्ड की शर्त को हटाने की मांग की है।
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तिलकराज शाक्य बने प्रदेशाध्यक्ष, पहले ही दिन आंदोलन का ऐलान
अम्बाला छावनी के इंदिरा पार्क में आज प्रदेश भर से आये कई जिलों के बेरोजगार पात्र अध्यापकों की एक बैठक यहां हुई। बैठक में सभी ने नई कार्यकारिणी के गठन को सहमति दी। तिलकराज शाक्य जो कि जिला अम्बाला के अध्यक्ष हैं को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने प्रदेश प्रधान की जिम्मेवारी का गंभीरता से निर्वाह करने की बात कही और बेरोजगार पात्र अध्यापकों के हकों के लिये आज ही संघर्ष का ऐलान भी कर दिया। शाक्य ने कहा कि आगामी चौदह जून से वे सरकार के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बजा देंगे, जबकि गुरदीप सिंह पंचकूला को उपाध्यक्ष, प्रवीण चुहड़माजरा कैथल को कोषाध्यक्ष, मोहित कक्कड़ कैथल को महासचिव, नरेंद्र पाल पाई को कानूनी प्रकोष्ठï का प्रदेशाध्यक्ष, रणजीत कुमार अम्बाला को प्रेस प्रवक्ता, प्रवेश सहोते नारायणगढ़ को संगठन सचिव नियुक्त किया गया। इसके जिला इकाइयों का भी नये सिरे से गठन किया गया। इसमें यमुनानगर जिला प्रधान जसपाल सिंह, अम्बाला जिला प्रधान बुध प्रकाश, पंचकूला जिला प्रधान प्रदीप राणा, कैथल जिला प्रधान सुखदेव चीका, करनाल के सतीश, कुरूक्षेत्र के सतीश कुमार व जींद का जिला प्रधान रमेश कुमार को बनाया गया है। प्रदेशाध्यक्ष तिलकराज शाक्य ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि वे पिछले काफी समय से अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकार से संपर्क किये हुये हैं लेकिन हर बार सरकार की ओर से उन्हें केवल लारे दिये जाते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के सभी पात्र अध्यापकों में इसके प्रति गहरी निराशा है। उन्होंने कहा कि इसी निराशा के चलते आगामी 14 जून को संघ अम्बाला छावनी के विजय रतन चौक से सुबह दस बजे राष्टï्रपति भवन के लिये पैदल यात्रा शुरू करेंगे।
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पीजीटी भर्ती को लेकर शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र के लिए मारामारी
हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पीजीटी पदों के लिए चार वर्ष के शिक्षक अनुभव के आधार पर आवेदन मांगे जाने के बाद नौकरी पाने के लिए शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए मारामारी देखने को मिल रही है। सुनने में आया है कि इच्छुक अभ्यर्थी शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र के लिए एक लाख रुपए तक की पेशकश कर चुके हैं।
इतना ही नहीं शिक्षक अनुभव के आधार पर पीजीटी के आवेदन मांगे जाने के बाद टीजीटी व पीआरटी के पदों पर नौकरी पाने के इच्छुक अभ्यर्थी भी शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने भी दांए-बाएं से अपनी गोटियां फिट करनी शुरू कर दी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि उक्त शिक्षक भर्ती में अनुभव के मामले में शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पारदर्शिता लाने के लिए क्या मापदंड अपनाए जाएंगे या फिर वास्तव में शिक्षक अनुभव का प्रमाण-पत्र प्राप्त कर चुके भावी शिक्षकों के अधिकारियों का हनन होगा। यह तो भविष्य ही बताएगा। गौरतलब होगा कि हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पीजीटी के लगभग 14216 पदों के लिए विभिन्न विषयों के अभ्यर्थियों के आवेदन मांगे हैं। बोर्ड द्वारा उक्त विषयों के पदों को भरने के लिए एचटेट व बीएड के साथ-साथ चार वर्ष का शिक्षक अनुभव रखने वाले अभ्यर्थियों से भी आवेदन बोर्ड द्वारा मांगे गए हैं। ऐसे में कुछेक अभ्यर्थी तो वास्तव में ही अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद से निजी विद्यालय में नौकरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं और बोर्ड द्वारा जारी किए गए चार वर्ष के शिक्षक अनुभव के आधार पर पीजीटी पदों के आवेदन मांगने से आस बंधी है। किंतु बोर्ड द्वारा जारी किए गए चार वर्ष के शिक्षक अनुभव का फायदा उठाने के लिए उन अभ्यर्थियों ने भी कमर कस ली है, जिनके पास वास्तव में शिक्षक अनुभव का प्रमाण-पत्र तो नहीं है, लेकिन फिर भी उसे पाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। बताया गया है कि ऐसे अभ्यर्थियों के तो रिश्तेदार और मित्र भी एक-दूसरे से और निजी विद्यालयों के मुखियाओं से संपर्क बनाए हुए हैं।
इतना ही नहीं प्रदेश में शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर पीटीजी पदों के लिए आवेदन मांगे जाने के बाद टीजीटी पदों के उम्मीदवार और पीआरटी पदों के उम्मीदवार भी सक्रिय दिखाई दिए हैं, क्योंकि उक्त दोनों श्रेणियों के अभ्यर्थियों ने भी अनुमान लगा लिया है कि देर सवेर उक्त पदों के लिए भी हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा अनुभव के आधार पर आवेदन मांगे जा सकते हैं।
लोगों में चर्चा बनी हुई है कि चार वर्ष का शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र पाने के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों ने एक लाख रुपए तक की पेशकश कर डाली है और पीजीटी, टीजीटी व पीआरटी पदों पर नौकरी पाने के लिए शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए मारामारी देखने को मिल रही है। अब देखना यह होगा कि हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड इस प्रकार के कथित फर्जी या जाली शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्रों में पारदर्शिता लाने और उनसे निपटने के लिए शिक्षक भर्ती बोर्ड कहां तक कारगर कदम उठा पाता है।
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\इतना ही नहीं शिक्षक अनुभव के आधार पर पीजीटी के आवेदन मांगे जाने के बाद टीजीटी व पीआरटी के पदों पर नौकरी पाने के इच्छुक अभ्यर्थी भी शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने भी दांए-बाएं से अपनी गोटियां फिट करनी शुरू कर दी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि उक्त शिक्षक भर्ती में अनुभव के मामले में शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पारदर्शिता लाने के लिए क्या मापदंड अपनाए जाएंगे या फिर वास्तव में शिक्षक अनुभव का प्रमाण-पत्र प्राप्त कर चुके भावी शिक्षकों के अधिकारियों का हनन होगा। यह तो भविष्य ही बताएगा। गौरतलब होगा कि हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पीजीटी के लगभग 14216 पदों के लिए विभिन्न विषयों के अभ्यर्थियों के आवेदन मांगे हैं। बोर्ड द्वारा उक्त विषयों के पदों को भरने के लिए एचटेट व बीएड के साथ-साथ चार वर्ष का शिक्षक अनुभव रखने वाले अभ्यर्थियों से भी आवेदन बोर्ड द्वारा मांगे गए हैं। ऐसे में कुछेक अभ्यर्थी तो वास्तव में ही अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद से निजी विद्यालय में नौकरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं और बोर्ड द्वारा जारी किए गए चार वर्ष के शिक्षक अनुभव के आधार पर पीजीटी पदों के आवेदन मांगने से आस बंधी है। किंतु बोर्ड द्वारा जारी किए गए चार वर्ष के शिक्षक अनुभव का फायदा उठाने के लिए उन अभ्यर्थियों ने भी कमर कस ली है, जिनके पास वास्तव में शिक्षक अनुभव का प्रमाण-पत्र तो नहीं है, लेकिन फिर भी उसे पाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। बताया गया है कि ऐसे अभ्यर्थियों के तो रिश्तेदार और मित्र भी एक-दूसरे से और निजी विद्यालयों के मुखियाओं से संपर्क बनाए हुए हैं।
इतना ही नहीं प्रदेश में शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर पीटीजी पदों के लिए आवेदन मांगे जाने के बाद टीजीटी पदों के उम्मीदवार और पीआरटी पदों के उम्मीदवार भी सक्रिय दिखाई दिए हैं, क्योंकि उक्त दोनों श्रेणियों के अभ्यर्थियों ने भी अनुमान लगा लिया है कि देर सवेर उक्त पदों के लिए भी हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा अनुभव के आधार पर आवेदन मांगे जा सकते हैं।
लोगों में चर्चा बनी हुई है कि चार वर्ष का शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र पाने के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों ने एक लाख रुपए तक की पेशकश कर डाली है और पीजीटी, टीजीटी व पीआरटी पदों पर नौकरी पाने के लिए शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए मारामारी देखने को मिल रही है। अब देखना यह होगा कि हरियाणा राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड इस प्रकार के कथित फर्जी या जाली शिक्षक अनुभव प्रमाण-पत्रों में पारदर्शिता लाने और उनसे निपटने के लिए शिक्षक भर्ती बोर्ड कहां तक कारगर कदम उठा पाता है।
नये शैक्षणिक भर्ती नियम तुरंत प्रभाव से हटाने की मांग
पात्र अध्यापक संघ की एक बैठक मानसरोवर पार्क में हुई। बैठक में स्कूल प्राध्यापक भर्ती के नियमों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने मांग की कि सरकार के द्वारा लगाया गए नये शैक्षणिक रिकार्ड नियम क ो तुरंत प्रभाव से हटाया जाए। बैठक को सम्बोधित करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष प्रेम अहलावत ने कहा कि सरकार ने भर्ती निकालकर अच्छा कदम उठाया है। साथ ही उन्होंने अध्यापक भर्ती के नए नियमों ने हजारों अध्यापकों को इस प्रक्रि या से बाहर कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा लगाया गया नया गुड अकेडमिक रिकार्ड नियम क ो तुरंत प्रभाव से हटाया जाए। इससे पहले भी 3000 शिक्षक ों की भर्ती की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि पात्र अध्यापक संघ सरकार के द्वारा बनाये गए इस नये नियम का विरोध करेगा। इस अवसर पर पे्रम अहलावत, राजेंद्र बुधवार, फृूलकुमार, जयभगवान राणा, विनोद कुमार, रामनिवास, विरेंद्र, देवराज, बिजेंद्र, देवेंद्र कुमार, कुसुम सहित अनेक पात्र अध्यापक मौजूद रहे।
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पात्र अध्यापक अब बन गए अपात्र
हरियाणा स्कूल शिक्षक चयन बोर्ड द्वारा निकाली गई शिक्षकों की भर्ती में निर्धारित मापदंडों से काफी संख्या में पात्र अध्यापक आवेदन करने से ही वंचित रह जाएंगे। जबकि पात्रता परीक्षा में बैठने पर इस तरह के कोई मापदंड निर्धारित नहीं किए गए थे और डिप्लोमा कर चुके लोगों ने पात्रता परीक्षा भी पास कर ली। पात्रता परीक्षा पास करने वाले पात्र अध्यापकों में शिक्षकों की भर्ती को लेकर खुशी की लहर थी लेकिन शिक्षकों के हजारों पद का जैसे ही विज्ञापन जारी हुआ तो पात्र अध्यापकों के अरमानों पर पानी फिर गया। विज्ञापन के अनुसार पात्रता परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थी के लिए डिप्लोमा से पहले की दो परीक्षा 50 प्रतिशत व एक परीक्षा 45 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण का मापदंड दिया गया है। इस मापदंड पर खरे नहीं उतरने वालों ने भी बीएड और एमए करने के बाद पात्रता परीक्षा पास की है। इसी का उदाहरण बरनाला रोड निवासी मंजू रानी है। मंजू ने 1994 में 57 प्रतिशत अंकों के साथ दसवीं पास की थी और 1996 में बारहवीं कक्षा में 39 प्रतिशत अंक हैं। 55 प्रतिशत अंकों के साथ बीए उत्तीर्ण करने के बाद मंजू ने 51.70 प्रतिशत अंक लेकर हिंदी में एमए की। इसी के आधार पर मंजू ने एचटेट की परीक्षा भी 62 प्रतिशत अंकों के साथ पास की है। अब मंजू को 12वीं कक्षा में 45 प्रतिशत अंक न होने पर हिंदी शिक्षक के लिए आवेदन करने के लिए पात्र नहीं माना जा रहा है। मंजू का कहना है कि पात्रता परीक्षा के समय यह शर्त निर्धारित होनी चाहिए थी। क्योंकि पात्रता परीक्षा का मतलब ही यह है कि वह उम्मीदवार शिक्षक पद के लिए आवेदन करने के लिए पात्र हो गया है। इन दोहरे मापदंडों के चलते तो पात्र ही अपात्र हो गए हैं। अब मैं 16 वर्ष पहले पास की गई बारहवीं की परीक्षा को दोबारा कैसे उत्तीर्ण करूं। ऐसा पता नहीं प्रदेश में कितने ही ओर पात्रता परीक्षा पास कर चुके पात्र अध्यापक होंगे जो शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन करने में अपात्र हैं। सोमवार को बनाएंगे रणनीति शिक्षक पात्रता परीक्षा पास उम्मीदवारों के लिए आवेदन करने में नए निर्धारित मापदंड से खफा पात्र अध्यापक सोमवार को बैठक करेंगे। पात्र अध्यापक संघ के जिला प्रधान नानक चंद ने बताया कि एक तरफ तो सरकार चार वर्ष का अनुभव रखने वाले अध्यापकों को पात्रता में छूट दे रही है वहीं दूसरी तरफ पात्रता पास शिक्षकों पर डिप्लोमा से पूर्व की परीक्षाओं में 50 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता कर रही है। ऐसे में बहुत से शिक्षक आवेदन ही नहीं कर पाएंगे। डिप्लोमा या डिग्री के बाद पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद एक और बाधा डाल दी गई है। परीक्षाओं में अंकों का लाभ तो साक्षात्कार में होता है। इन सब मुद्दों को लेकर संघ सोमवार को सुबह नौ बजे टाउन पार्क में बैठक करने जा रहा है।
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