दो दिन पहले विभिन्न समाचार पत्रों में पीजीटी के 15 हजार शिक्षकाें की भर्ती के लिए राज्य शिक्षक भर्ती बोर्ड ने रिक्तियां घोषित की हैं। इस घोषणा के साथ ही शैक्षिक योग्यता और आवेदन करने के प्रावधानों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। खास बात यह है कि आवेदकों को फार्म ऑनलाइन ही भरना होगा और किसी भी योग्यता को यदि आवेदक पूरा नहीं करता तो उसका फार्म सॉफ्टवेयर स्वीकार नहीं करेगा, ऐसे में अनेक आवेदक आवेदन कर ही नहीं सकेंगे।
अमर सिंह, राकेश कुमार, प्रदीप, अशोक सहित अनेक आवेदकाें का कहना है कि बोर्ड ने बीएड की अनिवार्यता में दोहरा मानदंड अपनाया है। यदि आवेदक एचटेट पास है तो उसे बीएड की छूट है लेकिन यदि वह चार वर्ष के अनुभव के आधार पर आवेदन कर रहा है तो उसे बीएड की छूट नहीं है। इनका कहना है कि हरियाणा में अब से पहले प्राध्यापक के लिए बीएड अनिवार्य नहीं थी और ज्यादातर लोग सीधे स्नातकोत्तर में प्रवेश लेते थे। अब यदि बीएड लागू की जानी है तो उसके लिए बोर्ड को बाकायदा भविष्य के लिए डेट घोषित करके ही लागू करना चाहिए था। इस नई नीति से अनेक पात्रता पास अभ्यर्थी भी अयोग्य हो जाएंगे, चूंकि बोर्ड ने गुड एकेडमिक रिकार्ड के तहत स्नातक तक दो कक्षाआें में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य किए हैं, हालांकि एचटेट लेते समय इस तरह की कोई शर्त नहीं रखी गई थी। ऐसे में उनकी पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होने के बावजूद वे दो कक्षाओं में कम नंबर होने पर आवेदन नहीं कर पाएंगे। अमर सिंह का कहना है कि 90 के दशक तक तो बोर्ड की परीक्षाओं में 40 से 50 प्रतिशत नंबर महत्वपूर्ण होेते थे। ऐसे में वे लोग वंचित रह जाएंगे जो 40 वर्ष के करीब हैं और उनके नंबर कम हैं। अमर सिंह ने कहा कि नंबराें में एससी वर्ग के लिए पांच प्रतिशत की छूट का प्रावधान नहीं किया गया है, इसलिए इन वर्गों के लोग भी इसका लाभ उठा नहीं पाएंगे। अभ्यर्थियाें ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से मांग की हैै कि नियमों को दोबारा से बनाया जाएें। अन्यथा ज्यादातर लोग फार्म भरे बिना ही कंपीटिशन से बाहर हो जाएंगे।
•बीएड की अनिवार्यता लागू करने से बढ़ी मुश्किल
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