आइआइटी समेत सभी केंद्रीय इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों में एक ही संयुक्त प्रवेश परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है। आइआइटी काउंसिल ने इसके लिए तैयार नए फार्मूले को मंजूरी दे दी है। साथ ही एलान कर दिया है कि सर्वसम्मति से बने नए फार्मूले के फैसले पर किसी को एतराज नहीं है। नए फार्मूले पर अमल भी वर्ष 2013 से ही होगा। आइआइटी में दाखिले सिर्फ जेईई-एडवांस की अखिल भारतीय रैंकिंग व स्कूल बोर्ड के टॉप 20 परसेंटाइल छात्रों में शुमार होने के आधार पर होंगे। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की गैरमौजूदगी में बुधवार को हुई आइआइटी काउंसिल की बैठक में नए फार्मूले को मंजूरी मिल गई। सूत्रों के मुताबिक, कॉमन एंट्रेंस और आइआइटी की स्वायत्तता को लेकर लग रहे आरोपों के चलते उन्होंने इस बार बैठक से किनारा कर लिया, लेकिन अपना संदेश जरूर भेजा। सिब्बल के बैठक में नहीं जाने के कारण आइआइटी-मद्रास व आइआइटी काउंसिल की स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन प्रो. एमएम शर्मा ने बैठक की। उन्होंने बताया कि एआइ ट्रिपल-ई की तर्ज पर ही जेईई-मुख्य की परीक्षा होगी। सीबीएसई से इस परीक्षा में आइआइटी-जैब व ज्वाइंट इंप्लीमेंटेशन कमेटी भी सहयोग करेगी। शर्मा ने बताया कि जेईई-मुख्य के कुछ हफ्तों बाद ही पूरी तरह आइआइटी की देखरेख में संयुक्त एडमीशन बोर्ड (जैब) जेईई-एडवांस की परीक्षा करेगा। इसमें जेईई-मुख्य में पास होने वाले शीर्ष डेढ़ लाख छात्र ही शामिल हो सकेंगे। जेईई-एडवांस के पूरे नतीजे अंकों के साथ सीबीएसई व राज्यों के बोर्ड नतीजों के पहले घोषित कर दिए जाएंगे। जबकि, उनकी अखिल भारतीय रैंकिंग बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे आने के आसपास घोषित की जाएगी। आइआइटी में दाखिले का आधार जेईई-एडवांस की अखिल भारतीय रैकिंग में जगह पाने के साथ ही छात्रों को अपने स्कूल बोर्ड के टॉप-20 परसेंटाइल वाले छात्रों में शुमार होना होगा।
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