नई दिल्ली। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी द्वारा संचालित कॉलेज अब 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कमेटी द्वारा संचालित चार कॉलेजों को यह छूट अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान होने के चलते दी है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में 2012-13 के शैक्षणिक सत्र के लिए मंगलवार से शुरू होने वाली दाखिला प्रक्रिया में भी ओबीसी आरक्षण लागू करने की अनिवार्यता से उक्त कॉलेजों को राहत मिलेगी। जस्टिस वीके जैन और जस्टिस प्रतिभा रानी की खंडपीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है।
खंडपीठ ने गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज, गुरुनानक देव खालसा कॉलेज, माता सुंदरी कॉलेज और गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज को ओबीसी कोटा लागू करने से मुक्त कर दिया है। खंडपीठ ने कॉलेजों की इस दलील को स्वीकार कर लिया है कि उन्हें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान
घोषित कर दिया है।
दोनों न्यायाधीशों ने अपने फैसले में कहा है कि ये कॉलेज डीयू के निर्देशानुसार 2012-13 के शैक्षणिक सत्र में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के छात्रों को प्रवेश देंगे, पर उन्हें ओबीसी के छात्रों को आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
चूंकि उक्त कॉलेजों को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान घोषित कर दिया है, लिहाजा उन्हें अपने यहां ओबीसी छात्रों के लिए स्थान आरक्षित रखने के लिए कहना उचित नहीं होगा। इस तरह खंडपीठ ने न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को भी संशोधित कर दिया है, जिसमें एकल पीठ ने 29 मई के आदेश में कहा था कि चारों कॉलेजों को 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के निर्देशों पर अमल करना होगा।
दोनों की दलीलें
एकल पीठ के आदेश में सुधार के लिए ही उक्त कॉलेजों ने डबल बेंच के समक्ष याचिका दायर की थी। इस मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के वकील का कहना था कि एकल पीठ के आदेश में कॉलेजों ने यह आश्वासन दिया था कि वे विश्वविद्यालय के मापदंडों का पालन करेंगे, लिहाजा इन्हें अपने यहां ओबीसी के छात्रों को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ देना चाहिए।
उधर, उक्त कॉलेजों की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी का कहना था कि एकल पीठ के सामने यह रजामंदी दी गई थी कि वे अपने यहां एससी और एसटी के छात्रों को आरक्षण का लाभ देने की व्यवस्था जारी रखेंगे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कमेटी द्वारा संचालित चार कॉलेजों को यह छूट अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान होने के चलते दी है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में 2012-13 के शैक्षणिक सत्र के लिए मंगलवार से शुरू होने वाली दाखिला प्रक्रिया में भी ओबीसी आरक्षण लागू करने की अनिवार्यता से उक्त कॉलेजों को राहत मिलेगी। जस्टिस वीके जैन और जस्टिस प्रतिभा रानी की खंडपीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है।
खंडपीठ ने गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज, गुरुनानक देव खालसा कॉलेज, माता सुंदरी कॉलेज और गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज को ओबीसी कोटा लागू करने से मुक्त कर दिया है। खंडपीठ ने कॉलेजों की इस दलील को स्वीकार कर लिया है कि उन्हें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान
घोषित कर दिया है।
दोनों न्यायाधीशों ने अपने फैसले में कहा है कि ये कॉलेज डीयू के निर्देशानुसार 2012-13 के शैक्षणिक सत्र में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के छात्रों को प्रवेश देंगे, पर उन्हें ओबीसी के छात्रों को आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
चूंकि उक्त कॉलेजों को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान घोषित कर दिया है, लिहाजा उन्हें अपने यहां ओबीसी छात्रों के लिए स्थान आरक्षित रखने के लिए कहना उचित नहीं होगा। इस तरह खंडपीठ ने न्यायालय की एकल पीठ के आदेश को भी संशोधित कर दिया है, जिसमें एकल पीठ ने 29 मई के आदेश में कहा था कि चारों कॉलेजों को 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के निर्देशों पर अमल करना होगा।
दोनों की दलीलें
एकल पीठ के आदेश में सुधार के लिए ही उक्त कॉलेजों ने डबल बेंच के समक्ष याचिका दायर की थी। इस मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी के वकील का कहना था कि एकल पीठ के आदेश में कॉलेजों ने यह आश्वासन दिया था कि वे विश्वविद्यालय के मापदंडों का पालन करेंगे, लिहाजा इन्हें अपने यहां ओबीसी के छात्रों को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ देना चाहिए।
उधर, उक्त कॉलेजों की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी का कहना था कि एकल पीठ के सामने यह रजामंदी दी गई थी कि वे अपने यहां एससी और एसटी के छात्रों को आरक्षण का लाभ देने की व्यवस्था जारी रखेंगे।
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