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हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने सरकार व शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा बनाए गए पदोन्नति नियमों व स्कूल टीचर भर्ती बोर्ड द्वारा पीजीटी की भर्ती के लिए रखी गई योग्यता व गुड अकेडमिक रिकार्ड पर कड़ी आपत्ति जताई है। संघ ने मांग की है कि इस तरह के नियमों को तत्काल रद्द किया जाए अन्यथा प्रदेभर के अध्यापक बड़ा संघर्ष छेड़ सकते हैं, क्योंकि मिडल हैड के लिए जो पदोन्नति के नियमों में बीए व बीएड में अंकों की जो शर्त रखी गई है, उससे ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग के अध्यापकों को मिडल हैड पदोन्नत ही नहीं करना चाहती।
संघ का आरोप है कि सरकार मिडल हैड पदोन्नति में आरक्षण देने का झूठा दम भर रही है, क्योंकि तीसरे दर्जे में आरक्षण पहले से ही विद्यमान है। अगर सरकार आरक्षण देना ही चाहती है तो अनुसूचित जाति वर्ग के अध्यापकों को प्रथम व द्वितीय श्रेणी की पदोन्नति में दिया जाए। संघ प्रदेशाध्यक्ष वजीर सिंह, राज्य महासचिव सीएन भारती व कृष्ण कुमार निर्माण, राज्य कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद बाटू, जरनैल सिंह सांगवान ने बताया कि इस तरह के नियम बनाकर सरकार व शिक्षा विभाग शिक्षा व शिक्षक को बर्बाद करने की कोशिश में लग गया है, जोकि बर्दाश्त से बाहर है।
उन्होंने कहा कि पीजीटी भर्ती के लिए जो नियमावली लागू की गई है उसे देखकर ऐसा लगता है कि सरकार की मंशा भर्ती न करके उसे उलझाने की है ताकि वह समय पर कह सके कि हमने तो भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, परंतु मामला कोर्ट में चला गया। अब हम कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि भर्ती के लिए जो शर्तें रखी गई हैं, उनमें सबसे खतरनाक शर्त 3 लोअर इग्जाम में से किसी 2 में 50 प्रतिशत व एक में 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता रखकर एक तरह से सभी वर्गों के साथ बहुत बड़ा मजाक किया है।
उन्होंने कहा कि इन शर्तों से विशेषकर ग्रामीण शिक्षित बेरोजगार अध्यापक, दलित व पिछड़ा वर्ग शिक्षित बेरोजगार शिक्षक को उपरोक्त शर्त लगाकर पहले से ही बाहर करने का कार्यक्रम बना दिया गया है। जो किसी भी तरह से सहन करने योग्य नहीं है। दूसरी ओर सरकार ऐसा ही हाल पदोन्नति प्रक्रिया में भी कर रही है, जहां शर्तें थोपी जा रही हैं और मनमर्जी के नियम बनाकर अध्यापकों की पदोन्नति में रोड़े अटकाए जा रहे हैं और मिडल हेड को तीसरे दर्जे के कर्मचारी का दर्जा देकर जले पर नमक छिड़कने का काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि तीसरे दर्जे से तीसरे दर्जे में पदोन्नति, कोई आॢथक लाभ नहीं, समान ग्रेड-पे पर रखने को किस रूप से पदोन्नति माना जाएगा। उन्होंने हका कि इस तरह के नियम अपनाकर शिक्षकों में दुविधापूर्ण स्थिति पैदा की जा रही है और इस पर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल भी गैर-जिम्मेदाराना बयान देकर शिक्षकों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचा रहे हैं। अध्यापक प्रतिनिधियों सीएन भारती व कृष्ण कुमार निर्माण ने मांग की कि सर्वप्रथम सरकार व विभाग को चाहिए कि प्रदेश में खाली पड़े लगभग एक हजार से अधिक हाई स्कूल हैड मास्टर की पदोन्नति करके पूर्व में स्वीकृत 377 मिडल हैड जिनकों हाई स्कूल हेड मास्टर के समकक्ष का दर्जा हासिल है, उसी रूप में 5548 मिडल हैड पदों पर पदोन्नति दी जानी चाहिए।
साथ ही, मिडल हैड को द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी का दर्जा देकर गे्रड पे 5400 में रखते हुए आरक्षण नीति बहाल करते हुए अनुसूचित जाति के अध्यापकों को भी लाभांवित किया जाए। उन्होंने 50 प्रतिशत की शर्त तत्काल वापस लेने तथा पीजीटी भर्ती के लिए लगाई गई अंकों की शर्त को भी तमाम तरह की व्यवस्थाओं को देखते हुए जनहित में हटाने की मांग की है।
संघ का आरोप है कि सरकार मिडल हैड पदोन्नति में आरक्षण देने का झूठा दम भर रही है, क्योंकि तीसरे दर्जे में आरक्षण पहले से ही विद्यमान है। अगर सरकार आरक्षण देना ही चाहती है तो अनुसूचित जाति वर्ग के अध्यापकों को प्रथम व द्वितीय श्रेणी की पदोन्नति में दिया जाए। संघ प्रदेशाध्यक्ष वजीर सिंह, राज्य महासचिव सीएन भारती व कृष्ण कुमार निर्माण, राज्य कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद बाटू, जरनैल सिंह सांगवान ने बताया कि इस तरह के नियम बनाकर सरकार व शिक्षा विभाग शिक्षा व शिक्षक को बर्बाद करने की कोशिश में लग गया है, जोकि बर्दाश्त से बाहर है।
उन्होंने कहा कि पीजीटी भर्ती के लिए जो नियमावली लागू की गई है उसे देखकर ऐसा लगता है कि सरकार की मंशा भर्ती न करके उसे उलझाने की है ताकि वह समय पर कह सके कि हमने तो भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, परंतु मामला कोर्ट में चला गया। अब हम कुछ नहीं कर सकते, क्योंकि भर्ती के लिए जो शर्तें रखी गई हैं, उनमें सबसे खतरनाक शर्त 3 लोअर इग्जाम में से किसी 2 में 50 प्रतिशत व एक में 45 प्रतिशत अंकों की अनिवार्यता रखकर एक तरह से सभी वर्गों के साथ बहुत बड़ा मजाक किया है।
उन्होंने कहा कि इन शर्तों से विशेषकर ग्रामीण शिक्षित बेरोजगार अध्यापक, दलित व पिछड़ा वर्ग शिक्षित बेरोजगार शिक्षक को उपरोक्त शर्त लगाकर पहले से ही बाहर करने का कार्यक्रम बना दिया गया है। जो किसी भी तरह से सहन करने योग्य नहीं है। दूसरी ओर सरकार ऐसा ही हाल पदोन्नति प्रक्रिया में भी कर रही है, जहां शर्तें थोपी जा रही हैं और मनमर्जी के नियम बनाकर अध्यापकों की पदोन्नति में रोड़े अटकाए जा रहे हैं और मिडल हेड को तीसरे दर्जे के कर्मचारी का दर्जा देकर जले पर नमक छिड़कने का काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि तीसरे दर्जे से तीसरे दर्जे में पदोन्नति, कोई आॢथक लाभ नहीं, समान ग्रेड-पे पर रखने को किस रूप से पदोन्नति माना जाएगा। उन्होंने हका कि इस तरह के नियम अपनाकर शिक्षकों में दुविधापूर्ण स्थिति पैदा की जा रही है और इस पर केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल भी गैर-जिम्मेदाराना बयान देकर शिक्षकों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचा रहे हैं। अध्यापक प्रतिनिधियों सीएन भारती व कृष्ण कुमार निर्माण ने मांग की कि सर्वप्रथम सरकार व विभाग को चाहिए कि प्रदेश में खाली पड़े लगभग एक हजार से अधिक हाई स्कूल हैड मास्टर की पदोन्नति करके पूर्व में स्वीकृत 377 मिडल हैड जिनकों हाई स्कूल हेड मास्टर के समकक्ष का दर्जा हासिल है, उसी रूप में 5548 मिडल हैड पदों पर पदोन्नति दी जानी चाहिए।
साथ ही, मिडल हैड को द्वितीय श्रेणी राजपत्रित अधिकारी का दर्जा देकर गे्रड पे 5400 में रखते हुए आरक्षण नीति बहाल करते हुए अनुसूचित जाति के अध्यापकों को भी लाभांवित किया जाए। उन्होंने 50 प्रतिशत की शर्त तत्काल वापस लेने तथा पीजीटी भर्ती के लिए लगाई गई अंकों की शर्त को भी तमाम तरह की व्यवस्थाओं को देखते हुए जनहित में हटाने की मांग की है।
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