हरियाणा में हैड टीचर पदोन्नति मामले में सुराया पाण्डेय धूमिल की खास पंक्तियां याद आ रही हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘लोहे का स्वाद, लोहार से मत पूछो बल्कि लोहे का स्वाद उस घोड़े से पूछो जिसके मुंह में लगाम रहती है।’
जी हां! आजकल इसी स्वाद से चटखारे ले-लेकर रूबरू हो रहे हैं प्रदेशभर के अध्यापक। मसला है 5548 पदों पर हैडटीचर पदोन्नति का। लगता है शिक्षा विभाग को कई कहावत याद आ गई कि ‘नाम दरोगा धर दे, तनख्वाह चाहै 200 कम कर दै।’ सरकार एवं शिक्षा विभाग ने आव देखा न ताव और आदेश जारी कर दिया कि मिडल हैड का पद तृतीय श्रेणी का अराजपत्रित पद होगा और उसी ग्रेड पे का पद होगा तो एकदम पदोन्नति की बाट जोह रहे अध्यापकों को जोर का झटका धीरे से लगा कि ये कैसी पदोन्नति कि उसी श्रेणी व वेतनमान में ही पदोन्नति और ‘पावर’ के नाम पर कुछ भी नहीं। सिर्फ नाम बदल जाएगा। परंतु बड़ी दिक्कत जब आई जब उसमें लगाई गई शर्त देखी गई जिसमें लिखा है कि बीए में 50 फीसदी, बीएड में 50 फीसदी अंक होने अनिवार्य हैं। अगर उपरोक्त अंक होंगे तो ही मिडल हैड पर पदोन्नति के मामले भेजे जाएंगे और एक जगह 45 फीसदी की शर्त भी रखी गई तो ‘गुरुजी’ गच्चा खा गए क्योंकि जब सारे ‘गुरुजी’ लगे तो इस तरह की शर्त शायद नहीं थी पर पदोन्नति में लटक गए।
जनरल कैटेगरी के भी अध्यापक अटक गए और एससी कैटेगरी के भी अटक गए। अब बेचारे गुरुजी पानी पी-पीकर सरकार व विभाग को कोस रहे हैं और एक बात और फील्ड में उछल रही है खासकर अनुसूचित जाति वर्ग के अध्यापकों में कि देखो पदोन्नति
में 20 प्रतिशत आरक्षण मिल गया पर उन्हें कौन बताए कि तृतीय श्रेणी में तो पहले से ही आरक्षण व्यवस्था लागू है तो फिर मिल कैसे गया?जी हां! आजकल इसी स्वाद से चटखारे ले-लेकर रूबरू हो रहे हैं प्रदेशभर के अध्यापक। मसला है 5548 पदों पर हैडटीचर पदोन्नति का। लगता है शिक्षा विभाग को कई कहावत याद आ गई कि ‘नाम दरोगा धर दे, तनख्वाह चाहै 200 कम कर दै।’ सरकार एवं शिक्षा विभाग ने आव देखा न ताव और आदेश जारी कर दिया कि मिडल हैड का पद तृतीय श्रेणी का अराजपत्रित पद होगा और उसी ग्रेड पे का पद होगा तो एकदम पदोन्नति की बाट जोह रहे अध्यापकों को जोर का झटका धीरे से लगा कि ये कैसी पदोन्नति कि उसी श्रेणी व वेतनमान में ही पदोन्नति और ‘पावर’ के नाम पर कुछ भी नहीं। सिर्फ नाम बदल जाएगा। परंतु बड़ी दिक्कत जब आई जब उसमें लगाई गई शर्त देखी गई जिसमें लिखा है कि बीए में 50 फीसदी, बीएड में 50 फीसदी अंक होने अनिवार्य हैं। अगर उपरोक्त अंक होंगे तो ही मिडल हैड पर पदोन्नति के मामले भेजे जाएंगे और एक जगह 45 फीसदी की शर्त भी रखी गई तो ‘गुरुजी’ गच्चा खा गए क्योंकि जब सारे ‘गुरुजी’ लगे तो इस तरह की शर्त शायद नहीं थी पर पदोन्नति में लटक गए।
जनरल कैटेगरी के भी अध्यापक अटक गए और एससी कैटेगरी के भी अटक गए। अब बेचारे गुरुजी पानी पी-पीकर सरकार व विभाग को कोस रहे हैं और एक बात और फील्ड में उछल रही है खासकर अनुसूचित जाति वर्ग के अध्यापकों में कि देखो पदोन्नति
खैर, आरक्षण भी मिला और शर्तों को देखकर चर्चा यह भी चल पड़ी है कि फिर भी शायद पदोन्नति का आनंद न ले पाएं क्योंकि शर्तों पर खरें नहीं उतरते जबकि जब उन्हें भर्ती किया गया था तो इस तरह की शर्तें नहीं थीं।
शिक्षकों का आरोप है कि पदोन्नति में किसी भी प्रकार की शर्त लगाना नितांत असंवैधानिक है। इस संदर्भ में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वजीर ङ्क्षसह एवं राज्य प्रचार समिति के सदस्य कृष्ण कुमार निर्माण ने कहा है कि वे इसको लेकर आंदोलन करेंगे। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा लगाई गई शर्तों का कोई औचित्य नहीं है।
उनका कहना है कि इस तरह की शर्त लगाकर विभाग एससी अध्यापकों के साथ-साथ सभी शिक्षकों के साथ अन्याय कर रहा है। शर्तें तत्काल वापस लेनी चाहिए व मिडल हैड का पद द्वितीय श्रेणी करके आरक्षण बहाल करे व ग्रेड पे 5400 रुपये दे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो प्रदेशभर के शिक्षक इसके खिलाफ लामबंद होंगे।
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