अफसरों ने नहीं बनवाए 1794 स्कूल



पूरे प्रदेश में पिछले साल अप्रूव सैकड़ों स्कूलों का निर्माण शुरू नहीं, न पैसे की कमी है न कोई और रोड़ा 


अध्यापकों की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूलों की एक बड़ी समस्या पर किसी का ध्यान नहीं। ये समस्या है स्कूलों की बिल्डिंग। इसकी वजह न पैसे की कमी है और न कोई दूसरा रोड़ा। सिर्फ अफसरों की लापरवाही जिम्मेदार है इसके लिए। आलम यह है कि पानी की तरह पैसा बहाए जाने के बावजूद पिछले साल शुरू हुए कई स्कूलों का निर्माण अभी तक लटका हुआ है। सैकड़ों साइट्स पर काम ही शुरू नहीं हुआ है।

तय समय से ज्यादा दिनों तक निर्माण लटकने से लागत बढ़ रही है। इससे निर्माण की गुणवत्ता से समझौता होने का खतरा भी है। हरियाणा में स्क्ूलों के ढांचागत विकास के लिए 2011-12 में 328 करोड़ 57 लाख का बजट अप्रूव है। यह बजट 12716 कार्यों के लिए है। जिसमें से 1804 कार्य शुरू ही नहीं हुए हैं। जबकि 5819 कार्यों की प्रगति का दावा है और 4553 पूरे हो चुके हैं।

सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाएं, हेड मास्टर रूम, लड़कियों के लिए अलग शौचालय, विकलांग बच्चों के लिए शौचालय, रैंप और बाउंड्रीवाल का निर्माण होना है।

डीपीसी की जबावदेही तय

स्कूल निर्माण में गड़बडिय़ों के चलते अब राज्य के सभी डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटरों (डीपीसी) की जवाबदेही तय कर दी गई है। इस साल का जो पैसा स्कूलों को दिया गया है। उसके तहत विकास नहीं हुए तो कार्रवाई का ठीकरा फूटना तय है। इस बावत पंचकूला में बुलाए गए सभी डीपीसी को ताकीद कर दिया गया है। ग्रांट देने के तरीके में भी बदलाव किया गया है। विभाग ने मामले में 15 अगस्त तक सभी काम पूरे करने के लिए निर्देश दिए हैं। काम में देरी होने पर कार्रवाई होगी।

प्रदेश के सैकड़ों स्कूलों में अभी भी बच्चे इस हाल में पढऩे को मजबूर हैं। 

No comments:

Post a Comment

thanks for your valuable comment

See Also

Calculate your age

Age Calculator Choose date of birth: OR enter birth details: / / Calculate Age