जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के दो दिन से दफ्तर में न आने से अध्यापक परेशान रहे
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अतिथि अध्यापकों और प्राइवेट स्कूल अध्यापकों को अनुभव प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर कराने के लिए 48 घंटे इंतजार करना पड़ा। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के दो दिन से दफ्तर में न आने के कारण लोग धूप व गर्मी में परेशान होते रहे। आखिर में परेशान होकर उन्हें जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के सामने नारेबाजी करनी पड़ी। अध्यापकों का कहना था कि उन्हें अधिकारी अनुभव सर्टिफिकेट बनाने के स्थान पर टालमटोल का रवैया अपना रहे हैं। वे पिछले 48 घंटों से अधिकारियों के हस्ताक्षरों की इंतजार कर रहे हैं। अध्यापक मुकेश कुमार, मनदीप कौर, लखविंदर कौर, आशा रानी, बलविंदर सिंह, यशपाल शर्मा, राजीव सैनी और सतबीर गोयत ने बताया कि अतिथि अध्यापक वर्ष 2005 से 2008 तक पीरियड वेस पर सरकारी स्कूलों में पढ़ाते रहे हैं। इस पश्चात उन्हें नियमित तौर पर पढ़ाने का सरकार ने लेटर जारी किया था। इस लेटर के अनुसार उनका कार्यकाल पीरियड के आधार के स्थान पर वार्षिक माना जाने लगा। लेकिन अब उन्हें नई पोस्टों के लिए आवेदन देने हैं। अधिकारी अनुभव सर्टिफिकेट बनाने के लिए पीरियड को आधार मान रहे हैं। पंजाबी और संस्कृत टीचर के दिन में एक या दो पीरियड लगते रहे हैं। ऐसे में वे चार साल का अनुभव पूरा ही नहीं कर पाएंगे। अधिकारी सरकारी आदेशों को ही नहीं मान रहे। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के सचिव सतबीर गोयत ने बताया कि उन्होंने सात बार डीईईओ को विज्ञापन दिए हैं। लेकिन उनकी एक भी समस्या हल नहीं हुई। अधिकारी अध्यापकों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। अतिथि अध्यापक एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष सुभाष राविश ने बताया कि वे अनुभव प्रमाणपत्र व सर्विस बुक लगाने की मांग को लेकर बीईओ व उप जिला शिक्षा अधिकारी से बात करनी चाही तो दोनों अधिकारियों का रवैया तानाशाही था। जबकि सरकार ने सर्विस बुक लागू करने के एक सितंबर 2009 को आदेश जारी कर दिए थे। अध्यापकों का कहना है कि पिछले कई दिनों से अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन अधिकारी ही बार टालमटोल का रवैया अपना कर उनकी फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे। इस बारे में डिप्टी डीईओ रफिया राम का कहना है कि सरकार ने अनुभव प्रमाण पत्र मांगने की तिथि 16 से बढ़ाकर 30 कर दी है। अगर पहली तिथि ही होती तो वे कैसे प्रमाण पत्र जमा करा सकते थे। अनुभव सर्टिफिकेट बनाने के लिए 15 प्वाइंट देखने होते हैं। जिस अध्यापक के पास पूरे कागज हैं उन्हें मौके पर ही सर्टिफिकेट बनाकर दिया जा रहा है। उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं। |
हस्ताक्षर कराने के लिए 48 घंटे करना पड़ा इंतजार
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