बीकानेर.राज्य की तीन हजार 59 सरकारी प्राथमिक स्कूलों में ग्रेडिंग प्रणाली इस शिक्षा सत्र में लागू कर दी गई है। इन स्कूलों में अब परीक्षा के बजाय बालकों का सतत एवं व्यापक मूल्यांकन किया जाएगा। अन्य स्कूलों में यह प्रणाली आगामी वर्षो में लागू की जाएगी।
राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत एसआईईआरटी, उदयपुर ने स्कूलों में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन पद्धति तय कर दी है। पहले चरण में यह प्रणाली 3059 उन प्राथमिक स्कूलों में लागू की जाएगी। इनमें लहर कार्यक्रम संचालित हो रहा है तथा इन स्कूलों में तीन या तीन से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें परीक्षाएं नहीं होंगी।
हर दो माह में रचनात्मक और हर पांच माह में योगात्मक मूल्यांकन होगा। पहले पांच माह में होने वाले मूल्यांकन का कोर्स अंतिम पांच माह के योगात्मक मूल्यांकन में रिपीट नहीं किया जाएगा। दस माह का शिक्षा सत्र होगा। सत्रांत में बालकों का मूल्यांकन ‘ए’ से ‘ई’ तक ग्रेडिंग प्रणाली से किया जाएगा।
राज्य की शेष प्राथमिक तथा 8वीं कक्षा तक ग्रेडिंग प्रणाली आगामी वर्षो में लागू की जाएगी। इन स्कूलों में इस शिक्षा सत्र में परीक्षाएं ही होंगी लेकिन किसी भी बालक को फेल नहीं किया जाएगा। उसे कक्षोन्नत करते हुए अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा।
इन स्कूलों में आरटीई के प्रावधानों को लागू करने के लिए प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के संयुक्त निदेशक मधु सोरल की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है। यह समिति स्कूलों में प्रवेश, परीक्षाएं, कक्षोन्नत और विषय संशोधन सहित सभी तरह की विसंगतियों की समीक्षा कर सुधार के लिए सुझाव प्रस्तुत करेगी।
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राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत एसआईईआरटी, उदयपुर ने स्कूलों में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन पद्धति तय कर दी है। पहले चरण में यह प्रणाली 3059 उन प्राथमिक स्कूलों में लागू की जाएगी। इनमें लहर कार्यक्रम संचालित हो रहा है तथा इन स्कूलों में तीन या तीन से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें परीक्षाएं नहीं होंगी।
हर दो माह में रचनात्मक और हर पांच माह में योगात्मक मूल्यांकन होगा। पहले पांच माह में होने वाले मूल्यांकन का कोर्स अंतिम पांच माह के योगात्मक मूल्यांकन में रिपीट नहीं किया जाएगा। दस माह का शिक्षा सत्र होगा। सत्रांत में बालकों का मूल्यांकन ‘ए’ से ‘ई’ तक ग्रेडिंग प्रणाली से किया जाएगा।
राज्य की शेष प्राथमिक तथा 8वीं कक्षा तक ग्रेडिंग प्रणाली आगामी वर्षो में लागू की जाएगी। इन स्कूलों में इस शिक्षा सत्र में परीक्षाएं ही होंगी लेकिन किसी भी बालक को फेल नहीं किया जाएगा। उसे कक्षोन्नत करते हुए अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा।
इन स्कूलों में आरटीई के प्रावधानों को लागू करने के लिए प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के संयुक्त निदेशक मधु सोरल की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है। यह समिति स्कूलों में प्रवेश, परीक्षाएं, कक्षोन्नत और विषय संशोधन सहित सभी तरह की विसंगतियों की समीक्षा कर सुधार के लिए सुझाव प्रस्तुत करेगी।
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शिक्षा विभाग में रिटायरमेंट के बाद बन रही एसीआर
शिमला। शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल रहने का दावा करने वाले प्रदेश के शिक्षा विभाग की लेटलतीफी सुनकर हर कोई भी हैरान हो सकता है। मामला उन 458 शिक्षकों का है, जो हेडमास्टर से प्रिंसिपल तो बन गए, लेकिन उनको रिटायरमेंट तक हेडमास्टर का ही वेतन मिलता रहा। रिटायर होने के बाद भी ऐसे शिक्षकों को हेडमास्टर पद की ही पेंशन मिल रही है, क्योंकि उनकी एसीआर अब तैयार की जा रही है।
यह है मामला
शिक्षा विभाग में वर्षो पहले हेडमास्टर से प्रिंसिपल बने शिक्षकों की एसीआर नहीं बन पाई है। इसके चलते शिक्षक हेडमास्टर से प्रिंसिपल तो बन गए, मगर उनको वेतन हेडमास्टर का ही मिलता रहा। इसमें से 458 शिक्षक जहां रिटायर हो गए हैं, वहीं 386 शिक्षक बतौर काम चलाऊ प्रिंसिपल काम कर रहे हैं। उनको वेतन भी कम मिल रहा है।
यह है मामला
शिक्षा विभाग में वर्षो पहले हेडमास्टर से प्रिंसिपल बने शिक्षकों की एसीआर नहीं बन पाई है। इसके चलते शिक्षक हेडमास्टर से प्रिंसिपल तो बन गए, मगर उनको वेतन हेडमास्टर का ही मिलता रहा। इसमें से 458 शिक्षक जहां रिटायर हो गए हैं, वहीं 386 शिक्षक बतौर काम चलाऊ प्रिंसिपल काम कर रहे हैं। उनको वेतन भी कम मिल रहा है।
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