लेक्चरर पद के लिए आवेदन करने वाले बेरोजगार युवाओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। पहले गुड एकेडमिक रिकॉर्ड की शर्त लगा दी गई। किसी तरह वह शर्त हटी तो उन्हें फीस कन्फर्म कराने के लिए बैंकों के चक्कर काटने पड़े और अब शिक्षक भर्ती बोर्ड ने लेक्चरर पद के लिए होने वाले इंटरव्यू से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (केयू) के एमकॉम डिग्रीधारकों को अयोग्य करार दे डाला।
शिक्षक भर्ती बोर्ड की कमेटी 'बी' ने बीती 3 और 4 अगस्त को बल्लभगढ़ में कॉमर्स लेक्चरर के पद भरने के लिए इंटरव्यू लिए थे। इस दौरान केयू से एमकॉम की डिग्री लेने वाले 25 आवेदकों का इंटरव्यू नहीं लिया गया। कमेटी के फैसले का विरोध करते हुए युवाओं ने इसकी शिकायत शिक्षा विभाग से की है।
भिवानी की एक आवेदक, मोनिका ने बताया कि विभाग ने इस पद के लिए जो शैक्षणिक योग्यता रखी थी,
उसके मुताबिक एमकॉम के वह डिग्रीधारक, जिनके पास अकाउंट्स, कॉस्ट अकाउंट्स या फाइनेंशियल अकाउंट्स में से कोई भी एक विषय है, वह आवेदन कर सकते थे। ऐसे में बहुत सारे डिग्रीधारकों ने आवेदन किया। केयू में एमकॉम में जो सब्जेक्ट हैं, उनके साथ 'मैनेजमेंट' शब्द जुड़ा है।
मोनिका के अनुसार, इंटरव्यू लेने वाली कमेटी ने यह कहते हुए केयू के एमकॉम डिग्रीधारकों का साक्षात्कार लेने से मना कर दिया कि उनकी योग्यता निर्धारित मापदंडों के अनुसार नहीं है। इस कमेटी ने सिर्फ महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के डिग्रीधारकों को योग्य मानते हुए उनके इंटरव्यू लिए।
मोनिका ने बताया कि इससे पहले इसी शिक्षक भर्ती बोर्ड की कमेटी 'ए' ने करनाल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (केयू) के डिग्रीधारकों को योग्य मानते हुए उनके इंटरव्यू लिए थे।
॥एमकॉम में अकाउंट्स से संबंधित विषय अकाउंटिंग फॉर मैनेजिरियल डिसिजन, थ्योरी व फाइनेंशियल अकाउंटिंग में मैनेजमेंट अकाउंट्स एंड फाइनेंशियल मैनेजमेंट विषय है। कॉस्ट अकाउंटिंग का विषय एमकॉम में नहीं है पर मैनेजमेंट अकाउंट्स में इसका जिक्र है।
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\
विद्यार्थियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए बनाई गई मुख्यमंत्री स्कूल सौंदर्यीकरण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना सुस्त कार्यप्रणाली की शिकार हो गई है। शिक्षा विभाग ने पिछली स्वतंत्रता दिवस पर यह योजना आरंभ की थी। पहले खंड स्तर पर फिर जिला स्तर पर प्रतियोगिता के परिणाम के लिए निर्धारित की गई शिक्षा विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों की टीमों ने समय पर विद्यालयों का निरीक्षण ही नहीं किया। इसके बाद निरीक्षण का परिणाम घोषित करने में भी विभाग ने सुस्त रवैया दिखाया और काफी समय बाद परिणाम की घोषणा हुई। योजना का आरंभ मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किया तथा राज्य स्तरीय पुरस्कार के परिणाम की घोषणा गणतंत्र दिवस पर घोषित करने की योजना बनाई गई थी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा योजना के तहत खंड स्तरीय, जिला स्तरीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए समय भी निर्धारित कर दिया लेकिन इसके बाद विभाग योजना को लेकर सिरे चढ़ाना ही भूल गया। सूत्रों के अनुसार प्रदेश के कई जिलों में 26 जनवरी नजदीक आते देख प्रशासनिक से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक ने आनन-फानन में तेजी दिखाई और विद्यालयों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार कर दी। लेकिन विभाग अब तक परिणाम घोषित नहीं कर पाया है। ये है योजना इस योजना के तहत 400 अंकों का एक प्रपत्र तैयार किया गया, जिसके आधार पर स्कूल के मुखिया द्वारा स्वयं को अंक निर्धारण करने थे। खंड स्तरीय कमेटी, जिला स्तर व राज्य स्तर पर गठित टीम द्वारा निरीक्षण कर अंकों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ विद्यालय का चयन करना था। खंड स्तर पर प्रथम विद्यालय को 50 हजार रुपये, जिला स्तर पर 1 लाख रुपये और राज्य स्तर पर प्रथम विद्यालयों को 5 लाख रुपये की नकद राशि का पुरस्कार दिया जाना है
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\
शिक्षक भर्ती बोर्ड की कमेटी 'बी' ने बीती 3 और 4 अगस्त को बल्लभगढ़ में कॉमर्स लेक्चरर के पद भरने के लिए इंटरव्यू लिए थे। इस दौरान केयू से एमकॉम की डिग्री लेने वाले 25 आवेदकों का इंटरव्यू नहीं लिया गया। कमेटी के फैसले का विरोध करते हुए युवाओं ने इसकी शिकायत शिक्षा विभाग से की है।
भिवानी की एक आवेदक, मोनिका ने बताया कि विभाग ने इस पद के लिए जो शैक्षणिक योग्यता रखी थी,
उसके मुताबिक एमकॉम के वह डिग्रीधारक, जिनके पास अकाउंट्स, कॉस्ट अकाउंट्स या फाइनेंशियल अकाउंट्स में से कोई भी एक विषय है, वह आवेदन कर सकते थे। ऐसे में बहुत सारे डिग्रीधारकों ने आवेदन किया। केयू में एमकॉम में जो सब्जेक्ट हैं, उनके साथ 'मैनेजमेंट' शब्द जुड़ा है।
मोनिका के अनुसार, इंटरव्यू लेने वाली कमेटी ने यह कहते हुए केयू के एमकॉम डिग्रीधारकों का साक्षात्कार लेने से मना कर दिया कि उनकी योग्यता निर्धारित मापदंडों के अनुसार नहीं है। इस कमेटी ने सिर्फ महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के डिग्रीधारकों को योग्य मानते हुए उनके इंटरव्यू लिए।
मोनिका ने बताया कि इससे पहले इसी शिक्षक भर्ती बोर्ड की कमेटी 'ए' ने करनाल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (केयू) के डिग्रीधारकों को योग्य मानते हुए उनके इंटरव्यू लिए थे।
॥एमकॉम में अकाउंट्स से संबंधित विषय अकाउंटिंग फॉर मैनेजिरियल डिसिजन, थ्योरी व फाइनेंशियल अकाउंटिंग में मैनेजमेंट अकाउंट्स एंड फाइनेंशियल मैनेजमेंट विषय है। कॉस्ट अकाउंटिंग का विषय एमकॉम में नहीं है पर मैनेजमेंट अकाउंट्स में इसका जिक्र है।
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\
विद्यार्थियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए बनाई गई मुख्यमंत्री स्कूल सौंदर्यीकरण प्रोत्साहन पुरस्कार योजना सुस्त कार्यप्रणाली की शिकार हो गई है। शिक्षा विभाग ने पिछली स्वतंत्रता दिवस पर यह योजना आरंभ की थी। पहले खंड स्तर पर फिर जिला स्तर पर प्रतियोगिता के परिणाम के लिए निर्धारित की गई शिक्षा विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों की टीमों ने समय पर विद्यालयों का निरीक्षण ही नहीं किया। इसके बाद निरीक्षण का परिणाम घोषित करने में भी विभाग ने सुस्त रवैया दिखाया और काफी समय बाद परिणाम की घोषणा हुई। योजना का आरंभ मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किया तथा राज्य स्तरीय पुरस्कार के परिणाम की घोषणा गणतंत्र दिवस पर घोषित करने की योजना बनाई गई थी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा योजना के तहत खंड स्तरीय, जिला स्तरीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए समय भी निर्धारित कर दिया लेकिन इसके बाद विभाग योजना को लेकर सिरे चढ़ाना ही भूल गया। सूत्रों के अनुसार प्रदेश के कई जिलों में 26 जनवरी नजदीक आते देख प्रशासनिक से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक ने आनन-फानन में तेजी दिखाई और विद्यालयों का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार कर दी। लेकिन विभाग अब तक परिणाम घोषित नहीं कर पाया है। ये है योजना इस योजना के तहत 400 अंकों का एक प्रपत्र तैयार किया गया, जिसके आधार पर स्कूल के मुखिया द्वारा स्वयं को अंक निर्धारण करने थे। खंड स्तरीय कमेटी, जिला स्तर व राज्य स्तर पर गठित टीम द्वारा निरीक्षण कर अंकों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ विद्यालय का चयन करना था। खंड स्तर पर प्रथम विद्यालय को 50 हजार रुपये, जिला स्तर पर 1 लाख रुपये और राज्य स्तर पर प्रथम विद्यालयों को 5 लाख रुपये की नकद राशि का पुरस्कार दिया जाना है
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\
पढ़ाई के साथ कॉलेज में है कमाई का भी जुगाड़
फरीदाबाद. आर्थिक रूप से कमजोर हैं तो चिंता की कोई बात नहीं। गवर्नमेंट कॉलेज में ऐसे छात्र ‘पढ़ाई के साथ कमाई योजना’ का लाभ उठा सकते हैं। अपने बलबूते पढ़ाई करने के लिए इस योजना का शुभारंभ उच्चतर शिक्षा विभाग ने किया है।
इस योजना में छात्रों को कैंपस में काम देते समय इनका बैक ग्राउंड भी देखा जाता है, ताकि इसका फायदा आर्थिक रूप से कमजोर छात्र उठा सकें। काम जानने वाले छात्रों को अधिक तरजीह दी जाती है। अनुभव मिलने के बाद छात्र दूसरी जगह भी इसका लाभ उठाते हैं। एक तरह कैंपस में इन्हें काम करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
फ्रेशर्स को भी मिलेगा मौका
इस योजना के तहत पुराने छात्रों को मौका दिया जाता रहा है। इस बार फ्रेशर्स को भी यह मौका मिलेगा। स्कूल स्तर पर अन्य गतिविधियों में भाग लेते रहे हैं तो यह सुनहरा मौका है। एक छात्र को एक माह का काम मिलता है।
यहां कर सकते हैं संपर्क
काम लेने के लिए विभिन्न कॉलेजों में अलग से सेल का गठन किया गया है। छात्र इस संबद्ध में प्रिंसिपल से जानकारी ले सकते हैं। किसी वजह से काम न मिला तो दूसरी बार कोशिश कर सकते हैं।
दोबारा नहीं मिलता काम
इस योजना के तहत एक बार काम मिल गया है तो दोबार मौका नहीं मिलेगा। दूसरी बार अन्य छात्रों को मौका दिया जाता है। ताकि इसका लाभ अधिक से अधिक छात्र उठा सकें। पहले एक घंटे के काम के लिए 50 रुपए मिलते थे। इसमें बढ़ोतरी कर 100 रुपए कर दिया गया है। इसमें 50 रुपए बढ़ोतरी की मांग छात्रों द्वारा की जा रही है।
कमाई योजना के मुख्य बिंदु
2008 में की गई थी योजना की शुरूआत एक घंटे के लिए मिलता है 100 रुपए 1 माह में कमा सकते हैं 2400 रुपए कार्य में दक्ष हैं तभी मिलेगा मौका एक बार में 12 छात्रों को मिलता है मौका
ऐसे होता है चयन
प्रिंसिपल की अध्यक्षता में गठित कमेटी इच्छुक छात्रों का साक्षात्कार करती है। इसमें कंप्यूटर, अंग्रेजी स्पीकिंग, हिंदी भाषा पर पकड़ की जानकारी ली जाती है। इसके बाद कक्षा के अन्य सहपाठी और लेक्चर्स से साक्षात्कार में शामिल छात्रों से व्यवहार के बारे में पूछताछ की जाती है। इसके बाद काम का मौका मिलता है।
कैंपस में यहां मिलता है काम
लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब, सॉफ्ट स्किल लैब, साइंस लैब और सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान। एक्सपर्ट व्यू:गर्ल्स कॉलेज सेक्टर-16ए की वाइस प्रिंसिपल विमला विश्नोई ने बताया कि कंप्यूटर की जानकारी है तो इसका लाभ उठा सकते हैं। इस संबंध में नोटिस बोर्ड पर आवश्यक जानकारी चस्पा कर दी जाती है। मेरिट भी काम का आधार होता है। इसके साथ अन्य गतिविधियों में छात्रों की भागीदारी भी देखी जाती है।
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\
शिक्षकों से भरे जायेंगे जूनियर इंजीनियरों के खाली पद
जयपुर.प्रदेश में बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी से जूझ रहा शिक्षा विभाग अब सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत लगे कई शिक्षकों से पढ़ाई छुड़वाकर उन्हें कनिष्ठ अभियंता (जेईएन) बनाएगा। ये वे शिक्षक, प्रयोगशाला सहायक हैं जो कई साल से सीधे तौर पर अध्यापन से जुड़े हुए हैं।
पहले चरण में 72 ऐसे शिक्षकों के साक्षात्कार के बाद चयनित होने वालों को जेईएन बना दिया जाएगा। फिलहाल इस संबंध में शिक्षामंत्री बृजकिशोर शर्मा का अंतिम अनुमोदन होना बाकी है।
शिक्षकों को जेईएन के रूप में लगाने की कवायद काफी संख्या में एसएसए में इनके पद खाली होने के कारण शुरू हुई। जेईएन के रूप में प्रतिनियुक्ति होने वाले शिक्षकों का पढ़ाई से पूरी तरह नाता टूट जाएगा।
ये वे शिक्षक हैं जिन्होंने शिक्षक बनने से पहले सिविल में डिप्लोमा कर रखा हैं अथवा इंजीनियरिंग से जुड़े अन्य कामों का अनुभव हासिल कर रखा है। इधर शिक्षकों के पद खाली होने से स्कूलों में पढ़ाई बिगड़ने के बावजूद इन शिक्षकों को जेईएन के रूप में लगाने को लेकर विवाद भी शुरू हो गया है।
कुछ अधिकारियों का यह भी मानना है कि जेईएन के लिए अलग से भर्तियां होनी चाहिए थीं न कि वर्तमान शिक्षण व्यवस्था में लगे शिक्षकों को लगाना था। ऐसा होने से एक गलत परंपरा की शुरुआत हो जाएगी। चयन सूची जारी होने के बाद ये शिक्षक जेईएन के रूप में फील्ड का काम करने लगेंगे। विभाग में बड़ी संख्या में विषयाध्यापकों को भी पढ़ाई छुड़वाकर रिसोर्स पर्सन के तौर पर लगा रखा है।
अंतिम फैसला नहीं हुआ है
'एसएसए में जेईएन के कुछ पद खाली है, ऐसे में डिप्लोमाधारी शिक्षकों को लगाने की कार्यवाही चल रही है। फिलहाल यह शुरुआती चरण में है, अंतिम फैसला नहीं हुआ है। वैसे भी कुछ शिक्षकों को लगाने से विशेष फर्क नहीं पड़ेगा।'
-बृजकिशोर शर्मा, शिक्षामंत्री
पहले चरण में 72 ऐसे शिक्षकों के साक्षात्कार के बाद चयनित होने वालों को जेईएन बना दिया जाएगा। फिलहाल इस संबंध में शिक्षामंत्री बृजकिशोर शर्मा का अंतिम अनुमोदन होना बाकी है।
शिक्षकों को जेईएन के रूप में लगाने की कवायद काफी संख्या में एसएसए में इनके पद खाली होने के कारण शुरू हुई। जेईएन के रूप में प्रतिनियुक्ति होने वाले शिक्षकों का पढ़ाई से पूरी तरह नाता टूट जाएगा।
ये वे शिक्षक हैं जिन्होंने शिक्षक बनने से पहले सिविल में डिप्लोमा कर रखा हैं अथवा इंजीनियरिंग से जुड़े अन्य कामों का अनुभव हासिल कर रखा है। इधर शिक्षकों के पद खाली होने से स्कूलों में पढ़ाई बिगड़ने के बावजूद इन शिक्षकों को जेईएन के रूप में लगाने को लेकर विवाद भी शुरू हो गया है।
कुछ अधिकारियों का यह भी मानना है कि जेईएन के लिए अलग से भर्तियां होनी चाहिए थीं न कि वर्तमान शिक्षण व्यवस्था में लगे शिक्षकों को लगाना था। ऐसा होने से एक गलत परंपरा की शुरुआत हो जाएगी। चयन सूची जारी होने के बाद ये शिक्षक जेईएन के रूप में फील्ड का काम करने लगेंगे। विभाग में बड़ी संख्या में विषयाध्यापकों को भी पढ़ाई छुड़वाकर रिसोर्स पर्सन के तौर पर लगा रखा है।
अंतिम फैसला नहीं हुआ है
'एसएसए में जेईएन के कुछ पद खाली है, ऐसे में डिप्लोमाधारी शिक्षकों को लगाने की कार्यवाही चल रही है। फिलहाल यह शुरुआती चरण में है, अंतिम फैसला नहीं हुआ है। वैसे भी कुछ शिक्षकों को लगाने से विशेष फर्क नहीं पड़ेगा।'
-बृजकिशोर शर्मा, शिक्षामंत्री
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\
\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\\
No comments:
Post a Comment
thanks for your valuable comment