राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक भर्ती होने के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं है। ओवरएज शब्द के बंधन से उन आवेदकों को मुक्ति मिल सकती है जो रोजगार कार्यालय में पंजीकरण कराकर नियमित रूप से नवीनीकरण करने की शर्त को पूरा करते रहे हों। उम्र चाहे 50 वर्ष पार हो गई हो फिर भी ऐसे आवेदक नौकरी के लिए पात्र माने गए हैं। इसका खुलासा आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है। राज्य में सरकारी सेवा में भर्ती होने के लिए आयु सीमा 40 वर्ष रखी गई है। इस आयु सीमा पार होने पर सरकार आवेदक को ओवरएज मानकर भर्ती होने के मापदंडों से बाहर कर देती है। शिक्षा विभाग के मामले में ऐसा नहीं होता। ढाणी माजरा के दलीप सिंह ने रोजगार विभाग से शिक्षक भर्ती में छूट के प्रावधानों की जानकारी मांगी थी। आरटीआइ में मुख्य सचिव हरियाणा की सामान्य सेवाएं शाखा की अधिसूचनाओं का उल्लेख किया गया है। पत्र क्रमांक 8407-12/24-77 दिनांक 11.12.1981
व इससे पूर्व के हरियाणा सरकार की तीन अधिसूचनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि उन आवेदकों को आयु सीमा में अधिकतम छूट का प्रावधान है, जिनका नाम लगातार रोजगार विभाग में दर्ज हो। इन अधिसूचनाओं में कहा गया है कि हिंदी, पंजाबी, संस्कृत, आर्ट एंड क्राफ्ट, पीटीआइ, टेलरिंग, कला अध्यापक, स्कूल प्राध्यापक, बीएड, एमएड, जेबीटी, होम साइंस, एसवीएसटी वर्ग के प्रशिक्षण प्राप्त आवेदक रेगुलर नियुक्ति प्राप्त करने से पहले ओवरएज हो जाता है तो ऐसे व्यक्तियों को तब तक आयु सीमा में समझा जाएगा, जब तक उन्हें इस पद पर रेगुलर नियुक्ति न मिल जाए। ओवरएज भी नौकरी का हकदार प्रशिक्षण प्राप्त आवेदक के लिए सेवानिवृत्ति तक ज्वाइन करना संभव खुलासा
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व इससे पूर्व के हरियाणा सरकार की तीन अधिसूचनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि उन आवेदकों को आयु सीमा में अधिकतम छूट का प्रावधान है, जिनका नाम लगातार रोजगार विभाग में दर्ज हो। इन अधिसूचनाओं में कहा गया है कि हिंदी, पंजाबी, संस्कृत, आर्ट एंड क्राफ्ट, पीटीआइ, टेलरिंग, कला अध्यापक, स्कूल प्राध्यापक, बीएड, एमएड, जेबीटी, होम साइंस, एसवीएसटी वर्ग के प्रशिक्षण प्राप्त आवेदक रेगुलर नियुक्ति प्राप्त करने से पहले ओवरएज हो जाता है तो ऐसे व्यक्तियों को तब तक आयु सीमा में समझा जाएगा, जब तक उन्हें इस पद पर रेगुलर नियुक्ति न मिल जाए। ओवरएज भी नौकरी का हकदार प्रशिक्षण प्राप्त आवेदक के लिए सेवानिवृत्ति तक ज्वाइन करना संभव खुलासा
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आरटीआइ पर लगाम
नई दिल्ली, प्रेट्र : सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून के पारदर्शी प्रावधानों से आजिज सरकार ने उस पर लगाम कसने की कोशिश की है। सरकार की कार्यप्रणाली के बारे में गोपनीय से गोपनीय जानकारी हासिल करने के जनता के अधिकार को नए नियमों के जाल में उलझा दिया गया है। 31 जुलाई को अधिसूचित नियमों के अनुसार सरकार ने आरटीआइ के तहत सीआइसी के समक्ष दायर होने वाली याचिकाओं को शब्दों की सीमा में बांध दिया है। अब केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) के समक्ष कोई भी याचिका पांच सौ शब्दों के अंदर ही दाखिल की जा सकेगी। इतना ही नहीं सरकार ने याचिका दायर करने के लिए नए प्रारूप भी तय कर दिए हैं। जिसके तहत अब याचिका दायर करने वाले या उसके अधिकृत प्रतिनिधि की सीआइसी के समक्ष खुद या वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी को अनिवार्य कर दिया गया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि अगर केंद्रीय सूचना आयोग, याचिकाकर्ता या उसके प्रतिनिधि द्वारा याचिका के संबंध में दिए तर्को से सहमत नहीं होता है तो वह इसे खारिज भी कर सकता है। इसके साथ अब किसी भी आरटीआइ आवेदन पत्र के साथ दस रुपये की फीस भी जमा करना होगा। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि अगर मांगी जानकारी पर पोस्टल चार्ज पचास रुपये से अधिक होगा तो उसका भुगतान याचिकाकर्ता द्वारा किया जाएगा। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों से कोई फीस नहीं वसूली जाएगी
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