डिप्लोमा इन एजुकेशन (डीएड) को इस वर्ष से तीन साल के किए जाने के चलते इस बार दाखिले की पर्सेंटेज में काफी गिरावट देखने को मिली है। छात्रों द्वारा दाखिले में कम दिलचस्पी ली जा रही है। इस वजह से सीटें नहीं भरी जा रही हैं। स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर (एससीईआरटी) के अधिकारियों के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चिंता सीटें भरनी की है। पिछले साल की काउंसलिंग की पर्सेंटेज और इस साल की पर्सेंटेज में दो से 7 अंकों का फर्क है। सबसे अधिक अंतर जनरल कैटेगरी में देखने को मिला है।
पिछले साल की तुलना में इस साल दाखिले की पर्सेंटेज में काफी फर्क देखने को मिल रहा है। इस साल जनरल कैटेगरी के दाखिले की पर्सेंटेज 70 प्रतिशत पहुंच गई है जबकि पिछले साल यह 77.6 पर्सेंटेज थी। बीसी-ए और बीसी-बी कैटेगरी की पर्सेंटेज इस साल 67 पहुंच गई है जबकि पिछले साल 71.4 थी। इस साल एससी कैटेगरी की दाखिले की कटऑफ 67 पहुंच गई है जबकि पिछले साल 69 रही थी। एससीईआरटी के विशेषज्ञों द्वारा काउंसलिंग को तीसरे चरण में पूरी किए जाने की बात कही जा रही थी। बावजूद इसके प्रदेशभर में 19300 में से 1800 सीटें रिक्त रहने पर चौथी काउंसलिंग रखी गई। इनमें चौथी काउंसलिंग के आखिरी दिन तक 20 प्रतिशत सीटें रिक्त रह गई हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक रिक्त सीटों के लिए यदि पांचवीं काउंसलिंग होगी तो पर्सेंटेज और भी नीचे गिरेगी।
डीएड काउंसलिंग की कमेटी के मुख्य सदस्य आरएस धनखड़ ने बताया कि इस साल पर्सेंटेज गिरने का मुख्य कारण डीएड को तीन साल का किया जाना है।
छात्रों का कहना है कि तीन साल का डिप्लोमा करने से अच्छा तीन साल की डिग्री कर ली जाए। इस साल पर्सेंटेज में लगातार गिरावट आ रही है। डीएड में सीटेंं रिक्त रहने की वजह छात्रों का समय पर फीस जमा नहीं कराना भी है। यदि दाखिले के दौरान ही छात्रों से आधी फीस ले ली जाए तो उनका कॉलेज में एडमिशन लेना अनिवार्य होगा जिससे सीटें भी भर जाएंगी। |