अब 33 फीसदी में ही पास होंगे 'पप्पू'

पॉलिटेक्निक प्रबंधन ने ग्रेस माक्र्स नहीं देने का लिया फैसला, परीक्षा परिणाम सुधरने की उम्मीद

राज्य में पॉलिटेक्निक छात्रों के परीक्षा परिणाम में सुधार लाने की कवायद के तहत हरियाणा राज्य तकनीकी शिक्षा विभाग ने अब न्यूनतम माक्र्स में कमी करने का ऐलान किया है। दरअसल, छात्रों का दो सेमेस्टरों के परीक्षा परिणाम खराब होने की वजह से अधिकारी भी परेशान थे। परीक्षा परिणाम में सुधार के लिए प्रबंधन आए दिन नए बदलाव कर रहा है। पहले 35 फीसदी नंबर लाने वाले छात्र ही पास होते थे, जबकि दिसंबर में होनी वाली परीक्षाओं में अब 33 फीसदी नंबर वाले छात्र भी पास माने जाएंगे। हालांकि, विभाग ने ग्रेस माक्र्स देने का नियम बंद कर दिया है। इस संबंध में पॉलीटेक्निक संस्थानों को पत्र भी जारी कर दिए गए हैं।
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विद्यार्थियों में खुशी और मायूसी दोनों

पॉलिटेक्निक के छात्रों के लिए यह बदलाव खुशी और मायूसी दोनों लेकर आया है। एक तरफ जहां न्यूनतम माक्र्स में कमी की गई है, वहीं दूसरी ओर, ग्रेस माक्र्स के नियम को बंद कर दिया गया है। जबकि पॉलिटेक्निक के जानकारों का कहना है कि यह बदलाव छात्रों के हित में है। इससे परीक्षा में पास होने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी।

ऐसे हुआ बदलाव

पहले छात्र तीनों वर्षों में जीतने नंबर हासिल करते थे, उसके आधार पर छात्रों को 0.5 प्रतिशत ग्रेस माक्र्स दिए जाते थे। इससे छात्रों को ऐसे विषयों में भी पास होने में मदद मिल जाती थी, जिनमें वो 35 फीसदी माक्र्स प्राप्त नहीं कर पाते थे। अब इस नियम को समाप्त करने का फैसला किया गया है। इसकी जगह न्यूनतम माक्र्स 33 प्रतिशत कर दिए गए हैं।

॥छात्रों के लिए यह बदलाव फायदेमंद साबित होगा। इससे छात्रों को कुछ राहत जरूर मिलेगी। बदलाव की वजह से उम्मीद है कि पास होने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। मुकेश चड्ढा, प्राचार्य, मानेसर पॉलिटेक्निक 

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