नई दिल्ली : चाहकर भी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शैक्षणिक सुधार के फैसलों पर अमल कराने में असफल रहा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) फिर हरकत में है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सेमेस्टर व क्रेडिट सिस्टम, दाखिला प्रक्रिया व परीक्षा सुधार का जो काम बीते चार वर्षो में नहीं हो सका, अब वह उसे अगले दो साल में पूरा करना चाहता है। यही नहीं, जो विश्वविद्यालय व कॉलेज अब भी इन फैसलों पर अमल में कोताही करेंगे, उन्हें सरकारी मदद में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक यूजीसी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शैक्षणिक व प्रशासनिक सुधार के फैसलों को हरहाल में लागू कराना चाहता है। इसका मकसद उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन भी है। लिहाजा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनिवार्य रूप से सेमेस्टर सिस्टम, मांग आधारित क्रेडिट सिस्टम (एक संस्थान में आधी पढ़ाई के बाद बाकी दूसरे संस्थान से पूरी करने की छूट), दाखिला प्रक्रिया और परीक्षा सुधार में कोई छूट नहीं होगी। फैसलों पर सख्ती से अमल हो, इसके लिए आयोग इसे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को मिलने वाले अनुदान व उनके एक्रेडिटेशन से भी जोड़ना चाहता है। यूजीसी ने इसे अधिकतम दो साल में पूरी तरह अमल में लाने का फैसला किया है
सेमेस्टर सिस्टम पर रियायत नहीं
नई दिल्ली : चाहकर भी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शैक्षणिक सुधार के फैसलों पर अमल कराने में असफल रहा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) फिर हरकत में है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सेमेस्टर व क्रेडिट सिस्टम, दाखिला प्रक्रिया व परीक्षा सुधार का जो काम बीते चार वर्षो में नहीं हो सका, अब वह उसे अगले दो साल में पूरा करना चाहता है। यही नहीं, जो विश्वविद्यालय व कॉलेज अब भी इन फैसलों पर अमल में कोताही करेंगे, उन्हें सरकारी मदद में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक यूजीसी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शैक्षणिक व प्रशासनिक सुधार के फैसलों को हरहाल में लागू कराना चाहता है। इसका मकसद उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारने के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन भी है। लिहाजा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनिवार्य रूप से सेमेस्टर सिस्टम, मांग आधारित क्रेडिट सिस्टम (एक संस्थान में आधी पढ़ाई के बाद बाकी दूसरे संस्थान से पूरी करने की छूट), दाखिला प्रक्रिया और परीक्षा सुधार में कोई छूट नहीं होगी। फैसलों पर सख्ती से अमल हो, इसके लिए आयोग इसे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को मिलने वाले अनुदान व उनके एक्रेडिटेशन से भी जोड़ना चाहता है। यूजीसी ने इसे अधिकतम दो साल में पूरी तरह अमल में लाने का फैसला किया है
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