बड़ी तादाद में अतिथि अध्यापक सोमवार को शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल के घर जा धमके। वहां मंत्री नहीं थीं, बाद में वह आईं और अध्यापकों से ज्ञापन लेकर उन्हें आश्वासन दिया। इससे पहले अतिथि अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र घिलौड़ ने श्रीराम शर्मा पार्क में आयोजित रोजी बचाओ-रोटी बचाओ रैली में कहा कि अतिथि अध्यापक पिछले सात वर्षो से शोषण का शिकार हो रहे हैं और अपने आपको अपमानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने घोषणा की कि 10 नवंबर को रोहतक में रैली का आयोजन कर दिल्ली के लिए पदयात्रा शुरू की जाएगी। घिलौड़ ने बताया कि 23 अक्टूबर को नारनौल से शुरू हुई यात्रा मेवात, गुड़गांव, रेवाड़ी, फरीदाबाद, पलवल, सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरूक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, जींद, रोहतक होते हुए सोमवार को झज्जर पहुंची। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी संघ ने अनेक बार अपनी मांगों के लिए संघर्ष किया है। उसके परिणाम स्वरूप सरकार ने उनकी मांगों को माना है। उन्होंने कहा कि संघ के संघर्ष के कारण ही सरकार ने वर्ष 2010 में अतिथि अध्यापकों को बाहर निकालने का फैसला वापस लेना पड़ा था। घिलौड़ ने अतिथि अध्यापकों को नियमित किए जाने की मांग करते हुए कहा कि इस मांग को लेकर वे पीछे नहीं हटेंगे, चाहे उन्हें कोई भी कुर्बानी देनी पड़े। उन्होंने कहा कि इसी मांग को लेकर वे जन आंदोलन को तैयार करेंगे ताकि राज्य भर में संघर्ष का बिगुल बजाया जा सके। संघ नेताओं ने रैली को संबोधित करते हुए आ ान किया कि अतिथि अध्यापकों के शोषण के खिलाफ संघर्ष करने का वक्त आ गया है
शिक्षा मंत्री के घर पहुंचे अतिथि अध्यापक
बड़ी तादाद में अतिथि अध्यापक सोमवार को शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल के घर जा धमके। वहां मंत्री नहीं थीं, बाद में वह आईं और अध्यापकों से ज्ञापन लेकर उन्हें आश्वासन दिया। इससे पहले अतिथि अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र घिलौड़ ने श्रीराम शर्मा पार्क में आयोजित रोजी बचाओ-रोटी बचाओ रैली में कहा कि अतिथि अध्यापक पिछले सात वर्षो से शोषण का शिकार हो रहे हैं और अपने आपको अपमानित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने घोषणा की कि 10 नवंबर को रोहतक में रैली का आयोजन कर दिल्ली के लिए पदयात्रा शुरू की जाएगी। घिलौड़ ने बताया कि 23 अक्टूबर को नारनौल से शुरू हुई यात्रा मेवात, गुड़गांव, रेवाड़ी, फरीदाबाद, पलवल, सोनीपत, पानीपत, करनाल, कुरूक्षेत्र, यमुनानगर, अंबाला, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, जींद, रोहतक होते हुए सोमवार को झज्जर पहुंची। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी संघ ने अनेक बार अपनी मांगों के लिए संघर्ष किया है। उसके परिणाम स्वरूप सरकार ने उनकी मांगों को माना है। उन्होंने कहा कि संघ के संघर्ष के कारण ही सरकार ने वर्ष 2010 में अतिथि अध्यापकों को बाहर निकालने का फैसला वापस लेना पड़ा था। घिलौड़ ने अतिथि अध्यापकों को नियमित किए जाने की मांग करते हुए कहा कि इस मांग को लेकर वे पीछे नहीं हटेंगे, चाहे उन्हें कोई भी कुर्बानी देनी पड़े। उन्होंने कहा कि इसी मांग को लेकर वे जन आंदोलन को तैयार करेंगे ताकि राज्य भर में संघर्ष का बिगुल बजाया जा सके। संघ नेताओं ने रैली को संबोधित करते हुए आ ान किया कि अतिथि अध्यापकों के शोषण के खिलाफ संघर्ष करने का वक्त आ गया है