हरियाणा स्कूल शिक्षक भर्ती बोर्ड द्वारा पीजीटी भर्ती प्रक्रिया में हिन्दी, राजनीतिक विज्ञान, इतिहास व कॉमर्स विषयों के पदों के लिए की गई शॉर्ट लिस्टिंग के विरोध में पात्र अध्यापक अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। यह फैसला शनिवार शाम को में आयोजित जिलास्तरीय बैठक में लिया गया। रविवार को रोहतक की छोटू राम धर्मशाला में राज्य स्तरीय बैठक बुलाई है। बैठक की अध्यक्षता संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा करेंगे। यह जानकारी संघ के जिला प्रधान पवन चमारखेड़ा ने दी। महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष अर्चना सुहासिनी कहा कि यदि मेवात कैडर में पीजीटी भर्ती का जिक्र किया जाए तो यहां भी आठ गुणा उम्मीदवार बुलाए गए हैं। इसी तरह हरियाणा कैडर में भी अंग्रेजी विषय में पांच गुणा उम्मीदवार बुलाए गए हैं वहीं हिंदी, राजनीतिक विज्ञान, इतिहास और कॉमर्स विषय के लिए केवल तीन गुणा उम्मीदवार ही साक्षात्कार के लिए बुलाए गए हैं। ये पात्रता परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों के साथ धोखा किया गया है
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सरकार ने स्कूलों में नियुक्त किए जाने वाले पीजीटी अध्यापकों के लिए मेरिट सूची जारी करने से हजारों पीजीटी आवेदकों के सपनों पर पानी फिर गया है। पीजीटी कामर्स के लिए आवेदनकर्ता राजेश, सोहन , रामकुमार, रोहिनी, राममेहर आदि ने बताया कि शिक्षा विभाग ने यह भर्ती करीब 13 साल बाद निकाली है। इससे पूर्व 1999 में कॉमर्स पीजीटी के लिए आवेदन मांगे थे लेकिन भर्ती नहीं हुई थी। आज तक कामर्स के पद खाली पड़े थे। उन्होंने बताया कि कॉमर्स के हजारों आवेदकों को आशा थी कि विभाग भर्ती निकालेगा। पीजीटी भर्ती के लिए उन्होंने आवेदन किया तो हरियाणा स्कूल अध्यापक भर्ती बोर्ड ने इस पर भी 57 प्रतिशत मेरिट रख दी।
उन्होंने बताया कि भर्ती बोर्ड ने इसके लिए केवल स्नातकोत्तर के नंबरों को आधार बनाया है जबकि इसके अनुभव को कोई महत्व नहीं दिया गया है। केवल इतना ही नहीं भर्ती बोर्ड ने स्नातकोत्तर में कम प्रतिशत वाले पात्रता परीक्षा पास युवाओं को नजरअंदाज कर दिया है जबकि इसमें अनुभव प्रमाणपत्र वाले युवाओं को मौका दिया है। भर्ती बोर्ड ने बिना अनुभव प्रमाणपत्रों की जांच कराए ही साक्षात्कार लेने का निर्णय लिया है जबकि बड़े पैमाने पर अनुभव प्रमाण सही नहीं हैं।
बीसी आरक्षण को किया नजरअंदाज
हरियाणा स्कूल टीचर सेलेक्शन बोर्ड ने मेरिट में आरक्षण को भी ठेंगा दिखाया है। हालांकि सरकार ने सभी भर्तियों में अनुसूचित जाति व पिछड़ी जाति के अलग से आरक्षण दिया है लेकिन बोर्ड अधिकारियों ने पिछड़ी जाति के अभ्यर्थियों को सामान्य सूची में शामिल करते हुए मेरिट सूची जारी करने का फैसला लिया है जो सही नहीं है।
स्क्रीनिंग टेस्ट को बनाया जाए आधार
पीजीटी आवेदकों ने सरकार से मांग की है जिस विषय में आवेदकों की संख्या अधिक है तो उनकी स्नातकोत्तर पर मेरिट की बजाय स्क्रीनिंग टेस्ट कर मेरिट तैयार की जाए ताकि योग्य अभ्यर्थियों को आगे आने का मौका मिल सके।
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