शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार प्राथमिक स्तर पर 30 बच्चों पर एक शिक्षक रखने का प्रावधान है। लेकिन विभाग इस नियम को ताक पर रख 120 छात्रों तक तो इस नियम का पालन कर रही है लेकिन इससे ऊपर 40 छात्रों पर एक शिक्षक रख रही है। जैसे 30 पर एक, 60 पर दो, 90 पर तीन, 120 पर चार तथा 200 पर पाच इससे ऊपर प्रत्येक 40 पर एक शिक्षक का प्रावधान रखा गया है। जो की अधिनियम के विरुद्ध है।
खंड सीवन में राजकीय प्राथमिक पाठशाला डेरा गोबिंदपुरा, डेरा झबरा, डेरा गुरदास पुरा, डेरा उत्तम सिंह, आदि आधा दर्जन ऐसे स्कूल है जहा छात्रों की संख्या 20 से कम है तथा स्कूल बंद होने पर इन पाठशालाओं में पढ़ रहे बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए लगभग तीन-चार किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी जो की सरासर गलत है एवं शिक्षा के अधिकार नियम के विरुद्ध है।
बच्चों को मिलेगी वाहन सुविधा
संतोष
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी संतोष ग्रोवर ने कहा कि रेशनेलाइजेशन का फैसला सरकार का है। कई स्कूलों में 10 से 15 बच्चे है। एक मुख्य शिक्षक एवं एक शिक्षक दोनों का लाखों रुपये साल का वेतन बनता है। इन बच्चों को पास के स्कूल में ले जाने के लिए सरकार वाहन का इतजाम करेगी जो बच्चों को ले जाएगा व ले आएगा जिस पर बहुत कम खर्च होगा। 8 अक्टूबर को एक बैठक होने जा रही है जिसमें फैसला लिया जाएगा कि क्या होना है।
सब्जबाग दिखा रही सरकार : संदीप शर्मा
अध्यापक संघ के जिला महासचिव संदीप शर्मा ने बताया कि रेशनेलाइजेशन कर सरकार शिक्षकों के पदों को समाप्त करना चाहती है। विभाग के अधिकारियों द्वारा लोगों को सब्जबाग दिखाए जा रहे है जबकि बच्चों को लाने ले जाने के लिए वाहनों की बात करने वाला विभाग आज तक डयूल-डेस्क टाट-पट्टी एवं शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं दे सका है। इस संदर्भ मे 7 अक्तूबर को अध्यापक संघ की राज्य कार्यकारिणी की बैठक कुरुक्षेत्र में होगी।
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