डीएड की पुस्तकें अब हिंदी में भी मिलेंगी ++सर्विस नियम में फंसे लेक्चरर के आवेदक +++प्रदेश के 100 स्कूल जुड़ेंगे एक नेटवर्क से


डीएड की पुस्तकें अब हिंदी में भी मिलेंगी 
सर्विस नियम में फंसे लेक्चरर के आवेदक 
प्रदेश के 100 स्कूल जुड़ेंगे एक नेटवर्क से 
नैक की ए ग्रेड यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर चुके विद्यार्थी ही कर सकेंगे आवेदन 

सरकारी स्कूलोंं के बच्चों को इंटरनेशनल लेवल की एजुकेशन देने प्रदेश के 100 स्कूलों का चयन किया गया है। इन स्कूलों को ब्रिटिश काउंसिल कनेक्टिंग क्लासिस प्रोजेक्ट से जोडऩे का फैसला लिया गया है। इसके लिए काउंसिल की ओर से स्कूलों में पढ़ाई के स्तर को बढ़ावा देने के लिए टीचर्स को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। प्रदेश के बेस्ट मॉडल स्कूलों में शामिल हिसार के सीनियर सेकंडरी स्कूल जहाजपुल की तर्ज पर इन स्कूलों को तैयार किया जाएगा। शिक्षा में वल्र्ड वाइड डायमेंशन कैसे बनाई जा सकती है और स्टूडेंट्स के लिए कैसे लाभदायक है सभी बच्चों को सिखाया जाएगा। इसके अलावा बच्चों को लर्निंग प्रोसेस के नवीनतम तरीके भी सिखाए जाएंगे।
ब्रिटिश काउंसिल यूनाइटेड किंगडम के डायरेक्टर रौब लिनिस का मानना है कि स्कूल एजुकेशन में वल्र्ड वाइड सोच की जरूरत है। 
विकास बत्तान त्न कुरुक्षेत्र
प्रदेश सरकार की ओर से कॉलेज शिक्षकों के लिए जारी किए गए नए नियमों के नोटिफिकेशन ने प्रदेशभर के आवेदकों को बीच मझदार में लाकर खड़ा कर दिया है। नए सर्विस नियमों के फेर में आवेदक पूरी तरह से फंस चुके हंै। इनमें आने वाले समय के आवेदक नहीं बल्कि अब तक नौकरी ना लगे सभी आवेदकों को शामिल कर लिया गया है।
दिलचस्प बात तो यह है कि नोटिफिकेशन जारी करते समय पूर्व के नोटिफिकेशन के अनुसार योग्यता प्राप्त करने वाले आवेदकों को राहत नहीं दी गई है। जिससे अब तक अपनी योग्यता को पूरी मानकर आवेदन कर रहे विद्यार्थियों के सामने भी नए सिरे से योग्यता के मापदंड पूरे करने की चुनौती है। नए सर्विस नियमों से पूरे प्रदेश के कॉलेज शिक्षक लगने के इच्छुक आवेदकों में रोष है। 
गुडग़ांवत्नडिप्लोमा इन एजुकेशन में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को पाठ्यक्रम हिंदी में भी मिले इसके लिए स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने कवायद छेड़ दी है। अब तक केवल लोकल लेखकों की किताबें हिंदी में उपलब्ध हैं जबकि पाठ्यक्रम से संबंधी किताबें अंग्रेजी में हैं जिसकी वजह से छात्रों को परेशानी होती है।

इसी के तहत एससीईआरटी द्वारा छात्रों की परेशानी कम करने के लिए पाठ्यक्रम की किताबों का हिंदी में अनुवाद करने की प्रक्रिया को शुरू कर दी है। पाठ्यक्रम की किताबें अंग्रेजी में होने की वजह से छात्रों और शिक्षकों दोनों को मुश्किलें आती है। नाम न बताने की शर्त में एक शिक्षिका ने बताया कि पाठ्यक्रम की किताबें अंग्रेजी में होने की वजह से कई छात्र बेहद परेशान होते हैं।



ऐसे में वह लोकल लेखकों का सहारा लेते हैं। कई बार छात्रों के साथ सही ताल-मेल बनाने में भी दिक्कत आती है। उधर, डीएड के छात्र अनूप और शुभम ने बताया कि किताबें अंग्रेजी में होने की वजह से कई विषय समझ ही नहीं आते थे। निजी कॉलेज में होने की वजह से शिक्षक भी अच्छे से नहीं समझाते थे। ऐसे में लोकल लेखकों की किताबें फायदेमंद साबित होती हैं।

कुल सात किताबों का होगा अनुवाद : डीएड के पहले सेमेस्टर में तीन और दूसरे सेमेस्टर में चार किताबें हैं। इनमें लोकल लेखकों की किताबें तो हिंदी में हैं लेकिन पाठ्यक्रम की किताबें हिंदी में नहीं हैं।शिक्षक तो फिर भी मैनेज कर करके छात्रों को पढ़ा देते हैं लेकिन कुछ छात्र इन्हें आसानी से समझ नहीं पाते हैं। एससीईआरटी की निदेशक स्नेह लता का कहना है कि पाठ्यक्रम की किताबें अंग्रेजी में होने की वजह से छात्रों व शिक्षकों को मुश्किल होती थी। इसी के मद्देनजर अब इनका अनुवाद हिंदी में भी किया जा रहा है। अनुवाद की प्रक्रिया एससीईआरटी के टेक्स्ट बुक विभाग द्वारा की जाएगी।

॥शिक्षा का क्षेत्र जितना फास्ट होगा पढ़ाई का स्तर उतना ही उच्च होगा। इसी सोच को बढ़ावा देने के साथ साथ ग्राउंड लेवल पर शुरू करने को लेकर काउंसिल यह प्रोजेक्ट बनाती है। देवेंद्र सिंह, बीईओ हांसी एवं कॉर्डिनेटर कनेक्टिंग क्लास रूम प्रोजेक्ट।

पुराना सर्विस नियम

इससे पहले सर्विस नियमों क अनुसार स्टेट लेक्चरर एलिजिबिलिटी टेस्ट स्लेट या नेट पास विद्यार्थी, इसके अलावा यूजीसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने वाले सभी विद्यार्थी कॉलेज शिक्षक के लिए आवेदन कर सकते थे।

प्रदेश सरकार ने ये तय किए हैं नए नियम

प्रदेश सरकार के नए नियमों के अनुसार नेट पास कॉलेज शिक्षक के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा स्टेट या सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने वाले सभी विद्यार्थी भी कॉलेज शिक्षक के लिए पात्र होंगे। इसके अलावा प्राइवेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी केवल उन्हीं विद्यार्थियों की मान्य होगी, जिन्होंने नैक की ए ग्रेड प्राप्त यूनिवर्सिटी से पीएचडी की हो। नए नियम सभी विद्यार्थियों पर एक समान लागू होंगे।

आठ स्कूल बन चुके हैं वल्र्ड लेवल के

अब तक प्रदेश के आठ स्कूलों को काउंसिल सम्मानित कर चुकी है। हिसार के जहाजपुल स्कूल के अलावा सिरसा, फतेहाबाद और रेवाड़ी के स्कूल शामिल हैं।

टीचर्स की हो रही है सलेक्शन

इन स्कूलों के बच्चों को पढ़ाने के लिए 30 शिक्षकों को भी तैयार किया जाएगा। इसके लिए इन स्कूलों में काउंसिल के पदाधिकारी टीचर्स की नियुक्तियां करने में लगे हुए हैं। नियुक्ति के बाद टीचर्स को बच्चों को पढ़ाने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग सेंटर हिसार को बनाया गया है।

दो जोन से 100 स्कूल

हरियाणा को इसके लिए दो जोन में बांटा गया है। एक जोन का कोऑर्डिनेटर बीईओ देवेंद्र सिंह को दूसरे जोन की कार्डिनेटर फरीदाबाद की बीईईओ ऋतु को नियुक्तकिया गया है। देवेंद्र सिंह को हिसार के अलावा रोहतक, पंचकूला और अंबाला का जिम्मा सौंपा गया है। इसी तरह ऋतु के पास गुडग़ांव, फरीदाबाद, सोनीपत और पानीपत शामिल हैं।



दोनों जोन से 50- 50 स्कूल चयनित किए गए हैं।









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बॉक्स: शिक्षा में विश्व स्तरीय सोच विकसित करना है उद्देश्य अब वह समय नहीं रहा है कि शिक्षा के लिए सीमाएं बांध दी जाए। समय आ गया है कि वल्र्ड वाइड सोच विकसित की जाए।शिक्षा का क्षेत्र जितना फास्ट होगा पढ़ाई का स्तर उतना ही उच्च होगा। इसी सोच को बढ़ावा देने के साथ साथ ग्राउंड लेबल पर शुरू करने को लेकर काउंसिल यह प्रोजेक्ट बनाती है। देवेंद्र सिंह. बीईओ हांसी एवं कॉर्डिनेटर कनेक्टिंग क्लास रूम प्रोजेक्ट। 

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