29 अक्टूबर को शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल के झज्जर स्थित आवास पर अध्यापकों ने अपनी मांगों को लेकर रैली निकाली थी, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। अतिथि अध्यापकों ने रोहतक में 10 नवंबर को महारैली कर सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने भी अपनी मांग रखी थी, लेकिन समस्या का हल नहीं हो सका। अतिथि अध्यापकों ने 15 नवंबर को दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री को भी ज्ञापन सौंपा है। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों को आश्वासन दिया है कि वे मुख्यमंत्री हुड्डा से बात कर उनकी समस्या को जल्दी हल करने का प्रयास करेंगे। अतिथि अध्यापकों का कहना है कि अगर जल्दी उनके हित में कोई फैसला नहीं लिया गया तो वे बड़े स्तर पर प्रदेश भर में आंदोलन छेडेंग़े।
कैसे चलेगी परिवार की गाड़ी
इन अतिथि शिक्षकों में कई ऐसे हैं जो परिवार में अकेले कमाने वाले हैं। उनके सामने यह समस्या है कि नौकरी गई तो वे फिर क्या करेंगे। इनमें कई ऐसे हैं जिनकी उम्र अन्य सरकारी नौकरियों के लिए समाप्त हो चुकी है। ऐसे में सभी अतिथि अध्यापकों की परेशानियां बढ़ गई हैं।
इन अतिथि शिक्षकों में कई ऐसे हैं जो परिवार में अकेले कमाने वाले हैं। उनके सामने यह समस्या है कि नौकरी गई तो वे फिर क्या करेंगे। इनमें कई ऐसे हैं जिनकी उम्र अन्य सरकारी नौकरियों के लिए समाप्त हो चुकी है। ऐसे में सभी अतिथि अध्यापकों की परेशानियां बढ़ गई हैं।
दिसंबर 2005 में हुई थी नियुक्ति
अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति दिसंबर 2005 में सभी श्रेणी के सरकारी स्कूलों में की गई थी। नियमित अध्यापकों की कमी को देखते हुए इन्हें नियुक्त किया गया था। सरकार की ओर से ठोस कदम नहीं उठाने पर दूसरे सेमेस्टर से पहले ही 5 फरवरी 2013 को अतिथि अध्यापकों की छुट्टी हो जाएगी। जबकि मार्च में दूसरे सेमेस्टर की परीक्षाएं शुरू होनी हैं।
॥गेस्ट टीचर अब अपनी मांगों को लेकर किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। रोजी बचेगी, तभी तो परिवार को रोटी खिला पाएंगे।
-कृष्ण कुमार, जिला अध्यक्ष, अतिथि अध्यापक संघ
-कृष्ण कुमार, जिला अध्यक्ष, अतिथि अध्यापक संघ