उच्च शिक्षा विभाग के अधीन निजी विश्वविद्यालय की स्थापना करना अब अपेक्षाकृत आसान होगा। जमीन मिलने में आ रहीं दिक्कतों के मद्देनजर निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए अब 50 की बजाय 35 एकड़ भूमि का मानक निर्धारित होगा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। अब इसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। यह है मौजूदा मानक : छह फरवरी 2008 को जारी शासनादेश के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग के अधीन स्थापित किए जाने वाले निजी विश्वविद्यालयों के लिए 50 एकड़ परस्पर सटी हुई भूमि उपलब्ध होना अनिवार्य शतों में शामिल है। बढ़ती आबादी के कारण शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 50 एकड़ जमीन एक साथ मिलने में दिक्कतें ्रआ रही हैं। इसलिए उच्च शिक्षा विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव में मंशा जताई गई है कि शासनादेश के इस प्रावधान को शिथिल करते हुए निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए परस्पर सटी हुई भूमि के मानक को 50 से घटाकर 35 एकड़ कर दिया जाए। अन्य राज्यों से हुई तुलना : इस प्रस्ताव को तैयार करने से पहले उच्च शिक्षा विभाग ने अन्य राज्यों में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए भूमि के मानक का तुलनात्मक अध्ययन किया था। तुलना करने पर पाया गया कि अन्य राज्यों में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए न्यूनतम 10 एकड़ से अधिकतम 35 एकड़ भूमि का प्रावधान है। इस आधार पर विभाग ने राज्य में निजी विश्वविद्यालयों के लिए परस्पर सटी हुई भूमि के मानक को 50 से घटाकर 35 एकड़ करने का प्रस्ताव तैयार किया जिसे मुख्यमंत्री ने अनुमोदित कर दिया है। लखनऊ सूबे में प्रस्ताव को वित्त व न्याय विभागों की भी स्वीकृति मिलने के बाद अब कैबिनेट से मंजूर कराने की तैयारी है। निजी विश्वविद्यालयों के लिए जमीन का मानक शिथिल करने की कोशिश इससे पहले भी की जा चुकी है। बसपा सरकार के कार्यकाल में 23 अक्टूबर 2009 को कैबिनेट ने उप्र प्राइवेटली फंडेड यूनीवर्सिटीज (स्टेब्लिशमेंट एंड रेगुलेशन) अध्यादेश, 2009 के मसौदे को मंजूरी दी थी। प्रस्तावित अध्यादेश में प्रदेश में निजी विश्र्वविद्यालय की स्थापना के लिए न्यूनतम 50 एकड़ भूमि की जरूरत बताई गई थी। शर्त थी कि 50 में से 30 एकड़ संयुक्त भूमि मुख्य स्थल पर होनी चाहिए, जबकि 20 एकड़ भूमि मुख्य स्थल से अधिकतम पांच किमी. की दूरी पर हो सकती है। बाद में कैबिनेट ने अध्यादेश की कार्रवाई स्थगित कर दी। बसपा सरकार के दौर में विधानमंडल ने उत्तर प्रदेश निजी निधिकृत विश्वविद्यालय (स्थापना एवं विनियमन) विधेयक, 2010 पारित किया था। इस विधेयक में यह प्राविधान था कि निजी विश्वविद्यालय के लिए प्रायोजक निकाय के पास न्यूनतम 50 एकड़ जमीन होनी चाहिए। इसमें से कम से कम 15 एकड़ जमीन प्रमुख स्थान पर होनी चाहिए और बाकी 35 एकड़ भूमि प्रमुख स्थान से 40 किमी के दायरे में होनी चाहिए। बाद में सरकार ने इस विधेयक को राजभवन से वापस ले लिया था
निजी विवि खोलने की राह होगी आसान
उच्च शिक्षा विभाग के अधीन निजी विश्वविद्यालय की स्थापना करना अब अपेक्षाकृत आसान होगा। जमीन मिलने में आ रहीं दिक्कतों के मद्देनजर निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए अब 50 की बजाय 35 एकड़ भूमि का मानक निर्धारित होगा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। अब इसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। यह है मौजूदा मानक : छह फरवरी 2008 को जारी शासनादेश के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग के अधीन स्थापित किए जाने वाले निजी विश्वविद्यालयों के लिए 50 एकड़ परस्पर सटी हुई भूमि उपलब्ध होना अनिवार्य शतों में शामिल है। बढ़ती आबादी के कारण शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 50 एकड़ जमीन एक साथ मिलने में दिक्कतें ्रआ रही हैं। इसलिए उच्च शिक्षा विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव में मंशा जताई गई है कि शासनादेश के इस प्रावधान को शिथिल करते हुए निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए परस्पर सटी हुई भूमि के मानक को 50 से घटाकर 35 एकड़ कर दिया जाए। अन्य राज्यों से हुई तुलना : इस प्रस्ताव को तैयार करने से पहले उच्च शिक्षा विभाग ने अन्य राज्यों में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए भूमि के मानक का तुलनात्मक अध्ययन किया था। तुलना करने पर पाया गया कि अन्य राज्यों में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए न्यूनतम 10 एकड़ से अधिकतम 35 एकड़ भूमि का प्रावधान है। इस आधार पर विभाग ने राज्य में निजी विश्वविद्यालयों के लिए परस्पर सटी हुई भूमि के मानक को 50 से घटाकर 35 एकड़ करने का प्रस्ताव तैयार किया जिसे मुख्यमंत्री ने अनुमोदित कर दिया है। लखनऊ सूबे में प्रस्ताव को वित्त व न्याय विभागों की भी स्वीकृति मिलने के बाद अब कैबिनेट से मंजूर कराने की तैयारी है। निजी विश्वविद्यालयों के लिए जमीन का मानक शिथिल करने की कोशिश इससे पहले भी की जा चुकी है। बसपा सरकार के कार्यकाल में 23 अक्टूबर 2009 को कैबिनेट ने उप्र प्राइवेटली फंडेड यूनीवर्सिटीज (स्टेब्लिशमेंट एंड रेगुलेशन) अध्यादेश, 2009 के मसौदे को मंजूरी दी थी। प्रस्तावित अध्यादेश में प्रदेश में निजी विश्र्वविद्यालय की स्थापना के लिए न्यूनतम 50 एकड़ भूमि की जरूरत बताई गई थी। शर्त थी कि 50 में से 30 एकड़ संयुक्त भूमि मुख्य स्थल पर होनी चाहिए, जबकि 20 एकड़ भूमि मुख्य स्थल से अधिकतम पांच किमी. की दूरी पर हो सकती है। बाद में कैबिनेट ने अध्यादेश की कार्रवाई स्थगित कर दी। बसपा सरकार के दौर में विधानमंडल ने उत्तर प्रदेश निजी निधिकृत विश्वविद्यालय (स्थापना एवं विनियमन) विधेयक, 2010 पारित किया था। इस विधेयक में यह प्राविधान था कि निजी विश्वविद्यालय के लिए प्रायोजक निकाय के पास न्यूनतम 50 एकड़ जमीन होनी चाहिए। इसमें से कम से कम 15 एकड़ जमीन प्रमुख स्थान पर होनी चाहिए और बाकी 35 एकड़ भूमि प्रमुख स्थान से 40 किमी के दायरे में होनी चाहिए। बाद में सरकार ने इस विधेयक को राजभवन से वापस ले लिया था