.पंचायतराज विभाग में शिक्षकों की नियुक्तियां होने से अब प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत तृतीय श्रेणी शिक्षकों को नौकरी गांव में ही करनी होगी।
शहर की स्कूलों में आने के रास्ते करीब-करीब बंद हो गए हैं। प्राथमिक स्कूलों में पहले नियुक्तियां पंचायतराज नियमों के तहत होती थी। जबकि शिक्षा विभाग के उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में नियुक्तियां राजस्थान शिक्षा अधीनस्थ सेवा नियम 1971 के तहत होती थी। इन नियमों से नियुक्ति के समय 75 प्रतिशत पदों पर पंचायतों की प्राथमिक स्कूलों में पांच वर्ष सेवा कर चुके शिक्षकों को अवसर दिया जाता था।
इस प्रक्रिया से हर साल पंचायत के हजारों शिक्षक शिक्षा विभाग में स्थानांतरण से सरकारी कर्मचारी बन जाते थे। बाद में इन्हें शहर में स्थानांतरण का अवसर मिलता था। इससे पंचायतराज में रिक्त होने वाले पदों पर नई नियुक्तियां की जाती थीं।
यह प्रक्रिया जारी रहती तो हाल ही में उच्च प्राथमिक स्कूलों में हुई 29810 नियुक्तियों में 75 प्रतिशत की गणना से 22411 पदों पर पंचायत के शिक्षकों को पदस्थापन मिलता लेकिन अब प्रारंभिक शिक्षा में नई नियुक्तियों का काम ही पंचायतराज कर रहा है।
इससे शहर के शिक्षकों के वापस शहर की स्कूलों में आने के अवसर खत्म हो गए हैं। राज्य सरकार ने वर्ष 2005 से प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में सभी तृतीय श्रेणी अध्यापक के रिक्त पदों पर पंचायतराज नियमों से नियुक्तियों का प्रावधान किया था।
इससे पंचायत और शिक्षा विभाग के शिक्षक एक साथ हो गए। सरकार ने इसी दौरान राजस्थान शिक्षा अधीनस्थ सेवा नियम 1971 में संशोधन कर माध्यमिक शिक्षा में तृतीय श्रेणी के सभी रिक्त पदों पर सौ प्रतिशत पंचायतराज के शिक्षकों को स्थानांतरित करने का प्रावधान कर दिया। यह 75 से 100 प्रतिशत करना केवल आंकड़ों का धोखा साबित हुआ।
इससे पंचायत शिक्षकों के लिए राज्य कर्मी बनने और शहर में स्थानांतरण के अवसर भी कम हो गए। इसी प्रकार दूसरी तरफ माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में तृतीय श्रेणी के पद समानीकरण से कम हो रहे हैं। वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा में केवल 4564 पद ही रिक्त हैं। विभाग द्वारा सीमित रिक्त पदों पर भी पंचायत के शिक्षकों का स्थानांतरण ही नहीं किया जाता है।
क्या है मामला?
शिक्षा विभाग ने पूर्व में पंचायतराज के शिक्षकों से शिक्षा विभाग में तबादले के लिए आवेदन लिए थे लेकिन उन पर अमल नहीं किया जा सका है। पंचायत की प्राथमिक स्कूलों में ग्रास लेवल के अध्यापक होते हैं।
राज्यभर में इनकी संख्या 80 हजार से अधिक है। इनमें से पांच वर्ष सेवा और गणित, अंग्रेजी सहित पांच विषयों में 10वीं पास को शिक्षा विभाग में स्थानांतरण का अवसर दिया जाता था। इससे शिक्षा विभाग को अनुभवी शिक्षक मिलते थे और पंचायत के शिक्षकों को राज्य कर्मचारी बनने का अवसर मिलता था।
सरकार ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में नई नियुक्तियों का प्रावधान कर दिया। इससे पंचायत के शिक्षकों के राज्य कर्मचारी बनने और शहर में तबादले के अवसर लगभग समाप्त हो गए हैं। विभाग ने मई 2011 में पंचायत से उच्च प्राथमिक और उच्च प्राथमिक से माध्यमिक शिक्षा में स्थानांतरण के लिए आवेदन भी लिए थे लेकिन उन पर कोई विचार नहीं किया गया।