मुख्य सूचना आयुक्त (सीआइसी) की चली तो वह दिन दूर नहीं जब सियासी दल भी आरटीआइ कानून के दायरे में होंगे। इस सिलसिले में सीआइसी सोमवार से अपनी मुहिम बाकायदा शुरू कर सकते हैं। इसके तहत आयकर व संपदा विभाग को पत्र लिखकर वह राजनीतिक पार्टियों को दी जा रही टैक्स छूट, उनकी संपत्ति, आमदनी के स्रोतों और नई दिल्ली में कौडि़यों के भाव उनके लिए आवंटित बंगलों के बारे में पूछेंगे। राष्ट्रीय दलों मसलन कांग्रेस, भाजपा, बसपा, सीपीआइ, सीपीएम और राकांपा से भी उनकी संपत्ति और आय के स्रोतों के बारे में जानकारी मांगेंगे। सीआइसी सत्यानंद मिश्र का मानना है कि राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां अपनी आय पर टैक्स छूट और नई दिल्ली के पॉश इलाकों में आलीशान बंगले हासिल करती है। यह सरकार से अप्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष तौर पर फंड लेने जैसा है। आरटीआइ कानून की धारा 2(एच) के तहत इन दलों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जा सकता है। मिश्र के अनुसार, एक बार हम आकलन कर लें कि सियासी दलों की सरकार से किस हद तक प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष फंडिंग होती है, फिर केंद्रीय सूचना आयोग इनको आरटीआइ के दायरे में शामिल करने पर अपनी राय देगा
आरटीआइ के दायरे में आ सकते हैं सियासी दल
मुख्य सूचना आयुक्त (सीआइसी) की चली तो वह दिन दूर नहीं जब सियासी दल भी आरटीआइ कानून के दायरे में होंगे। इस सिलसिले में सीआइसी सोमवार से अपनी मुहिम बाकायदा शुरू कर सकते हैं। इसके तहत आयकर व संपदा विभाग को पत्र लिखकर वह राजनीतिक पार्टियों को दी जा रही टैक्स छूट, उनकी संपत्ति, आमदनी के स्रोतों और नई दिल्ली में कौडि़यों के भाव उनके लिए आवंटित बंगलों के बारे में पूछेंगे। राष्ट्रीय दलों मसलन कांग्रेस, भाजपा, बसपा, सीपीआइ, सीपीएम और राकांपा से भी उनकी संपत्ति और आय के स्रोतों के बारे में जानकारी मांगेंगे। सीआइसी सत्यानंद मिश्र का मानना है कि राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां अपनी आय पर टैक्स छूट और नई दिल्ली के पॉश इलाकों में आलीशान बंगले हासिल करती है। यह सरकार से अप्रत्यक्ष व प्रत्यक्ष तौर पर फंड लेने जैसा है। आरटीआइ कानून की धारा 2(एच) के तहत इन दलों को सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जा सकता है। मिश्र के अनुसार, एक बार हम आकलन कर लें कि सियासी दलों की सरकार से किस हद तक प्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष फंडिंग होती है, फिर केंद्रीय सूचना आयोग इनको आरटीआइ के दायरे में शामिल करने पर अपनी राय देगा