हरियाणा में स्कूल मैनेजमेंट कमेटियों (एसएमसी) को मजबूत करने के लिए शिक्षा विभाग को तगड़ी कसरत करनी होगी। जिस उद्देश्य के साथ ये कमेटियां बनाई गई थीं, वह अभी तक पूरा नहीं हुआ है। शिक्षा निदेशालय में अभी भी इसे लेकर शिकायतें पहुंच रही हैं। निदेशालय ने कमेटी सदस्यों को ट्रेनिंग देने के लिए शिविर भी लगाए, लेकिन उनका पूरा फायदा नहीं मिल पाया।
स्कूल मैनेजमेंट कमेटियां (एसएमसी) बनाने का मकसद स्कूलों की व्यवस्था सही ढंग से चलाना और हर काम में पारदर्शिता लाना था। शिक्षा विभाग को उम्मीद थी कि एसएमसी के जरिये वह शिक्षा के स्तर में व्यापक सुधार ला पाएगा। स्कूल के कार्यों में पारदर्शिता लाने के मकसद से ही उसने कमेटी सदस्यों में 75 फीसदी संख्या बच्चों के अभिभावकों की रखी थी। इसके अलावा इन कमेटियों में स्कूल के मुखिया व शिक्षाविद भी शामिल किए जाने थे। कमेटी सदस्यों की राय से ही स्कूल में विकास कार्य होने थे। बच्चों की वर्दी, स्टेशनरी और स्कूल बैग वगैरह खरीदने जैसे काम भी कमेटी सदस्यों की राय से ही होने थे। दूसरी तरफ स्कूल प्रबंधन नहीं चाहते कि ये कमेटियां पॉवरफुल बनें। इसी वजह से वह जरूरी जानकारियां तक एसएमसी सदस्यों को नहीं देते। असल में प्रबंधन को लगता है कि एसएमसी पॉवरफुल हो गई तो वह स्कूली कामकाज में दखल देने लगेंगी। सर्व शिक्षा अभियान के निदेशक पंकज यादव कहते हैं कि काफी हद तक ट्रेनिंग देकर कमेटी सदस्यों को जागरूक किया गया है। हालांकि कुछ जगह से अभी भी शिकायत आने की बात स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि इस संबंध में जरूरी कार्रवाई की जा रही है। |