चंडीगढ़ : हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 134 ए के तहत राज्य के मान्यता प्राप्त स्कूलों में आíथक पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित किए जाने के मामले में याचिकाकर्ता सतबीर सिंह हुड्डा ने हाई कोर्ट में सोमवार को पांच जिलों के लगभग तीन हजार छात्रों की सूची पेश की। याचिकाकर्ता का कहना था कि ये छात्र आíथक पिछड़े वर्ग से हैं और पढ़ना चाहते हैं लेकिन प्रशासन ने हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद इन बच्चों को प्रवेश दिलाने में कोई सहायता नहीं की। इस मामले की पिछली सुनवाई पर भी याचिकाकर्ता ने हरियाणा के 16 जिलों के पांच हजार छात्रों की सूची कोर्ट में दी थी। याचिकाकर्ता द्वारा सूची देने पर कोर्ट ने सरकारी वकील को कहा कि वो इस मामले में उचित कदम उठाए। इसी के साथ कोर्ट ने मामले पर सुनवाई 8 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी। इस मामले में सितंबर में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कहा था कि याचिकाकर्ता स्वयं पूरे राज्य में जाकर इस बात की जांच करे कि कौन से स्कूल इस नियम की पालना नहीं कर रहे हैं। इस मामले में हरियाणा शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव सुरीना राजन ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर जानकारी दी कि सरकार ने इस नियम के तहत बच्चों को प्रवेश देने के लिए उचित कदम उठाए हैं। राजन ने हाईकोर्ट में दिए हलफनामे में कहा कि सरकार ने स्कूलों को आदेश दिया है कि वो दाखिला फीस केवल पहली, छठी, नौवीं व प्लस वन में ही लें। अन्य किसी भी कक्षा में इस नियम के तहत प्रवेश लेने वाले छात्र से फीस न ली जाए। राजन ने कोर्ट को बताया कि याचिका
कर्ता सतबीर सिंह हुडा ने जिन स्कूलों की शिकायत की थी उनकी जांच कर शिक्षा विभाग ने उचित कदम उठाया है। ज्ञात रहे कि इस मामले में हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया हुआ है कि जिस परिवार की आमदनी सालाना दो लाख रुपये या इससे कम है वो परिवार आíथक पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित सीट पर प्रवेश का हकदार होगा।