संजय कुमार, रोहतक : सरकारी शब्द सुनकर भले ही हर चेहरे पर खुशी की झलक जाती हो। लेकिन इसका प्रयोग यदि प्रदेश के स्कूलों के साथ करें तो स्थिति भयावह हो जाती है। कंप्यूटर युग में भी यहां विद्यार्थियों को जमीन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ती है। शायद यही वजह है कि इन स्कूलों में मूलभूत समस्याओं को तरस रहे बच्चों के परिजन यह कहने को मजबूर हो जाते हैं कि सरकारी स्कूल, सरकारी पढ़ाई, माफ करो भाई..। जिला में 105 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, 55 उच्च विद्यालय, 36 माध्यमिक विद्यालय व 234 प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें से अधिकांश स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए पुस्तकें तो दूर बैठने को पर्याप्त मात्रा में फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं है। स्वयं जिला शिक्षा अधिकारी जगबीर मलिक का मानना है कि जिले के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से तीस फीसद फर्नीचरों की कमी है