नई दिल्ली, एजेंसी : सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि सरकार को आदर्श नियोक्ता की तरह बर्ताव करते हुए सबके साथ न्याय करना चाहिए। कोर्ट के मुताबिक सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नियुक्ति और प्रोन्नति में किसी के साथ पक्षपात न हो। जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने असम के पुलिस अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया। पीठ ने कहा कि एसबीआर (स्पेशल बैच रिक्रूट्स) के तहत नियुक्ति के मामले में असम सरकार ने नियमों की अनदेखी करते हुए 1993-94 में सेवारत अधिकारियों का प्रमोशन किया। कोर्ट के मुताबिक उसी समय सीधी भर्ती के जरिए नियुक्त अन्य पुलिस अधिकारियों को दरकिनार करते हुए एसबीआर के तहत नियुक्त अधिकारियों को अवैध तरीके से वरिष्ठता प्रदान की गई। पीठ ने टिप्पणी की कि इस मामले में सीधी भर्ती के जरिए नियुक्त पुलिस अधिकारियों के लिए निर्धारित कोटे को एसबीआर ने हड़पा है। नियमों को ताक पर रखकर इस पूरी चयन प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। पीठ ने कहा कि एक आदर्श नियोक्ता के रूप में सरकार द्वारा उठाए गए हर कदम से संवेदनशीलता और ईमानदारी दिखनी चाहिए। कर्मचारियों के बीच विश्वास का माहौल होना चाहिए तभी सुशासन की अवधारणा को हकीकत में बदला जा सकता है। ज्ञात हो कि विशेष भर्ती अभियान के जरिये नियुक्त पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति को गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने भी गलत ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी गई थी
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