हरियाणा के शिक्षक भर्ती घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला और उनके पुत्र अजय चौटाला को अदालत ने 10 साल कैद की सजा सुनाई है. पूर्व सचिव विद्याधर और आईएएस अधिकारी संजीव कुमार को भी 10 साल की सजा सुनाई गई है. सजा के ऐलान के बाद कोर्ट के बाहर जमा चौटाला समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया और पुलिस पर जमकर पत्थरबाजी की.कुल मिलाकर 55 अभियुक्तों को अदालत ने सजा सुनाई है. इन दोषियों में छोटे और बड़े अधिकारी शामिल हैं. दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में सीबीआई के विशेष जज ने 16 जनवरी को इन सभी लोगों को दोषी करार दिया था. जबकि सोमवार को दोषियों की ओर से सजा पर बहस पूरी हो गई.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल साल 1999-2000 में हरियाणा के 18 जिलों में 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती की गई थी. आरोप है कि तय मानकों को ताक पर रखकर तब मनचाहे लोगों की भर्ती की गई. सरकार ने भर्ती की जिम्मेदारी कर्मचारी चयन आयोग से लेकर जिला स्तर पर गठित समितियों को सौंप दी, इन समितियों ने फर्जी साक्षात्कार के आधार पर चयन सूची तैयार कर ली.
सीबीआई ने साल 2004 में मुख्यमंत्री चौटाला समेत 62 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. अदालत में हुई गवाहियों से ये साबित हुआ कि जेबीटी भर्ती के लिए उम्मीदवारों से 3 से 5 लाख रुपये तक की रिश्वत ली गई थी.
इस बीच दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में भर्ती 78 साल के चौटाला ने अपील की है कि उन्हें अपने साथ दो असिस्टेंट रखने की इजाजत दी जाए. अदालत ने इस बारे में जेल सुपरिंटेंडेंट से जानकारी मांगी है. इसके पहले चौटाला ने इलाज के लिए गुड़गांव मेदांता अस्पताल में भेजे जाने की अपील की थी, जिसे विशेष अदालत ने खारिज कर दिया.
तिहाड़ में बंद अजय चौटाला ने भी कोर्ट से अपील की थी कि उन्हें घर का पका खाना मंगाने की इजाजत दी जाए. अजय चौटाला ने कोर्ट से सोने की चेन पहनने की भी इच्छा जाहिर की है. अजय चौटाला उस वक्त भिवानी से सांसद थे और आरोप है कि उनके लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों को घोटाले में प्राथमिकता दी गई थी.
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