ये कैसी शिक्षा : फांसी के बाद भगत सिंह ने लिखी चिट्ठी
भगत सिंह ने फांसी के आठ साल बाद अपने छोटे भाई कुलबीर सिंह को चिट्ठी लिखी थी। यही नहीं, शहीदे आजम का जन्म 27 सितंबर 1887 (असल जन्म से 20 वर्ष पहले) को हुआ था। ऐसी ही अनेक गलतियों से भरी हिंदी की किताब देश में चौथी कक्षा के बच्चों को पढ़ाई जा रही है। इतना ही नहीं, सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में भी बच्चों को भगत सिंह से जुड़ी गलत जानकारियां दी जा रही हैं। सामाजिक कार्यकर्ता व पूर्व प्रिंसिपल दीपचंद्र निर्मोही ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर चमनलाल व भगत सिंह की भतीजी वीरेंद्र सिंधु की लिखी किताबों का हवाला देते पब्लिक व सरकारी स्कूलों में दी जा रही गलत शिक्षा के लिए शिक्षा विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। सर्व शिक्षा का ये कैसा अभियान : शिक्षा विभाग हरियाणा भी इसमें पीछे नहीं है। चौथी कक्षा में पढ़ाई जाने वाली किताब हिंदी-4 में भगत सिंह का जन्मदिन 28 सितंबर 1907 की जगह 27 सितंबर 1907 दर्शाया गया है। फांसी के वक्त भगत सिंह की अंतिम इच्छा पर भी शिक्षा विभाग गलत शिक्षा दे रहा है। इतना ही नहीं, प्रसिद्ध गजल लेखक जगदम्बा प्रसाद मिश्र हितैषी की वर्ष 1916 में लिखी : शहीदों के मजारों पर जुड़ेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा। किताब में लिखी गजल इस प्रकार है : शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा। पूर्व प्रिंसिपल डॉ. मधु दीक्षित व आरएन कॉलेज के पूर्व निदेशक आरके दीक्षित कहते हैं मजारों पर मेले लगते हैं न कि किसी की चिताओं पर। किताबों में तथ्यों के अलावा प्रूफ की भी ढेरों गलतियां हैं
भगत सिंह ने फांसी के आठ साल बाद अपने छोटे भाई कुलबीर सिंह को चिट्ठी लिखी थी। यही नहीं, शहीदे आजम का जन्म 27 सितंबर 1887 (असल जन्म से 20 वर्ष पहले) को हुआ था। ऐसी ही अनेक गलतियों से भरी हिंदी की किताब देश में चौथी कक्षा के बच्चों को पढ़ाई जा रही है। इतना ही नहीं, सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में भी बच्चों को भगत सिंह से जुड़ी गलत जानकारियां दी जा रही हैं। सामाजिक कार्यकर्ता व पूर्व प्रिंसिपल दीपचंद्र निर्मोही ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर चमनलाल व भगत सिंह की भतीजी वीरेंद्र सिंधु की लिखी किताबों का हवाला देते पब्लिक व सरकारी स्कूलों में दी जा रही गलत शिक्षा के लिए शिक्षा विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। सर्व शिक्षा का ये कैसा अभियान : शिक्षा विभाग हरियाणा भी इसमें पीछे नहीं है। चौथी कक्षा में पढ़ाई जाने वाली किताब हिंदी-4 में भगत सिंह का जन्मदिन 28 सितंबर 1907 की जगह 27 सितंबर 1907 दर्शाया गया है। फांसी के वक्त भगत सिंह की अंतिम इच्छा पर भी शिक्षा विभाग गलत शिक्षा दे रहा है। इतना ही नहीं, प्रसिद्ध गजल लेखक जगदम्बा प्रसाद मिश्र हितैषी की वर्ष 1916 में लिखी : शहीदों के मजारों पर जुड़ेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा। किताब में लिखी गजल इस प्रकार है : शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा। पूर्व प्रिंसिपल डॉ. मधु दीक्षित व आरएन कॉलेज के पूर्व निदेशक आरके दीक्षित कहते हैं मजारों पर मेले लगते हैं न कि किसी की चिताओं पर। किताबों में तथ्यों के अलावा प्रूफ की भी ढेरों गलतियां हैं
Nice Blog
ReplyDeleteBy John
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