भोपाल : अगले सत्र से एलएलएम (मास्टर ऑफ लॉ) कोर्स करने के इच्छुक विधि के छात्रों के लिए एक अच्छी खबर है। विदेशों की तर्ज पर सत्र 2013-14 से एलएलएम कोर्स अब एक साल का होने जा रहा है। फिलहाल यह दो साल का होता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक वर्षीय एलएलएम कोर्स के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है। इस कोर्स में प्रवेश ऑल इंडिया एडमिशन टेस्ट के आधार पर होगा। यह प्रवेश परीक्षा प्रत्येक विश्वविद्यालय चाहे तो अपने स्तर पर या फिर समूह बनाकर आयोजित कर सकेंगे। इस एक वर्षीय एलएलएम कोर्स के लिए इच्छुक विश्वविद्यालयों को सेंटर ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट लीगल स्टडीज की स्थापना करनी होगी। इस सेंटर में कम से कम 10 फुल टाइम, योग्य व अनुभवी फैकल्टी रखनी होगी, जिनमें कम से कम चार प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर अनिवार्य रूप से रहेंगे। साथ ही प्रत्येक पांच छात्रों पर एक प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर रखना होगा। यह कोर्स ट्रीमेस्टर या फिर सेमेस्टर प्रणाली पर लागू होगा। अगर एक वर्षीय एलएलएम कोर्स ट्रीमेस्टर प्रणाली से चलाया जाता है तो न्यूनतम 12 हफ्ते की क्लास अनिवार्य होगी। वहीं सेमेस्टर प्रणाली लागू करने पर न्यूनतम 18 हफ्ते की क्लास अनिवार्य होगी। प्रत्येक हफ्ते 30 कंटेक्ट क्लास के साथ ही सेमिनार, फील्ड वर्क, प्रोजेक्ट आदि भी अनिवार्य रूप से करने होंगे। कोर्स में तीन पेपर अनिवार्य विषयों के तथा छह पेपर वैकल्पिक व विशेष विषयों के होंगे। गौरतलब है कि वर्तमान में विधि के छात्रों को स्नातक (एलएलबी) के बाद दो साल का एलएलएम कोर्स करना पड़ता है। राजीव गांधी लॉ कॉलेज, भोपाल के विधि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.विनोद तिवारी ने कहा, एक वर्षीय एलएलएम कोर्स के लिए लंबे समय से कवायद चल रही थी। यूजीसी ने अब अगले सत्र से एक वर्षीय एलएलएम कोर्स शुरू करने की गाइडलाइन जारी कर दी है। इससे विधि में स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वालों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है।
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