नई दिल्ली। प्राथमिक स्कूलों में विद्या सहायक के नाम पर शिक्षकों की तदर्थ नियुक्तियों के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार की याचिका यथास्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकारों की इस तरह की नीतियां समूची शिक्षा व्यवस्था और देश के भविष्य को चौपट कर रही हैं।
जस्टिस बीएस चौहान और दीपक मिश्र की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर गुजरात सरकार की याचिका पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश जारी किया। प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए राज्य सरकार की ओर से 13 हजार विद्या सहायकों की नियुक्ति की गई थी। हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश जारी किया, जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
पीठ ने कहा कि अदालत इस मसले पर अब ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद ही सुनवाई करेगी। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि जब हमने अनुच्छेद 21ए पर अमल कर लिया है तो फिर क्या हम इस व्यवस्था को अनुमति दे सकते हैं? हमारी चिंता शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर है। बच्चों को दी जा रही शिक्षा के प्रति अदालत काफी गंभीर हैं। हम समुचित योग्यता नहीं रखने वालों को तदर्थ शिक्षक नियुक्त करके पूरी शिक्षा व्यवस्था को ही चौपट कर रहे हैं।
विद्या सहायकों की नियुक्ति का मामला सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने को कहा
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